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Sahitya Arpan - Minal Aggarwal

कविताअतुकांत कविता

प्रेम करना

  • Edited 2 years ago
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  • 198
  • 1 Mins Read

प्रेम करना
प्रेम जाल में मत
उलझना
जंगल में जाना
फूल चुनना
कांटों के झाड़ में मत
फंसना।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001

प्रेम करना ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

पाप के कलश

  • Edited 2 years ago
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  • 227
  • 3 Mins Read

वह तो
पाप के कलश
भरता ही
जा रहा है
कहीं रुक ही नहीं रहा
उसका आत्मविश्वास
खुद के साथ कोई
दुर्घटना न होने के कारण
आसमान की हद पार
कर रहा है
वह सबके साथ बुरा व्यवहार
कर रहा है
जमीन के वासियों को
जो
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पाप के कलश ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

बरखा बरसी पर कलश खाली

  • Edited 2 years ago
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  • 383
  • 3 Mins Read

बरखा बरसी पर
कलश खाली
तन हरा पर
मन सूखा और वैरागी
जिस्म गीला पर
आत्मा पर
एक अंजाना सा
बोझ
बहुत भारी
दरवाजा बंद
घर का आंगन सूना
मेरी घर की देहरी को
सबका इंतजार पर
मुझ अभागिन से
किसी को नहीं प्यार
मेरे
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बरखा बरसी पर कलश खाली ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मेरे घर की खिड़की से

  • Edited 2 years ago
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  • 235
  • 4 Mins Read

मेरे घर की
खिड़की से
दिख रही जो
सड़क
मैं उस पर चल नहीं
सकती
आसमान में जो
उड़ रही
पतंग
मैं उसे उड़ा नहीं
सकती
पंछी जो बैठा
बिजली की तार पे
मैं उसको वहां से
हटा नहीं सकती
पेड़ से पत्ते टूटकर जो
गिर
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मेरे घर की खिड़की से ,<span>अतुकांत कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

सुन्दर भाव

कविताअतुकांत कविता

बददुआ

  • Edited 2 years ago
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  • 223
  • 2 Mins Read

मेरे जीने की
दुआ करो
न कि
मेरे मरने की
किसी ने
यह बददुआ मुझे
मेरे पीठ पीछे दी भी हो गर तो
उसे मुझ तक पहुंचाकर
मेरे दिल को
न तुम
रुसवा करो।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी
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बददुआ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

यह सृष्टि मेरी ही तो है

  • Edited 2 years ago
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  • 185
  • 2 Mins Read

यह आसमान
यह बादल
यह पहाड़
यह दरिया
यह धरती
यह हरियाली
यह बगिया
यह फूलों की क्यारी
यह सब मेरा ही तो है
जब मैं प्रभु की
प्रभु मेरे तो
प्रभु की बनाई सृष्टि
मेरी ही तो है
मैं प्रभु में समाई और
प्रभु
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यह सृष्टि मेरी ही तो है ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

एक खुले आसमान की हवाओं की तलाश में

  • Edited 2 years ago
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  • 200
  • 4 Mins Read

एक एक करके
सारे दीपक बुझाता जा
रहा है और
अंधेरों को चीरता
प्रकाश के असीम भंडार का
स्रोत चाह रहा है
किसी प्रेम की राह पर नहीं
यह नासमझ तो
एक काली घुप अंधेरी
प्रकाश विहीन
तंग गली सी
दम घोटने वाली
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एक खुले आसमान की हवाओं की तलाश में ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

यादों की किताब का हर पन्ना

  • Edited 2 years ago
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  • 232
  • 2 Mins Read

यादों की
किताब का
हर पन्ना
तेरे नाम
मेरी सांस की तार के
हर स्थान पर लिखा
एक तेरा ही नाम
मन्दिर जाने की
मुझे क्या आवश्यकता
मेरे दिल में ही
प्रभु का वास
कण कण में
मुझे
ईश्वर दिखें
मेरा प्रेम के
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यादों की किताब का हर पन्ना ,<span>अतुकांत कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

अच्छी रचना..!

कविताअतुकांत कविता

नकारात्मक

  • Edited 2 years ago
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  • 192
  • 3 Mins Read

अपने दिल को
उठाने की मैं
बार बार कोशिश
करती हूं लेकिन
चारों तरफ
जिन लोगों से मैं
घिरी हूं वह
बार बार मुझे पीछे की तरफ
खींचते हैं
मेरे दिल में कोई
ख्वाब सजने ही नहीं
देते
उसे बार बार
बड़ी ही बेरहमी
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नकारात्मक,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मैं अकेली

  • Edited 2 years ago
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  • 162
  • 2 Mins Read

महफिल में
भीड़ थी पर
मैं अकेली
महफिल से
सब आहिस्ता आहिस्ता
चले गये
मैं फिर भी थी
अकेली
कोई सदियों से
इस राह से
गुजरा नहीं
मैं आज भी हूं
अकेली
मैं एक कब्र हूं या
हूं एक इंसान
यह अब तक है
एक पहेली।

मीनल
सुपुत्री
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मैं अकेली ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

दिल जो टूटेगा

  • Edited 2 years ago
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  • 269
  • 2 Mins Read

दिल तोड़ने वाली
बातें
जो चारों तरफ होंगी तो
सांस लेने में तो
तकलीफ होगी ही
दिल में दरारें
पड़ने लगेगी
वह चटकने लगेगा
दिल जो फिर टूटेगा तो
दूर तलक
आवाज तो होगी ही।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन
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दिल जो टूटेगा ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

एक मृतक के समान

  • Edited 2 years ago
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  • 200
  • 2 Mins Read

कितना
गिरेगा
यह समाज और
इसका स्तर
इन्हें
खुद को
एक मृतक के समान
खुद के संस्कारों का
हनन करते हुए
खुद को जिन्दा
जमीन में गाड़ने में
कोई शर्म ही महसूस नहीं
होती।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन
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एक मृतक के समान ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

घर किसी का तोड़कर

  • Edited 2 years ago
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  • 134
  • 2 Mins Read

घर किसी का
तोड़कर
कभी कोई आबाद
रह पाया है
मौत के कब्रिस्तान की
जमीन पर
कभी कोई
सपनों के महल
बना पाया है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़
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घर किसी का तोड़कर ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

यह खुदा का फैसला

  • Edited 2 years ago
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  • 138
  • 2 Mins Read

वह सोचता रहा
रात भर करवट
बदलता रहा
यह खुदा का फैसला
उसके हक में था या
उसके खिलाफ जो उसे
उम्र भर का दर्द दे गया।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़
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यह खुदा का फैसला ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मन की आंख से

  • Edited 2 years ago
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  • 155
  • 2 Mins Read

खुली आंख से
क्या
मैं तो बंद आंख से भी
देख लेती हूं
पढ़नी हो जब जब
किसी के मन की किताब
मैं उसे अपनी मन की आंख से
पढ़ लेती हूं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी
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मन की आंख से ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

न दर्पण न अर्पण

  • Edited 2 years ago
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  • 308
  • 3 Mins Read

न कोई
दर्पण
न किसी का
अर्पण चाहिए
अब मुझे
मुंह से निकली
किसी की कोई भी बात
आज तक मैंने सच होते नहीं
देखी
किये हुए वायदों पर किसी को
खरा नहीं पाया
दिल के रास्तों को कभी
सीधा और सच्चा नहीं पाया
मेरे
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न दर्पण न अर्पण ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

ऐ सूरजमुखी के फूल

  • Edited 2 years ago
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  • 153
  • 4 Mins Read


सूरजमुखी के फूल
तुम मुझे हवा संग
झूलते
बहुत अच्छे लगते हो
तुम्हारी मुस्कान
तुम्हारी कलियों सी ही खिलकर
सूरज की किरणों सी
कितनी दूर तक फैल जाती है
तुम्हारी राह से मैं
जब जब गुजरूं तो
तुम झुककर
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ऐ सूरजमुखी के फूल ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

धूप के कारण

  • Edited 2 years ago
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  • 271
  • 2 Mins Read

गर्मी में
धूप के कारण
कोई छत पर
नहीं आता
सर्दी में
धूप के कारण ही
सब छत पर
आते हैं
धूप वही
छत वही
लोग वही
बस मौसम के मिजाज के
बदलते ही
अपनी अपनी जरूरतों के मुताबिक
लोगों के आचरण भी
बदल जाते हैं।

मीनल
सुपुत्री
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धूप के कारण,<span>अतुकांत कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

बहुत अच्छा उदाहरण दिया. आपने. सर्दियों में हम धूप का महत्व समझते हैं. समय के साथ प्राथमिकताएं बदल जाती हैं.

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 2 years ago

बिल्कुल सही

कविताअतुकांत कविता

महकता सा ख्वाब है

  • Edited 2 years ago
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  • 249
  • 2 Mins Read

महकता सा
ख्वाब है
अभी तो
एक ताजे फूल सा ही
यह भी
फूल की ही तरह
मुर्झाकर टूट जायेगा
क्या फिर एक नया ख्वाब
पुराने ख्वाब सा ही
एक नये फूल की तरह
ख्यालों के पेड़ की
उम्मीदों की टहनियों पर
उग पायेगा।

मीनल
सुपुत्री
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महकता सा ख्वाब है ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

वह गुलाब के फूलों का बाग

  • Edited 2 years ago
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  • 298
  • 3 Mins Read

हर रोज
जो मैंने
तुम्हें एक गुलाब का फूल
तोड़कर दिया तो
वह गुलाब के फूलों का
बाग तो
बहुत जल्द खाली हो
जायेगा
उजड़ जायेगा
तबाह हो जायेगा
बर्बाद हो जायेगा
खत्म हो जायेगा
तुम तो रह लोगी जिन्दा
बिना
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वह गुलाब के फूलों का बाग ,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 2 years ago

बहुत सुंदर

कविताअतुकांत कविता

मैं एक तितली अंजानी सी

  • Edited 2 years ago
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  • 171
  • 2 Mins Read

मैं
एक तितली
अंजानी सी
बाग के
फूलों के रंगों से
अपने ही रंगों की तरह
न जानी पहचानी सी
रंग देखती
अब मैं
आकाश के बादलों में
आकाश पर
न जाने अब
क्यों दिखे मुझे
बेरंग
प्रेम में हारे हुए
किसी परवाने सा
चारों
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मैं एक तितली अंजानी सी ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मेरे मन का मधुबन

  • Edited 2 years ago
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  • 227
  • 2 Mins Read

अर्पित
क्या करूं मैं
तुम्हें
एक फूल या
अपना जीवन
इन सबके ऊपर
मुझे सबसे प्रिय हो
तुम
मांग कर तो देखो
मैं अपनी जान दे दूं
सांसें तुम भरोगे तो
महकेगा मेरे मन का
मधुबन।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद
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मेरे मन का मधुबन,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

पूर्णिमा का चांद

  • Edited 2 years ago
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  • 249
  • 5 Mins Read

कल सांझ होते ही
मेरे कमरे की
खिड़की से लटका
आसमान में टंगा
कुछ ज्यादा ही चमकता
कुछ ज्यादा ही रोशनी बिखेरता
पूर्णिमा का चांद देखा
आहिस्ता आहिस्ता
वह अपने सफर पर
बढ़ता रहा
मैंने भी खिड़की पर
पर्दा
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पूर्णिमा का चांद ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

प्यार के भंडार से

  • Edited 2 years ago
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  • 200
  • 3 Mins Read

मैं जी रही हूं
तेरी यादों को
सीने से लगाकर
बिना रुके
लगातार
चल रही हूं
जिंदा रहते तुम्हारे
प्यार पाया है
तुम्हारा
इतना कि
उसी प्यार के भंडार से
अपनी भावनाओं का
पालन पोषण अब
कर रही हूं
इतना
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प्यार के भंडार से ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

दिल में एक लहर सी

  • Edited 2 years ago
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  • 246
  • 2 Mins Read

दिल में
एक लहर सी ही
उठती रहे
खुशियों की और
उम्मीदों की
खुदा न करे
किसी पर कभी कोई
बुरा वक्त आये और
यह खुशनुमा लहर
बन जाये
दुखों और दुविधाओं से भरे
एक भंवर सी।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन
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दिल में एक लहर सी ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मिट्टी का बर्तन

  • Edited 2 years ago
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  • 181
  • 2 Mins Read

यह मिट्टी का
बर्तन था
एक कांच का प्याला
कितना सम्भाला
पर आखिरकार टूट ही
गया
जब जो होना होता है
वह होकर रहता है
खुदा भी कहां तक
सम्भाले
यह भी तो सोचे कोई
वह भी तो कभी कहीं
थकता ही होगा।

मीनल
सुपुत्री
Read More

मिट्टी का बर्तन ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

कठपुतली

  • Edited 2 years ago
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  • 343
  • 2 Mins Read

कोई भी
निर्णय लेना
तब बहुत कठिन हो जाता है
देखा जाये तो
बिल्कुल ही असम्भव
जब उस व्यक्ति के
जीवन की गतिविधियों की
डोर
दूसरे लोगों के हाथ में
हो
तब वह मात्र
एक कठपुतली बनकर
रह जाता है
एक मूकदर्शक
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कठपुतली ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

दिल एक तिजोरी है

  • Edited 2 years ago
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  • 252
  • 5 Mins Read

दिल
एक तिजोरी है
इसे किसी को
दिखाने की आवश्यकता
नहीं
इसकी चाबी
अपने पास ही रखनी चाहिए
इसे किसी के
हाथ में थमाकर
उससे खुलवाने की
जरूरत नहीं
यह एक अनमोल खजाना
है
अपने प्रियजनों की
प्यार भरी यादों
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दिल एक तिजोरी है,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

वह फूल कांटा ही चुभाता है

  • Edited 2 years ago
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  • 295
  • 4 Mins Read

जब जब
उस फूल के
समीप जाओ
वह कांटा ही
चुभाता है
फितरत है उसकी और
मैं भी अपने हाथों मजबूर कि
मैं बार बार उसके
पास जाती हूं
इस आस में कि
शायद कभी तो
उसमें उम्र के साथ
कोई बदलाव आये
सुधार आये
दिल में
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वह फूल कांटा ही चुभाता है,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 2 years ago

आदरणीया रचना प्रतियोगिता में attach नही हुई है

कविताअतुकांत कविता

सम्पूर्ण सृष्टि का प्यार

  • Edited 2 years ago
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  • 226
  • 3 Mins Read

आसमान से
उतरा बादल
जमीन पर गिरा
बारिश की
एक बूंद बनकर
जल के उस भराव में
झांक रहा
सम्पूर्ण सृष्टि का प्यार
दुलार रहा जैसे
आज मौसम के
सिर पर हाथ फेरकर
किसी मां का
ममता भरा कोमल स्पर्श
उसका स्वच्छ
Read More

सम्पूर्ण सृष्टि का प्यार,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मैं तन्हा हूं

  • Edited 3 years ago
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  • 294
  • 3 Mins Read

मैं तन्हा हूं
पर खुश हूं
सजा लेती हूं
खुद को और
घर को भी
महका लेती हूं
फूलों से
और प्यार की
खुशबू से
खोल लेती हूं
घर की खिड़की
हवा को अंदर आने
देती है
इसे देख नहीं सकती
पर इसके स्पर्श से
रोमांचित
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मैं तन्हा हूं,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मन की रफ्तार

  • Edited 3 years ago
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  • 178
  • 2 Mins Read

मन का दर्पण
आज
धुंधला दिखा तो
पत्ते पर पड़ी
ओस की बूंद के
दर्पण में ही
देख ली
अपनी छवि
जीने के लिए बस
एक जरिया चाहिए
बहने के लिए बस
एक दरिया चाहिए
रुकनी नहीं चाहिए
कभी यह
मन की रफ्तार
रास्ते मिलें
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मन की रफ्तार ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

फूल, तितली और पत्तियां

  • Edited 3 years ago
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  • 295
  • 3 Mins Read

एक छोटा फूल
सफेद रंग का
रुई सा हल्का
ओस की बूंद सा पारदर्शी
एक श्वेत चादर में लिपटा
बर्फ की परत सा
एक तितली
उससे लिपटी
लग रही है
एक बड़े फूल सी
काली पीली
काली रात सी
पीले चांद सी
कहीं उनके बीच से
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फूल, तितली और पत्तियां,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

सितारा

  • Edited 3 years ago
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  • 224
  • 3 Mins Read

सितारा
सितारा होता है
सितारे का
एक सितारा बना रहना ही
ठीक है
शरारा
अंगारा
आग की लपट
एक सुलगती चिंगारी
एक धधकती अग्नि की ज्वाला
एक सूरज सा विस्फोटक
ज्वालामुखी बनना
उसके लिए
उचित नहीं
खुद के
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सितारा,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

एक लहराते पंछी सी

  • Edited 3 years ago
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  • 217
  • 4 Mins Read

चिड़िया
तुम कितनी छोटी सी हो
प्यारी सी हो
भोली भाली सी हो
तुम्हें शायद पता भी नहीं
तुम तो दर्पण में झांककर
खुद को पहचान भी नहीं
पाओगी
मैं अपनी हथेलियों पर
तुमको धर दूंगी तो
मेरे स्पर्श को जान
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एक लहराते पंछी सी,<span>अतुकांत कविता</span>
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रवि शंकर

रवि शंकर 3 years ago

वाह

कविताअतुकांत कविता

एक नन्ही परी

  • Edited 3 years ago
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  • 219
  • 7 Mins Read

एक नन्ही सी
परी
आई इस धरती पर
विचरने को
कुछ लम्हों के लिए
फिर लौट गई वापिस
परीलोक में
भारी मन लिए
नाखुश थी वह
पृथ्वीलोक के बिगड़े हालात देखकर
रो रही थी
उसकी आहें दम तोड़ रही थी
सांस लेने में उसे
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एक नन्ही परी,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

निर्वाण

  • Edited 3 years ago
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  • 195
  • 5 Mins Read

तुम कितने सुंदर
फूल हो
एक नील परी से
मखमल के हरे पत्तों में
लिपटे
एक नीले आकाश की झील के
कंवल से
यह तुम्हारे नाक की नथ और
कान की बाली
जब हवा संग लहराती है तो
उग आती है सूरज के होठों पर
लाली
तुम नीलकंठ
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निर्वाण,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

जीवन के सपनों को

  • Edited 3 years ago
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  • 161
  • 2 Mins Read

मैं तुम्हें
प्रकाश देता हूं
तुम ले लो
तुम मुझे जल दे दो
मैं ले लूंगा
जिसके पास जो है
वह दूसरों को दे दें
ऐसे ही आदान प्रदान से
परस्पर सहयोग से
प्रेम से परिपूर्ण भावना से
जीवन के सपनों को
साकार
Read More

जीवन के सपनों को,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मैं एक फूल सी कोमल सुकन्या

  • Edited 3 years ago
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  • 257
  • 5 Mins Read

पानी की धार भी
किनारे से
किश्ती भी लगी हुई है
लेकिन सोच रही हूं कि
नदी के उस पार
जाऊं या न जाऊं
इस पार भी अकेली
मझधार में भी अकेली
उस पार भी अकेली
उस पार चाहे कोई जंगल हो
हो चाहे उपवन
मैं एक फूल सी
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मैं एक फूल सी कोमल सुकन्या,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

नमस्कार मीनल जी अच्छा लगा आपको पुनः देखकर आशा है आप स्वस्थ होंगी 🙏🏻

कविताअतुकांत कविता

फूल के चेहरे पर

  • Edited 3 years ago
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  • 189
  • 3 Mins Read

फूल के चेहरे पर
आज निखार है
हल्की हल्की गुलाबी रंगत की
परत चढ़ी है और
सोने की स्वर्णिम चमक सा
श्रृंगार है
कोयल की बोली से
शहद का रस टपक रहा
कुदरत आज हुस्न की
शोखी पर
कुछ ज्यादा ही मेहरबान है
सूरज
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फूल के चेहरे पर,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब 👌🏻

कविताअतुकांत कविता

सात समंदर पार कहीं

  • Edited 3 years ago
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  • 203
  • 3 Mins Read

ऐ पंछी
तुम उड़ रहे आकाश में
मैं तुम्हारी छवि देखूं
पानी की बरसाती में
पंख फैलाकर उड़ते हो
जमीन पर उतरकर
मेरे पास भी नहीं आते
जितना जोर से
मैं तुम्हें पुकारूं
उतना ही दूर तुम
मुझसे कहीं चले जाते
तुम
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सात समंदर पार कहीं,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

कविताअतुकांत कविता

एक नारंगी रंग के फूल सा

  • Edited 3 years ago
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  • 191
  • 3 Mins Read

एक नारंगी रंग के
फूल सा
दिल मेरा
कंचे की गोली सा
अटका है
उसके गले में
आसमान का भंवरे सा
नीला मन
हरे मखमली पत्तों के
सपनों से बिछौने पर
आ समा जा मेरी
सांसों में
जैसे फूल के होठों से
लिपटकर
उसके
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एक नारंगी रंग के फूल सा,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मैं आसमान तक जाकर

  • Edited 3 years ago
Read Now
  • 203
  • 3 Mins Read

मैं
लाल फूलों से लदे
पेड़ की डाल पर पड़े
झूले में झुलूं
पेंग बढ़ाकर
एक पंछी सी
आसमान के
बादलों के पर छू लूं
तुम आसमान से झड़ रहे
बादलों के पत्तों को
एक एक करके
अपनी झोली फैलाकर
उनमें समेटते रहना
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मैं आसमान तक जाकर,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

प्रेम की सुगबुगाहट

  • Edited 3 years ago
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  • 220
  • 5 Mins Read

घर के बाहर
अपने बगीचे में
फूलों के पौधों के बीच
कुर्सी पर बैठकर
मैं अपने पालतू
दो बिल्लियों को खाना
खिला रही
यह दोनों खाना खा रही हैं तो
पेट भर रहा मेरा
यह मेरे पास बैठी हैं तो
जैसे एक आत्म संतोष
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प्रेम की सुगबुगाहट,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

रेशम से एक ख्वाब

  • Edited 3 years ago
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  • 231
  • 3 Mins Read

तुम मेरे
रेशम से एक ख्वाब हो
रेशम सी भोर में
रेशम सी दिल की
हिलोर में
रेशम का एक ख्वाब
बुनु मैं
रेशम की डोर
रेशम की अंगुली में थामे
रेशम के धागों को
अपनी ओर खींचू मैं
इंतजार करूं मैं
पल पल तेरी
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रेशम से एक ख्वाब,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

जिन्दगी का सफर

  • Edited 3 years ago
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  • 218
  • 4 Mins Read

जिन्दगी का सफर
काफी तय कर लिया
मैंने
पीछे मुड़कर देखती हूं तो
यह लम्बा रास्ता
काफी हद तक
पार कर लिया
मैंने
मंजिल पर ही खड़ी हूं या
मंजिल अभी दूर है
यह पता लगाना तो
मुश्किल है
चलते रहना है
आगे
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जिन्दगी का सफर,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

मीनल जी क्या आप मुझे फेसबुक मैसेंजर पर पिंग कर सकती हैं। मेरा प्रोफाइल eron नाम से है। मुझे आआपकी रचना की 2 पंक्तियां एवम फ़ोटो चाहिए साहित्य अर्पण लाइव के लिए।

कविताअतुकांत कविता

असली फूलों के दीदार को

  • Edited 3 years ago
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  • 179
  • 4 Mins Read

यह फूल
उपवन से तोड़कर
गुलदस्ते में सजाकर
तुमने क्यों रख दिये
ऐ मेरे दोस्त
दर्द से गुजरे होंगे जो
पेड़ की टहनी से टूटे
होंगे
जरा इनके दिल पर
हाथ रख दूं
जाते जाते कुछ कह रहे होंगे
फूल तो सजे हैं
मेरे
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असली फूलों के दीदार को,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत प्यारी सी रचना

कविताअतुकांत कविता

हरि की धुन

  • Edited 3 years ago
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  • 174
  • 4 Mins Read

झील पर तैरती
एक किश्ती
किश्ती पर सवार
हम दोनों
चल रहे
एक हरे पत्तों से ढके
जंगल की ओर
पेड़ों पर पत्ते हैं
कंवल के तन पर लदे भी
उसके हरे पत्ते हैं
आसमान का नीला रंग तो
दिख ही नहीं पा रहा
इन घनेरी
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हरि की धुन,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

कितनी शांत कितनी स्थिर सी लगी यह रचना, बुत प्यारा सा ताना बाना बुनती हुई रचना

कविताअतुकांत कविता

यह प्रकृति एक सुंदर पुस्तिका

  • Edited 3 years ago
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  • 322
  • 3 Mins Read

यह प्रकृति
एक सुंदर पुस्तिका है
हो सके तो इसे
समय निकालकर
पढ़ो
इसके हर कण में
एक अलौकिक अहसास है
इसकी हर श्वास में
प्रभु का वास है
हो सके तो
इसका अहसास बुनो
अपनी रचनात्मकता को
एक नई उड़ान दो
हो
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यह प्रकृति एक सुंदर पुस्तिका ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

अदृश्य सी कोई आस

  • Edited 3 years ago
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  • 199
  • 3 Mins Read

गिटार बजाता है
एक गीत सुनाता है
दूर से आ रही है उसकी
आवाज
बड़े ही मनोयोग से
अपने पास बुलाता है कोई
एक आभास है
अदृश्य सी कोई आस है
भीनी भीनी फूलों की खुशबुओं का
संसार है
मेरे दिल की धड़कन में सांस
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अदृश्य सी कोई आस,<span>अतुकांत कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

पाठक को अंत तक बांध रखा। बहुत खूब!

Kumar Sandeep

Kumar Sandeep 3 years ago

उम्दा👌👌

कविताअतुकांत कविता

सूखते हुए दो पत्ते हम

  • Edited 3 years ago
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  • 217
  • 3 Mins Read

बचपन से लेकर
यौवन तक
यौवन से लेकर
उम्र के आखिरी पड़ाव तक की यात्रा
तेरे साथ
यह सानिध्य बना रहे
यह रिश्ता यूं ही चलता रहे
यह मन का बंधन
एक दूसरे के मन से
ऐसे ही बंधा रहे
पेड़ के तने की डाली पे
झूलते
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सूखते हुए दो पत्ते हम ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मेरे घर का सामान

  • Edited 3 years ago
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  • 234
  • 3 Mins Read

मेरे घर की ही तरह
मेरे घर का सामान भी
कितना सुंदर है
मेरे बगीचे की क्यारियों में लगे
फूल पत्तियों के रंगों की तरह ही
इनका रंग कितना शोख, चटख और
चमकीला है
कितना हसीन और
रंगीन है
मेरे ही स्वभाव की
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मेरे घर का सामान ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

एक झिलमिलाती सुबह

  • Edited 3 years ago
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  • 212
  • 3 Mins Read

यह एक झिलमिलाती
सुबह है
फूलों की फसलों सी लहलहाती
कलियों के लशकारों सी मुस्काती
चांदनी के रंग बिखेरती
खुशबुओं के उपवनों सी
खिलखिलाती
हवाओं की शोखियों सी
डगमगाती
तुम्हारे कदमों की आहटों सी
भीतर
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एक झिलमिलाती सुबह ,<span>अतुकांत कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर रचना

कविताअतुकांत कविता

कांच के गिलास में

  • Edited 3 years ago
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  • 184
  • 3 Mins Read

तितलियां कलियों सी
परियां किरणों सी
धूप का मुखड़ा
बादल का टुकड़ा
समेटकर
सहेजकर
बड़े प्यार से
सजा दिया है मैंने
आज अपने शीशे के घर के
शयनकक्ष में मेज पर रखे
पारदर्शी सफेद चमकीले
कांच के गिलास
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कांच के गिलास में,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मौसम का मिजाज

  • Edited 3 years ago
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  • 239
  • 3 Mins Read

यह मौसम का मिजाज
आज कुछ बदला बदला है
लगता है
बारिश हुई है
पानी बरसा है
थोड़ा बहुत
रास्ते का आंचल भी
थोड़ा थोड़ा
गीला गीला है
पैर न फिसल जाये
कहीं मेरा जो
इन पानी से भरे रास्तों पर
चलूं
परछाई से
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मौसम का मिजाज,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

अभिनंदन

  • Edited 3 years ago
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  • 176
  • 4 Mins Read

यह घर का दरवाजा
खुलेगा
थोड़ी प्रतीक्षा करो
खुलेगा
रात को देर से सोया है
लगता है
सुबह देर तक सो रहा है
किसी अंजानी डगर पर
सपनों की दुनिया में
खोया है
घर लौटकर आने में कुछ समय तो
अवश्य लगेगा
भोर
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अभिनंदन,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

रात के आकाश में जागता एक चांद

  • Edited 3 years ago
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  • 217
  • 4 Mins Read

क्या लिखूं
अपने दिल की दास्तान
एक दर्द का दरिया है
जिन्दगी सामने खड़ी है
थकती नहीं
लेती रहती है रोज
एक नया इम्तिहान
मैं तो रात के आकाश में
जागता एक चांद हूं
दर्द समेटे हैं सितारों के
छलका दूं
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रात के आकाश में जागता एक चांद,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

ऐ फूल

  • Edited 3 years ago
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  • 149
  • 5 Mins Read

ऐ फूल
तुम खिलते हो
फिर मुर्झा जाते हो
यह तुम्हारी इतनी छोटी सी
जीवन यात्रा
पानी के एक बुलबुले सी
सच कहूं तो
मुझे तो पसंद नहीं आती
लोग भी न जाने कितने
बेरहम हैं
तुम्हें तोड़ लेते हैं
तुम्हारे पेड़
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ऐ फूल,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

असमंजस में

  • Edited 3 years ago
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  • 181
  • 2 Mins Read

कोहरे की चादर में
लिपटा
आसमान का नीला रंग भी
फूलों का पीला रंग भी
पत्तियों का हरा रंग भी
जमीन का भूरा मटमैला
रंग भी
सब कुछ बांधकर एक पोटली में
उड़ चली है
एक चिड़िया
खोलकर उसे देखेगी
किसी एकांत
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असमंजस में,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मेरे दिल की मंजिल

  • Edited 3 years ago
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  • 168
  • 5 Mins Read

रास्ता भी है
मंजिल भी कितनी
करीब है
लेकिन मैं ही
प्रकृति के इस सुंदर
दृश्य पर छाई
एक कोहरे की परत सी
दिख नहीं रही
मैं खुद को ढूंढ रही हूं
इन धुंधली
बादलों से ढकी
वादियों में
सड़क किनारे खड़े
पेड़ों
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मेरे दिल की मंजिल,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

एक अविकसित सा फूल

  • Edited 3 years ago
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  • 236
  • 3 Mins Read

मैं कोई समुन्दर का किनारा
नहीं
सागर की लहरों
तुम मुझसे
मत टकराओ
मैं तो एक अविकसित सा
फूल हूं
हवाओं के थपेड़ों
तुम मुझे न गिराओ
सुना है
जीवन बाधाओं और
दुविधाओं से भरा
पड़ा है पर
मुझे अनुभव नहीं
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एक अविकसित सा फूल,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

नदिया के पार

  • Edited 3 years ago
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  • 218
  • 3 Mins Read

नदिया के पार
एक फूलों का संसार
संकुचित नहीं
एक विस्तृत
फैली हुई
जल की फुहार
प्यार बरसाती एक धार
वहां रोशनी है
रंग है
खुशबुओं का मेला है
कोई नहीं अकेला है
आसमान है
बादल है
कोहरे की एक झीनी झीनी
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नदिया के पार,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

घर का द्वार खुला है

  • Edited 3 years ago
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  • 444
  • 5 Mins Read

घर का द्वार
खुला है
भीतर आ जाओ
फूलों से घर का
हर एक कोना सजा है
पतझड़ यहां बहारों से
मिलने आओ
दिल से
इतने प्यार से
किसी को कोई न्योता नहीं देता
स्वागत नहीं करता
इतनी मनुहार नहीं करता
मेरे प्रेम
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घर का द्वार खुला है,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मेरे दिल का फूल

  • Edited 3 years ago
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  • 223
  • 4 Mins Read

सोचती हूं
एक पेड़ की छांव में बैठ
झांककर देखूं
मन के उपवन में कि
मेरे दिल का फूल
समय से पहले क्यों
मुर्झा रहा
कौन है जो उसे
अपने पास बुला रहा
उसे आवाज देकर
पुकार रहा
उसके आसपास मौजूद
रहता है हरदम
Read More

मेरे दिल का फूल,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

सफेद गुलाब के फूलों का दीदार

  • Edited 3 years ago
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  • 374
  • 4 Mins Read

आज का दिन
यह पल जीवन का
सफेद गुलाबों सा
महकता रहे
आज मुझे कोई रंग न
दिखे
कोई समय की गति न
दिखे
सब कुछ स्थिर दिखे
ठहरा दिखे
खामोश दिखे
बिना रंग
बिना स्वाद का
दिखे
एक शीतल हवा की
फुहार को
बस मैं महसूस
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सफेद गुलाब के फूलों का दीदार ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

दो फूल

  • Edited 3 years ago
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  • 193
  • 4 Mins Read

खरपतवार के केशों में
टांक गया है
दो फूल कोई
एक दूसरे से रूठे
अजनबी से
दोनों मुंह लटकाये
अलग अलग दिशा में
देख रहे हैं
बिल्कुल एक जैसे हैं
जैसे हो
एक दूसरे के पूरक
एक दूसरे के लिए बने
फिर भी
एक
Read More

दो फूल,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

धागे पहले उलझते हैं

  • Edited 3 years ago
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  • 244
  • 4 Mins Read

धागे पहले
उलझते हैं
फिर सुलझते हैं
रंग पहले बिखरते हैं
फिर आकृतियों का रूप लेकर
कोरे कागज के टुकड़ों पर
सजते हैं
जीवन पहले मिलता है
फिर समय के साथ साथ
उसका हाथ पकड़कर
चलता है
चलते चलते थक जाता
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धागे पहले उलझते हैं,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

काश यह मेरा घर होता

  • Edited 3 years ago
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  • 211
  • 4 Mins Read

काश यह मेरा
घर होता
आसमान के पार
जंगल के एकांत में
बसा
एक खुदा का
दर होता
मुझे किसी की जहां
आवाज न सुनती
बस चिड़ियों का बसेरा
और आशाओं का सवेरा
होता
जहां मुझे चैन की
बिना सपनों की नींद
आ जाती
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काश यह मेरा घर होता,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

खेल खेल में

  • Edited 3 years ago
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  • 171
  • 3 Mins Read

मैं स्वतंत्र होना
चाहती हूं
दूसरे को जाल में
फंसाकर
उसकी जान लेकर
अपना जीवन सुधारना
चाहती हूं
दूसरे का जीवन लेकर
उसे मौत की गहरी नींद
सुलाकर
उसका जीवन छीनकर
उसे मौत देकर
यह तालाब के किनारे
Read More

खेल खेल में,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मोहब्बत करते रहो

  • Edited 3 years ago
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  • 198
  • 2 Mins Read

जहर सी जिन्दगी
पीते रहो
अमृत की एक धार
समझ कर
मोहब्बत करते रहो फिर
मोहब्बत से भरे दिल को
कभी भूले से भी
मोहब्बत न करने की
कसम दिलाते रहो
फिर आदत से
बाज न आओ
दिल से सच्ची मोहब्बत
करते रहो और
सबसे
Read More

मोहब्बत करते रहो,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

कचरे के डिब्बे में भरा कचरा

  • Edited 3 years ago
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  • 432
  • 3 Mins Read

कचरे जैसे लोगों को और
ख्यालों को
अपने जीवन और
जेहन से
अभी भी नहीं हटाया तो
बाकी का जीवन बस
खुद भी
कचरे के डिब्बे में भरा
कचरा बनने को
मानसिक रूप से तैय्यार
रहना
कचरे के साथ रहोगे तो
कचरा ही बनोगे
Read More

कचरे के डिब्बे में भरा कचरा ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

मुझसे प्यार है और नहीं भी

  • Edited 3 years ago
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  • 230
  • 3 Mins Read

मुझे मारा भी
जा रहा है
मेरा तिरस्कार भी
किया जा रहा है
मुझसे बुरा व्यवहार भी
किया जा रहा है
लेकिन विश्वास भी
मेरे ऊपर ही किया जा
रहा है
मुझसे प्यार है और
नहीं भी
मैं सामने हूं तो
कोई वार्तालाप
Read More

मुझसे प्यार है और नहीं भी,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

दरिया नहीं सूखेगा

  • Edited 3 years ago
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  • 119
  • 3 Mins Read

सागर में गिरने तक
दरिया नहीं सूखेगा
यह वादा है उसका
खुद से
जीना भी है
मौत जैसा पर
वह मौत से नहीं डरेगा
लड़ेगा बेखौफ
आखिरी सांस तक
मरते दम तक
जिन्दगी मर मरकर नहीं जियेगा
यूं तो न कोई ख्वाब पूरा
Read More

दरिया नहीं सूखेगा ,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर

कविताअतुकांत कविता

वक्त की तलवार की धार

  • Edited 3 years ago
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  • 342
  • 2 Mins Read

रुला तो बेशक
दिया है मुझे लेकिन
देखना यह जिन्दगी भी
तुम्हें बहुत रुलायेगी
जो बिना बात
बिना वजह
देते हैं दूसरों को
तकलीफ और
असहाय दर्द हरदम
उन्हें वक्त की तलवार की
धार
हंस हंसकर मारती है
बेशर्म
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वक्त की तलवार की धार ,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

क्या कहने बेहतरीन 👌🏻

कविताअतुकांत कविता

बया के घोंसले सी

  • Edited 3 years ago
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  • 431
  • 2 Mins Read

बया के घोंसले सी
लटकी रहती हूं
मैं तो
ख्यालों की एक तार पे
मन ही मन
सोचती हूं कि
आज रात
ख्वाब में
बयां से गुजारिश करूंगी कि
वह तिनके जोड़ जोड़कर
कैसे बुनती है
कला का एक नायाब नमूना
अपना एक छोटा
Read More

बया के घोंसले सी,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूबसूरत 👌🏻

कविताअतुकांत कविता

पेड़ बनकर नहीं तलवार बनकर

  • Edited 3 years ago
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  • 191
  • 5 Mins Read

एक बीज बोया
प्रेम का
सोचा हमेशा की तरह ही
एक पेड़ बनकर उगेगा
आंखों को यही सब
देखने की
आदत जो है
इतनी सदियों से लेकिन
सोच के विपरीत हो रहा है
आजकल के युग में
सब
सब कुछ उलट पुलट
तहस नहस
विरोध में
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पेड़ बनकर नहीं तलवार बनकर,<span>अतुकांत कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

मैम कृपया रचना के साथ रचना से जुड़ी तस्वीर लगाएं

नेहा शर्मा3 years ago

मीनल जी यह आप ही कर ही सकती हैं जैसे आप अपनी फोटो लगा रही है रचना प्रकाशित करने के बाद बस यही आपको अपनी तस्वीर का चुनाव करने के बजाय आपकी रचना की तस्वीर का चुनाव करना है इसके लिए आप गूगल से कोई भी तस्वीर डाऊनलोड कर अपने फोन में सेव कर सकती हैं ताकि जब आप तस्वीर लगाए तो अपनी तस्वीर के बजाय वह तस्वीर लगा दें।

Minal Aggarwal3 years ago

यह तो आप ही कर सकते हैं। मैं भला कैसे?

कविताअतुकांत कविता

वह आदमी

  • Edited 3 years ago
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  • 149
  • 2 Mins Read

वह आदमी
इतना अच्छा है
इतना अच्छा है कि
इससे ज्यादा अच्छा
होने की अब गुंजाइश
नहीं है बाकी लेकिन
दुनिया को
वह आदमी इतना बुरा
लगता है
इतना बुरा लगता है कि
उनकी सोच में
देखने के तरीके में
समझने की
Read More

वह आदमी,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

कविताअतुकांत कविता

काजल

  • Edited 3 years ago
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  • 149
  • 2 Mins Read

तेरी आंखों में काजल
मेरी आंखों में सूरमा
है रोशनी में
एक अंधकार की लकीर सा पर
रात में
दिखे तेरे हुस्न के
नजारे सा
चांद चांदनी से
मिल पाता है
रात के अंधेरे में ही
यह तेरी आंखों के काजल में
मेरी
Read More

काजल,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर

कविताअतुकांत कविता

प्यार इस जन्म का

  • Edited 3 years ago
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  • 183
  • 2 Mins Read

प्यार इस जन्म का
कई जन्मों के लिए
पर्याप्त मेरे लिए
अपनी जिन्दगी की
हर सांस लिख दी है
तेरे नाम
मेरी आती जाती
हर एक श्वास
कर्जदार
तेरे प्यार भरे संसार की।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन
Read More

प्यार इस जन्म का,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

अपना अपना दर्द

  • Edited 3 years ago
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  • 181
  • 2 Mins Read

अपना कोई खो जाये तो
लुट जाती है दुनिया
इस दर्द से यूं तो गुजरते हैं
सभी पर
अपना अपना दर्द संभालते हैं
किसी और का नहीं
सबकी कहानी एक सी है पर
अपनी कहानी की तरह
दूसरे की कहानी को नहीं
समझते
प्यासे
Read More

अपना अपना दर्द,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

गुजारिश

  • Edited 3 years ago
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  • 130
  • 4 Mins Read

जिस काम के लिए
लोगों से
जितनी गुजारिश करो कि
वह इसे न करें
या यह बात वह न कहें
वह उस काम को उतना ही करते हैं,
उस बात को उतना ही कहते हैं और
बार बार दोहराते हैं
दूसरे के आत्मसम्मान को
ठेस पहुंचाकर
उन्हें
Read More

गुजारिश,<span>अतुकांत कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

मैम रचना के साथ अपनी नहीं रचना से जुड़ी कोई तस्वीर लगाएं

कविताअतुकांत कविता

तारीफ

  • Edited 3 years ago
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  • 208
  • 3 Mins Read

तारीफ वही करता है
मेरी
जो मुझे जानता नहीं
जो मुझे जानता है
वह अचंभित रहता है
विस्मित रहता है
दिल ही दिल में
एक अंगीठी में
जलते कोयले सा
भभकता है
तारीफ नहीं करता और
करता भी है तो
बेमन से
तारीफ
Read More

तारीफ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

गुलाब की टहनी

  • Edited 3 years ago
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  • 166
  • 3 Mins Read

गुलाब की टहनी
आज झुकी हुई है
कुछ मायूस सी है
खामोश भी
कुछ बोल भी नहीं रही है
आज वातावरण में अपनी
भीनी भीनी सुगंध
फैलाकर उसे
सुगंधित भी नहीं बना रही
ऐसा लगता है कि
कांटो का साथ आज
उसे एक दर्द की
Read More

गुलाब की टहनी,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

हर महफिल दिल की

  • Edited 3 years ago
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  • 148
  • 2 Mins Read

हर महफिल
दिल की मेरी
तेरे बिना पर
तेरे लिए ही सजती है
खामोश हैं लब
होठों पर तेरा नाम नहीं पर
हर दिल की गली
हर प्यार का घर और
हर याद की दीवार
तेरे ही नाम की रोशनी से
महकती है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद
Read More

हर महफिल दिल की,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

यह घर मेरा नहीं

  • Edited 3 years ago
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  • 171
  • 2 Mins Read

यह घर मेरा नहीं
पर मुझे अपना सा
लगता है
कुछ सपने जो
हम देखते हैं और
अधूरे होते हैं
वह कभी कभी
हकीकत में
सामने पड़ जाते हैं
हासिल बेशक न कर पाओ पर
कुदरती रूप से
खुद-ब-खुद
दूर से ही सही पर
पूरे अवश्य
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यह घर मेरा नहीं,<span>अतुकांत कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत सुंदर

कविताअतुकांत कविता

एक साया सा

  • Edited 3 years ago
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  • 171
  • 3 Mins Read

कदम लड़खड़ा जाते हैं
अब भी
कि लड़कपन अभी तक नहीं गया
बचपन कहता है कि
अब तू उम्र के उस पड़ाव पर है
कि खेलना बंद कर और
हाथ छोड़ मेरा
मैं मन ही मन
सोचती हूं कि
मुझे खुद को गर
जीवित रखना है तो
जेहन में
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एक साया सा,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

फूल या कांटा

  • Edited 3 years ago
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  • 212
  • 3 Mins Read

फूलों सा अहसास
होता है
कभी कांटों सी चुभन
मैं फूल हूं या
एक कांटा
यह मैं समझ ही
नहीं पाती
जैसे ही किसी निष्कर्ष पर
पहुंचती हूं
इस दुनिया के लोग
मुझे फिर
गुमराह कर देते हैं
वह मुझे मजबूर करते
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फूल या कांटा,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

अदब की निशानी

  • Edited 3 years ago
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  • 239
  • 2 Mins Read

एक दरख्त की
शाख झुक जाती है
जब बहारों के मौसम में
कलियों की सुगंधित बयार
उस पर एक गुलदस्ते सी
लटक जाती है
झुककर किसी को
सलाम करना
उसका स्वागत करना
अदब की निशानी होता है
यह छोटी सी बात तो
एक ताजी
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अदब की निशानी,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब 👌🏻

Minal Aggarwal3 years ago

शुक्रिया

कविताअतुकांत कविता

शिकार

  • Edited 3 years ago
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  • 191
  • 3 Mins Read

उड़ना जानता हो
और काट दिये जायें
उसके पर तो
पंछी क्या करेगा
पिंजरे में भी कैद नहीं
अब तो लेकिन
फिर भी
अब हर कोई उसका
शिकार करेगा
कहां छिप जाये वह जो
कहीं किसी को नजर न
आये
अब तो उसके जीने के
सारे
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शिकार,<span>अतुकांत कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

Minal Aggarwal3 years ago

शुक्रिया

कविताअतुकांत कविता

अंखियों के झरोखों से

  • Edited 3 years ago
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  • 258
  • 3 Mins Read

सुबह की धूप
तुम मेरे कमरे में आना
शाम की धूप
तुम मेरे पास से
चुपके से खिसकना और
खिड़की के रास्ते
लौट जाना
रात के चांद
तुम आसमान में ही
ठहरे रहना
जमीन पर मत उतरना
मैं देख लूंगी तुम्हें
अपनी अंखियों
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अंखियों के झरोखों से,<span>अतुकांत कविता</span>
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