कविताअतुकांत कविता
मैं कोई समुन्दर का किनारा
नहीं
सागर की लहरों
तुम मुझसे
मत टकराओ
मैं तो एक अविकसित सा
फूल हूं
हवाओं के थपेड़ों
तुम मुझे न गिराओ
सुना है
जीवन बाधाओं और
दुविधाओं से भरा
पड़ा है पर
मुझे अनुभव नहीं है
अभी इन कठिनाइयों का
मेरा हृदय तो
एक कोमल फूल की पत्ती सा
है
कांटा तो क्या
एक पत्ते का तिनका
चुभाकर भी
तुम हो सके तो
इसे न सताओ।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001