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London is the capital city of England.
कवितालयबद्ध कविता
हे सहचरी! मुझे क्षमा करना।
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हे प्रिय! तुझे ना कह पाया !
गृहस्थ धर्म ना निभा पाया!!
माना हृदय विचलित होगा!
मन भाव से कुंठित होगा !!
करुण विनय ना सुन पाता!
सिद्धि मार्ग
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आप सभी के समक्ष मेरी रचना अवलोकनार्थ हेतु सादर प्रस्तुत कर रहा हूं।🙏🙏
कविताअतुकांत कविता
*सत्य अहिंसा के पुजारी*
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सत्य अहिंसा के पुजारी,
आप कह लाए थे बापू।
नेता जी ने नाम दिये थे,
राष्ट्रपिता हो तुम बाबू।।
अहिंसा परमो धर्म: का,
नारा
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कविताअतुकांत कविता
चेहरे पर मुस्कान आएगा
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मानवता के अस्तित्व पर,
जब जब संकट आएगा ।
इंसानियत ही इंसान को ,
भरी संकट से बचाएगा ।
मानवता के अस्तित्व पर ,
लगा ये ग्रहण मिट जाएगा।
रख सार्थक सोच खुद पर ,
एक नया उजाला
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कविताअतुकांत कविता, लयबद्ध कविता
गो कोरोना गो
(शीर्षक)
चहुं ओर खुशियां फैल जाएंगे!
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हालात भी सुधर जाएंगे!
मुसीबतों के हर दौर से !!
खुशियां यूंँ बिखर जाएंगे !
दवाओं और दुआओं से !!
हर संकट भी कट जाएंगे !
जनमानस के सहयोग से!!
यूं
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बहुत सुंदर रचना।
सादर आभार आदरणीया !
कथा अच्छी है पर...लॉकडाउन,दूँ,हँसते, हाँ,माँ, मोड़,पढ़,आएँगे...सही कर लीजिएगा।
🙏🙏
सर कहानी के साथ अपनी नहीं रचना से जुड़ी कोई और तस्वीर लगाएं
जी बिल्कुल आदरणीया
कविताअतुकांत कविता, लयबद्ध कविता
#क्यों_प्यासा_रह_जाता_है
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जल तट पर भी रहा पथिक ,
क्यों वह प्यासा रह जाता है?
क्यों न मिटती उसकी तृषा ,
क्या मृदु जल अब खारा है?
अनंत चाह की तिक्ष्ण प्यास में ,
क्यों अपनो को भूल जाता है?
नित्य को
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कविताअतुकांत कविता, लयबद्ध कविता
आयोजन सा.रे.गा.मा.
अधूरी कहानी भाग ३
समूह- लफ्जों की उड़ान
विधा- काव्य रचना
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[रचना]
"प्रणय मिलन की वर्षा"
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हृदय व्याकुल हो जाये ,
नयन निहारे तरस
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कविताअतुकांत कविता
"भूले बिछड़े हसीन यादें"
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वह भूले बिछड़े हसीन लम्हे
जीवन में जो अबतक गुजारे
गांव की खुशबू भरी माटी में
बीते यादो को नैना अब निहारे
वह निश्चल सा बचपन की यारी
सिर्फ गुजर रहा यादों के सहारे
बचपन
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कवितालयबद्ध कविता
8 मार्च , महिला दिवस
मां की अनुभूति
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मां तू रुह आधारी
हमें हो जीवन देती
पालन करती पोषण देती
वात्सल्य से जग भर देती
लाड प्यार को रहती तत्पर
खिलाने को स्मित आतुर
तु हाथ पकड़े चलती डोर
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कवितालयबद्ध कविता
अब हमें प्रखर रहने दो
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हमें पुलकित मन से
विचारों में बढ़ने दो
सरिता की धारा सी
अविरल ही बहने दो
लिंग विभेद ना कर
संघर्ष हमें करने दो
हम दुर्गा, हम काली हैं
उपमा में ही ना रहने दो
सदियों की बलिदानी
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कवितागजल
आयोजन - 27 फरवरी 2021
विषय - शब्दाक्षरी (काजल)
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[ रचना ]
गज़ल
ये काली नैयना मदहोश शाम लगती है
अंधेरी रात में भी खिली चांद लगती है
नैयनो की पंखुडियाँ गुलाब लगती हैं
कजरारी
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बहुत सुंदर रचना
बहुत-बहुत आभार सादर धन्यवाद।
कवितालयबद्ध कविता
आयोजन - सा.रे.गा.मा
अधूरी कहानी - भाग २
समूह - लफ्जों की उड़ान
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[रचना]
मेरा प्रेम 'नयन नीर' निश्छल सा है
ये घनघोर सावन की बूंदे
अभी थमीं नहीं दिखती है
तेरे इस व्याकुल हृदय पर
किंचित सा विघ्न
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Ummda kriti
सादर धन्यवाद।
धन्यवाद महोदया
Bahut sunder
सादर आभार आदरणीया!
कवितानज़्म
मृगनैनी सी तेरी नयना
कुमकुम की लाल बिंदी
रेशम सी काली जुल्फे
ये बलखाती तेरी अदाये
चाँद सी मुख मंडल से
बिखेरती सुंदर सी आभा
मोहनी सी शोभित छवि
प्रेम की मधुरस बूंदों से
हिय की प्यास बुझाई
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'मृगनैनी सी तेरी नयन' या मृगनैनी से तेरी नयन?
मृगनैनी सी तेरी नयन अर्थात मृग जैसी आंखें
कवितालयबद्ध कविता
आयोजन - मनोभाव चित्राक्षरी
22 फरवरी - 2021
काव्य - रचना
"अतीत की यादें"।
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अतीत की यादों को आज
अपनी तस्वीर में उतारी थी
ढूंढ रही थी उन लम्हों को
जो ख्वाबों को सजाई थी
स्मृतियों की उन लम्हों को
फिर
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कवितालयबद्ध कविता, गीत
आयोजन - सा.रे.गा.मा.
अधूरी कहानी भाग -1-15
समूह - लफ्जों की उड़ान
विधा- काव्य गीत
विषय - रिमझिम सावन की बूंदे.
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[रचना]
धानी चुनर मैं ओढ़ के निकली,
पर बारिश की बूंदों ने रोक ली।
ये काली बदरिया
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सुन्दर भाव भरी रचना ।
💐💐
सादर आभार आदरणीया।
कविताअतुकांत कविता
चित्राक्षरी काव्य रचना
फरवरी - 2021
[रचना]
अपना वह घर पुराना..
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बीता हुआ वह जमाना,
जब कभी याद आता है,
मिट्टी का अपना वह घर,
पुराना बहुत याद आता है।
पिता से मिलता सिक्का,
अम्मा
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सुन्दर भाव भरी रचना ।
जी, सादर आभार आदरणीया।
बचपन की यादों का बेहतरीन काव्य संयोजन
जी बिल्कुल
बेहद खूबसूरत
सादर धन्यवाद महोदय! आपकी सराहना हमारी लेखनी को बल देती है
बहुत ही प्यारी सी रचना 👌🏻
आपकी टिप्पणी एवं सराहना सदैव बना रहे।
कवितालयबद्ध कविता
काव्य प्रतियोगिता फरवरी
आया बसंत झुमके
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[रचना]
ऋतुराज बसंत है आया
मौसम बहारों का छाया
बागो में चिड़िया चहकी
फूलों से बगिया महकी
खिले फूल की सरसों पर
मधुकर
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बहुत खूब सुन्दर प्रस्तुति
आभार आदरणीया।
ऋतुराज बसंत पर सुंदर रचना। 👌👌
जी सादर धन्यवाद
कविताअतुकांत कविता, लयबद्ध कविता
आयोजन- सा रे गा मा
समूह - लफ्जों की उड़ान...
(अधूरी कहानी भाग - १)
विधा- काव्य गीत
विषय- सावन सी भिंगा दो ना
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हे प्रीतम कार्तिके तुम
प्रेम वाटिका आओ ना
स्नेहमय की वर्षा
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शानदार पंक्तियां,बेहतरीन अभिव्यक्ति👌🏻👌🏻👏🏻👏🏻👍🏻👍🏻
हृदय तल से आभार महोदय
लाज़वाब लेखनी....शब्द संयोजन भी कमाल है...वाह वाह
धन्यवाद महोदय श
सुंदर पंक्तियां
जी सादर धन्यवाद।
जी सादर आभार
बहुत ही सुन्दर रचना सुन्दर शब्द संयोजन
बहुत-बहुत शुक्रिया आप सब की सराहना हमारी लेखनी को बल देती है
सुन्दर गीत योजना
हृदय तल से आभार महोदय
Nice post
Thank you for your appreciation
बहुत खूब
सादर आभार एवं धन्यवाद महोदय
कविताअतुकांत कविता
पहला चुम्बन
'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
माँ तुमसे अच्छा,
स्नेह की चुम्बन,
कौन कर सकता।
एहसास का होना ही,
सांसों से धड़कन को ,
चुम्बन कर जाती है!
अपने गर्भ से ही ,
बार-बार मुझे चुम्ब कर,
प्रेम वत्सल को दर्शाती
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आपकी सराहना ही हमारी लेखनी को शक्ति प्रदान करती है आशा है आप लोग ऐसे ही हौसला अफजाई करते रहेंगे
बहुत ही प्यारी सी रचना
आभार आदरणीया।
कविताअतुकांत कविता
कराह रही है धरा
कर रही है पुकार
हे मनुज मत कर
तु अब मेरी संघार
मैं हूं तेरी वसुंधरा
सजीवों का संचार
जीवन का प्रतिकार
प्रकृति का उपहार
संवेदना तु मारकर
हो गया है दैत्यकार
शस्त्र निज पर ही
क्यों
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कवितागजल
तेरे इश्क में डूबे डूबे से हम हैं
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
दो जिस्म और एक जान हैं
मुझमें तुम हो, तुझमे हम है
फरिश्तो से मांगा तुझे हम हैं
मोहब्बत को निभाया हम है
तेरी चाहत का कायल हम हैं
तेरे
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कवितालयबद्ध कविता
एक दिया हर शाम उनके नाम करते हैं
≠===≠===≠===≠==≠
वतन पर मिटने वाले वीर शहीदों को ,
अभिनंदन,नमन और प्रणाम करते हैं।
राष्ट्र पुत्रो को प्रेम की श्रद्धा सुमन से ,
उनकी बलिदानी को सलाम करते हैं।
अनुशासन,निष्ठा
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कवितालयबद्ध कविता
जनवरी का महीना
ये ठंडी फिजाएं
कोहरे की चादर
चलती सर्द हवाएं
कड़ाके की ठंड
सर्दी खूब सताए
रूह में सिहरन
तन सह ना पाये
ठिठुरती बदन को
रजाई खूब भाये
सूरज की किरणें
जो मिल नहीं पाए
ये सर्दी की महीना
तन
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वाह वाह क्या बात है
सादर धन्यवाद
ठंड की बात है
बहुत खूब
बहुत-बहुत धन्यवाद एवं सादर आभार आदरणीया
कविताअन्य
आवाहन करती है ये वसुंधरा
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आवाहन करती है ये वसुंधरा अभी
उत्तरों में यदि तुम्हारा मौन होगा
अगर ना बचाओगे इस जहां पर वृक्ष
सोच लो इस धरा पर फिर कौन होगा
तिल -तिल में तड़प कर मारे जाओगे
जब
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