No Info Added By Writer Yet
#Followers 12
#Posts 90
#Likes 14
#Comments 26
#Views 19961
#Competition Participated 1
#Competition Won 0
Writer Points 100075
#Posts Read 122
#Posts Liked 0
#Comments Added 0
#Following 0
Reader Points 610
Section | Genre | Rank |
---|---|---|
कविता | अतुकांत कविता |
London is the capital city of England.
कविताअतुकांत कविता
प्रेम करना
प्रेम जाल में मत
उलझना
जंगल में जाना
फूल चुनना
कांटों के झाड़ में मत
फंसना।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001
कविताअतुकांत कविता
वह तो
पाप के कलश
भरता ही
जा रहा है
कहीं रुक ही नहीं रहा
उसका आत्मविश्वास
खुद के साथ कोई
दुर्घटना न होने के कारण
आसमान की हद पार
कर रहा है
वह सबके साथ बुरा व्यवहार
कर रहा है
जमीन के वासियों को
जो
Read More
कविताअतुकांत कविता
बरखा बरसी पर
कलश खाली
तन हरा पर
मन सूखा और वैरागी
जिस्म गीला पर
आत्मा पर
एक अंजाना सा
बोझ
बहुत भारी
दरवाजा बंद
घर का आंगन सूना
मेरी घर की देहरी को
सबका इंतजार पर
मुझ अभागिन से
किसी को नहीं प्यार
मेरे
Read More
कविताअतुकांत कविता
मेरे घर की
खिड़की से
दिख रही जो
सड़क
मैं उस पर चल नहीं
सकती
आसमान में जो
उड़ रही
पतंग
मैं उसे उड़ा नहीं
सकती
पंछी जो बैठा
बिजली की तार पे
मैं उसको वहां से
हटा नहीं सकती
पेड़ से पत्ते टूटकर जो
गिर
Read More
कविताअतुकांत कविता
यह आसमान
यह बादल
यह पहाड़
यह दरिया
यह धरती
यह हरियाली
यह बगिया
यह फूलों की क्यारी
यह सब मेरा ही तो है
जब मैं प्रभु की
प्रभु मेरे तो
प्रभु की बनाई सृष्टि
मेरी ही तो है
मैं प्रभु में समाई और
प्रभु
Read More
कविताअतुकांत कविता
एक एक करके
सारे दीपक बुझाता जा
रहा है और
अंधेरों को चीरता
प्रकाश के असीम भंडार का
स्रोत चाह रहा है
किसी प्रेम की राह पर नहीं
यह नासमझ तो
एक काली घुप अंधेरी
प्रकाश विहीन
तंग गली सी
दम घोटने वाली
Read More
कविताअतुकांत कविता
यादों की
किताब का
हर पन्ना
तेरे नाम
मेरी सांस की तार के
हर स्थान पर लिखा
एक तेरा ही नाम
मन्दिर जाने की
मुझे क्या आवश्यकता
मेरे दिल में ही
प्रभु का वास
कण कण में
मुझे
ईश्वर दिखें
मेरा प्रेम के
Read More
कविताअतुकांत कविता
दिल तोड़ने वाली
बातें
जो चारों तरफ होंगी तो
सांस लेने में तो
तकलीफ होगी ही
दिल में दरारें
पड़ने लगेगी
वह चटकने लगेगा
दिल जो फिर टूटेगा तो
दूर तलक
आवाज तो होगी ही।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन
Read More
कविताअतुकांत कविता
कितना
गिरेगा
यह समाज और
इसका स्तर
इन्हें
खुद को
एक मृतक के समान
खुद के संस्कारों का
हनन करते हुए
खुद को जिन्दा
जमीन में गाड़ने में
कोई शर्म ही महसूस नहीं
होती।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन
Read More
कविताअतुकांत कविता
घर किसी का
तोड़कर
कभी कोई आबाद
रह पाया है
मौत के कब्रिस्तान की
जमीन पर
कभी कोई
सपनों के महल
बना पाया है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़
Read More
कविताअतुकांत कविता
वह सोचता रहा
रात भर करवट
बदलता रहा
यह खुदा का फैसला
उसके हक में था या
उसके खिलाफ जो उसे
उम्र भर का दर्द दे गया।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़
Read More
कविताअतुकांत कविता
खुली आंख से
क्या
मैं तो बंद आंख से भी
देख लेती हूं
पढ़नी हो जब जब
किसी के मन की किताब
मैं उसे अपनी मन की आंख से
पढ़ लेती हूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी
Read More
कविताअतुकांत कविता
न कोई
दर्पण
न किसी का
अर्पण चाहिए
अब मुझे
मुंह से निकली
किसी की कोई भी बात
आज तक मैंने सच होते नहीं
देखी
किये हुए वायदों पर किसी को
खरा नहीं पाया
दिल के रास्तों को कभी
सीधा और सच्चा नहीं पाया
मेरे
Read More
कविताअतुकांत कविता
ऐ
सूरजमुखी के फूल
तुम मुझे हवा संग
झूलते
बहुत अच्छे लगते हो
तुम्हारी मुस्कान
तुम्हारी कलियों सी ही खिलकर
सूरज की किरणों सी
कितनी दूर तक फैल जाती है
तुम्हारी राह से मैं
जब जब गुजरूं तो
तुम झुककर
Read More
कविताअतुकांत कविता
गर्मी में
धूप के कारण
कोई छत पर
नहीं आता
सर्दी में
धूप के कारण ही
सब छत पर
आते हैं
धूप वही
छत वही
लोग वही
बस मौसम के मिजाज के
बदलते ही
अपनी अपनी जरूरतों के मुताबिक
लोगों के आचरण भी
बदल जाते हैं।
मीनल
सुपुत्री
Read More
बहुत अच्छा उदाहरण दिया. आपने. सर्दियों में हम धूप का महत्व समझते हैं. समय के साथ प्राथमिकताएं बदल जाती हैं.
कविताअतुकांत कविता
महकता सा
ख्वाब है
अभी तो
एक ताजे फूल सा ही
यह भी
फूल की ही तरह
मुर्झाकर टूट जायेगा
क्या फिर एक नया ख्वाब
पुराने ख्वाब सा ही
एक नये फूल की तरह
ख्यालों के पेड़ की
उम्मीदों की टहनियों पर
उग पायेगा।
मीनल
सुपुत्री
Read More
कविताअतुकांत कविता
हर रोज
जो मैंने
तुम्हें एक गुलाब का फूल
तोड़कर दिया तो
वह गुलाब के फूलों का
बाग तो
बहुत जल्द खाली हो
जायेगा
उजड़ जायेगा
तबाह हो जायेगा
बर्बाद हो जायेगा
खत्म हो जायेगा
तुम तो रह लोगी जिन्दा
बिना
Read More
कविताअतुकांत कविता
मैं
एक तितली
अंजानी सी
बाग के
फूलों के रंगों से
अपने ही रंगों की तरह
न जानी पहचानी सी
रंग देखती
अब मैं
आकाश के बादलों में
आकाश पर
न जाने अब
क्यों दिखे मुझे
बेरंग
प्रेम में हारे हुए
किसी परवाने सा
चारों
Read More
कविताअतुकांत कविता
अर्पित
क्या करूं मैं
तुम्हें
एक फूल या
अपना जीवन
इन सबके ऊपर
मुझे सबसे प्रिय हो
तुम
मांग कर तो देखो
मैं अपनी जान दे दूं
सांसें तुम भरोगे तो
महकेगा मेरे मन का
मधुबन।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद
Read More
कविताअतुकांत कविता
कल सांझ होते ही
मेरे कमरे की
खिड़की से लटका
आसमान में टंगा
कुछ ज्यादा ही चमकता
कुछ ज्यादा ही रोशनी बिखेरता
पूर्णिमा का चांद देखा
आहिस्ता आहिस्ता
वह अपने सफर पर
बढ़ता रहा
मैंने भी खिड़की पर
पर्दा
Read More
कविताअतुकांत कविता
मैं जी रही हूं
तेरी यादों को
सीने से लगाकर
बिना रुके
लगातार
चल रही हूं
जिंदा रहते तुम्हारे
प्यार पाया है
तुम्हारा
इतना कि
उसी प्यार के भंडार से
अपनी भावनाओं का
पालन पोषण अब
कर रही हूं
इतना
Read More
कविताअतुकांत कविता
दिल में
एक लहर सी ही
उठती रहे
खुशियों की और
उम्मीदों की
खुदा न करे
किसी पर कभी कोई
बुरा वक्त आये और
यह खुशनुमा लहर
बन जाये
दुखों और दुविधाओं से भरे
एक भंवर सी।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन
Read More
कविताअतुकांत कविता
यह मिट्टी का
बर्तन था
एक कांच का प्याला
कितना सम्भाला
पर आखिरकार टूट ही
गया
जब जो होना होता है
वह होकर रहता है
खुदा भी कहां तक
सम्भाले
यह भी तो सोचे कोई
वह भी तो कभी कहीं
थकता ही होगा।
मीनल
सुपुत्री
Read More
कविताअतुकांत कविता
दिल
एक तिजोरी है
इसे किसी को
दिखाने की आवश्यकता
नहीं
इसकी चाबी
अपने पास ही रखनी चाहिए
इसे किसी के
हाथ में थमाकर
उससे खुलवाने की
जरूरत नहीं
यह एक अनमोल खजाना
है
अपने प्रियजनों की
प्यार भरी यादों
Read More
कविताअतुकांत कविता
जब जब
उस फूल के
समीप जाओ
वह कांटा ही
चुभाता है
फितरत है उसकी और
मैं भी अपने हाथों मजबूर कि
मैं बार बार उसके
पास जाती हूं
इस आस में कि
शायद कभी तो
उसमें उम्र के साथ
कोई बदलाव आये
सुधार आये
दिल में
Read More
कविताअतुकांत कविता
आसमान से
उतरा बादल
जमीन पर गिरा
बारिश की
एक बूंद बनकर
जल के उस भराव में
झांक रहा
सम्पूर्ण सृष्टि का प्यार
दुलार रहा जैसे
आज मौसम के
सिर पर हाथ फेरकर
किसी मां का
ममता भरा कोमल स्पर्श
उसका स्वच्छ
Read More
कविताअतुकांत कविता
मैं तन्हा हूं
पर खुश हूं
सजा लेती हूं
खुद को और
घर को भी
महका लेती हूं
फूलों से
और प्यार की
खुशबू से
खोल लेती हूं
घर की खिड़की
हवा को अंदर आने
देती है
इसे देख नहीं सकती
पर इसके स्पर्श से
रोमांचित
Read More
कविताअतुकांत कविता
मन का दर्पण
आज
धुंधला दिखा तो
पत्ते पर पड़ी
ओस की बूंद के
दर्पण में ही
देख ली
अपनी छवि
जीने के लिए बस
एक जरिया चाहिए
बहने के लिए बस
एक दरिया चाहिए
रुकनी नहीं चाहिए
कभी यह
मन की रफ्तार
रास्ते मिलें
Read More
कविताअतुकांत कविता
एक छोटा फूल
सफेद रंग का
रुई सा हल्का
ओस की बूंद सा पारदर्शी
एक श्वेत चादर में लिपटा
बर्फ की परत सा
एक तितली
उससे लिपटी
लग रही है
एक बड़े फूल सी
काली पीली
काली रात सी
पीले चांद सी
कहीं उनके बीच से
Read More
कविताअतुकांत कविता
चिड़िया
तुम कितनी छोटी सी हो
प्यारी सी हो
भोली भाली सी हो
तुम्हें शायद पता भी नहीं
तुम तो दर्पण में झांककर
खुद को पहचान भी नहीं
पाओगी
मैं अपनी हथेलियों पर
तुमको धर दूंगी तो
मेरे स्पर्श को जान
Read More
कविताअतुकांत कविता
एक नन्ही सी
परी
आई इस धरती पर
विचरने को
कुछ लम्हों के लिए
फिर लौट गई वापिस
परीलोक में
भारी मन लिए
नाखुश थी वह
पृथ्वीलोक के बिगड़े हालात देखकर
रो रही थी
उसकी आहें दम तोड़ रही थी
सांस लेने में उसे
Read More
कविताअतुकांत कविता
मैं तुम्हें
प्रकाश देता हूं
तुम ले लो
तुम मुझे जल दे दो
मैं ले लूंगा
जिसके पास जो है
वह दूसरों को दे दें
ऐसे ही आदान प्रदान से
परस्पर सहयोग से
प्रेम से परिपूर्ण भावना से
जीवन के सपनों को
साकार
Read More
कविताअतुकांत कविता
पानी की धार भी
किनारे से
किश्ती भी लगी हुई है
लेकिन सोच रही हूं कि
नदी के उस पार
जाऊं या न जाऊं
इस पार भी अकेली
मझधार में भी अकेली
उस पार भी अकेली
उस पार चाहे कोई जंगल हो
हो चाहे उपवन
मैं एक फूल सी
Read More
कविताअतुकांत कविता
फूल के चेहरे पर
आज निखार है
हल्की हल्की गुलाबी रंगत की
परत चढ़ी है और
सोने की स्वर्णिम चमक सा
श्रृंगार है
कोयल की बोली से
शहद का रस टपक रहा
कुदरत आज हुस्न की
शोखी पर
कुछ ज्यादा ही मेहरबान है
सूरज
Read More
कविताअतुकांत कविता
ऐ पंछी
तुम उड़ रहे आकाश में
मैं तुम्हारी छवि देखूं
पानी की बरसाती में
पंख फैलाकर उड़ते हो
जमीन पर उतरकर
मेरे पास भी नहीं आते
जितना जोर से
मैं तुम्हें पुकारूं
उतना ही दूर तुम
मुझसे कहीं चले जाते
तुम
Read More
कविताअतुकांत कविता
एक नारंगी रंग के
फूल सा
दिल मेरा
कंचे की गोली सा
अटका है
उसके गले में
आसमान का भंवरे सा
नीला मन
हरे मखमली पत्तों के
सपनों से बिछौने पर
आ समा जा मेरी
सांसों में
जैसे फूल के होठों से
लिपटकर
उसके
Read More
कविताअतुकांत कविता
मैं
लाल फूलों से लदे
पेड़ की डाल पर पड़े
झूले में झुलूं
पेंग बढ़ाकर
एक पंछी सी
आसमान के
बादलों के पर छू लूं
तुम आसमान से झड़ रहे
बादलों के पत्तों को
एक एक करके
अपनी झोली फैलाकर
उनमें समेटते रहना
Read More
कविताअतुकांत कविता
घर के बाहर
अपने बगीचे में
फूलों के पौधों के बीच
कुर्सी पर बैठकर
मैं अपने पालतू
दो बिल्लियों को खाना
खिला रही
यह दोनों खाना खा रही हैं तो
पेट भर रहा मेरा
यह मेरे पास बैठी हैं तो
जैसे एक आत्म संतोष
Read More
कविताअतुकांत कविता
तुम मेरे
रेशम से एक ख्वाब हो
रेशम सी भोर में
रेशम सी दिल की
हिलोर में
रेशम का एक ख्वाब
बुनु मैं
रेशम की डोर
रेशम की अंगुली में थामे
रेशम के धागों को
अपनी ओर खींचू मैं
इंतजार करूं मैं
पल पल तेरी
Read More
कविताअतुकांत कविता
जिन्दगी का सफर
काफी तय कर लिया
मैंने
पीछे मुड़कर देखती हूं तो
यह लम्बा रास्ता
काफी हद तक
पार कर लिया
मैंने
मंजिल पर ही खड़ी हूं या
मंजिल अभी दूर है
यह पता लगाना तो
मुश्किल है
चलते रहना है
आगे
Read More
मीनल जी क्या आप मुझे फेसबुक मैसेंजर पर पिंग कर सकती हैं। मेरा प्रोफाइल eron नाम से है। मुझे आआपकी रचना की 2 पंक्तियां एवम फ़ोटो चाहिए साहित्य अर्पण लाइव के लिए।
कविताअतुकांत कविता
यह फूल
उपवन से तोड़कर
गुलदस्ते में सजाकर
तुमने क्यों रख दिये
ऐ मेरे दोस्त
दर्द से गुजरे होंगे जो
पेड़ की टहनी से टूटे
होंगे
जरा इनके दिल पर
हाथ रख दूं
जाते जाते कुछ कह रहे होंगे
फूल तो सजे हैं
मेरे
Read More
कविताअतुकांत कविता
झील पर तैरती
एक किश्ती
किश्ती पर सवार
हम दोनों
चल रहे
एक हरे पत्तों से ढके
जंगल की ओर
पेड़ों पर पत्ते हैं
कंवल के तन पर लदे भी
उसके हरे पत्ते हैं
आसमान का नीला रंग तो
दिख ही नहीं पा रहा
इन घनेरी
Read More
कितनी शांत कितनी स्थिर सी लगी यह रचना, बुत प्यारा सा ताना बाना बुनती हुई रचना
कविताअतुकांत कविता
यह प्रकृति
एक सुंदर पुस्तिका है
हो सके तो इसे
समय निकालकर
पढ़ो
इसके हर कण में
एक अलौकिक अहसास है
इसकी हर श्वास में
प्रभु का वास है
हो सके तो
इसका अहसास बुनो
अपनी रचनात्मकता को
एक नई उड़ान दो
हो
Read More
कविताअतुकांत कविता
गिटार बजाता है
एक गीत सुनाता है
दूर से आ रही है उसकी
आवाज
बड़े ही मनोयोग से
अपने पास बुलाता है कोई
एक आभास है
अदृश्य सी कोई आस है
भीनी भीनी फूलों की खुशबुओं का
संसार है
मेरे दिल की धड़कन में सांस
Read More
कविताअतुकांत कविता
बचपन से लेकर
यौवन तक
यौवन से लेकर
उम्र के आखिरी पड़ाव तक की यात्रा
तेरे साथ
यह सानिध्य बना रहे
यह रिश्ता यूं ही चलता रहे
यह मन का बंधन
एक दूसरे के मन से
ऐसे ही बंधा रहे
पेड़ के तने की डाली पे
झूलते
Read More
कविताअतुकांत कविता
मेरे घर की ही तरह
मेरे घर का सामान भी
कितना सुंदर है
मेरे बगीचे की क्यारियों में लगे
फूल पत्तियों के रंगों की तरह ही
इनका रंग कितना शोख, चटख और
चमकीला है
कितना हसीन और
रंगीन है
मेरे ही स्वभाव की
Read More
कविताअतुकांत कविता
यह एक झिलमिलाती
सुबह है
फूलों की फसलों सी लहलहाती
कलियों के लशकारों सी मुस्काती
चांदनी के रंग बिखेरती
खुशबुओं के उपवनों सी
खिलखिलाती
हवाओं की शोखियों सी
डगमगाती
तुम्हारे कदमों की आहटों सी
भीतर
Read More
कविताअतुकांत कविता
तितलियां कलियों सी
परियां किरणों सी
धूप का मुखड़ा
बादल का टुकड़ा
समेटकर
सहेजकर
बड़े प्यार से
सजा दिया है मैंने
आज अपने शीशे के घर के
शयनकक्ष में मेज पर रखे
पारदर्शी सफेद चमकीले
कांच के गिलास
Read More
कविताअतुकांत कविता
यह मौसम का मिजाज
आज कुछ बदला बदला है
लगता है
बारिश हुई है
पानी बरसा है
थोड़ा बहुत
रास्ते का आंचल भी
थोड़ा थोड़ा
गीला गीला है
पैर न फिसल जाये
कहीं मेरा जो
इन पानी से भरे रास्तों पर
चलूं
परछाई से
Read More
कविताअतुकांत कविता
क्या लिखूं
अपने दिल की दास्तान
एक दर्द का दरिया है
जिन्दगी सामने खड़ी है
थकती नहीं
लेती रहती है रोज
एक नया इम्तिहान
मैं तो रात के आकाश में
जागता एक चांद हूं
दर्द समेटे हैं सितारों के
छलका दूं
Read More
कविताअतुकांत कविता
कोहरे की चादर में
लिपटा
आसमान का नीला रंग भी
फूलों का पीला रंग भी
पत्तियों का हरा रंग भी
जमीन का भूरा मटमैला
रंग भी
सब कुछ बांधकर एक पोटली में
उड़ चली है
एक चिड़िया
खोलकर उसे देखेगी
किसी एकांत
Read More
कविताअतुकांत कविता
रास्ता भी है
मंजिल भी कितनी
करीब है
लेकिन मैं ही
प्रकृति के इस सुंदर
दृश्य पर छाई
एक कोहरे की परत सी
दिख नहीं रही
मैं खुद को ढूंढ रही हूं
इन धुंधली
बादलों से ढकी
वादियों में
सड़क किनारे खड़े
पेड़ों
Read More
कविताअतुकांत कविता
मैं कोई समुन्दर का किनारा
नहीं
सागर की लहरों
तुम मुझसे
मत टकराओ
मैं तो एक अविकसित सा
फूल हूं
हवाओं के थपेड़ों
तुम मुझे न गिराओ
सुना है
जीवन बाधाओं और
दुविधाओं से भरा
पड़ा है पर
मुझे अनुभव नहीं
Read More
कविताअतुकांत कविता
नदिया के पार
एक फूलों का संसार
संकुचित नहीं
एक विस्तृत
फैली हुई
जल की फुहार
प्यार बरसाती एक धार
वहां रोशनी है
रंग है
खुशबुओं का मेला है
कोई नहीं अकेला है
आसमान है
बादल है
कोहरे की एक झीनी झीनी
Read More
कविताअतुकांत कविता
घर का द्वार
खुला है
भीतर आ जाओ
फूलों से घर का
हर एक कोना सजा है
पतझड़ यहां बहारों से
मिलने आओ
दिल से
इतने प्यार से
किसी को कोई न्योता नहीं देता
स्वागत नहीं करता
इतनी मनुहार नहीं करता
मेरे प्रेम
Read More
कविताअतुकांत कविता
सोचती हूं
एक पेड़ की छांव में बैठ
झांककर देखूं
मन के उपवन में कि
मेरे दिल का फूल
समय से पहले क्यों
मुर्झा रहा
कौन है जो उसे
अपने पास बुला रहा
उसे आवाज देकर
पुकार रहा
उसके आसपास मौजूद
रहता है हरदम
Read More
कविताअतुकांत कविता
आज का दिन
यह पल जीवन का
सफेद गुलाबों सा
महकता रहे
आज मुझे कोई रंग न
दिखे
कोई समय की गति न
दिखे
सब कुछ स्थिर दिखे
ठहरा दिखे
खामोश दिखे
बिना रंग
बिना स्वाद का
दिखे
एक शीतल हवा की
फुहार को
बस मैं महसूस
Read More
कविताअतुकांत कविता
धागे पहले
उलझते हैं
फिर सुलझते हैं
रंग पहले बिखरते हैं
फिर आकृतियों का रूप लेकर
कोरे कागज के टुकड़ों पर
सजते हैं
जीवन पहले मिलता है
फिर समय के साथ साथ
उसका हाथ पकड़कर
चलता है
चलते चलते थक जाता
Read More
कविताअतुकांत कविता
काश यह मेरा
घर होता
आसमान के पार
जंगल के एकांत में
बसा
एक खुदा का
दर होता
मुझे किसी की जहां
आवाज न सुनती
बस चिड़ियों का बसेरा
और आशाओं का सवेरा
होता
जहां मुझे चैन की
बिना सपनों की नींद
आ जाती
Read More
कविताअतुकांत कविता
मैं स्वतंत्र होना
चाहती हूं
दूसरे को जाल में
फंसाकर
उसकी जान लेकर
अपना जीवन सुधारना
चाहती हूं
दूसरे का जीवन लेकर
उसे मौत की गहरी नींद
सुलाकर
उसका जीवन छीनकर
उसे मौत देकर
यह तालाब के किनारे
Read More
कविताअतुकांत कविता
जहर सी जिन्दगी
पीते रहो
अमृत की एक धार
समझ कर
मोहब्बत करते रहो फिर
मोहब्बत से भरे दिल को
कभी भूले से भी
मोहब्बत न करने की
कसम दिलाते रहो
फिर आदत से
बाज न आओ
दिल से सच्ची मोहब्बत
करते रहो और
सबसे
Read More
कविताअतुकांत कविता
कचरे जैसे लोगों को और
ख्यालों को
अपने जीवन और
जेहन से
अभी भी नहीं हटाया तो
बाकी का जीवन बस
खुद भी
कचरे के डिब्बे में भरा
कचरा बनने को
मानसिक रूप से तैय्यार
रहना
कचरे के साथ रहोगे तो
कचरा ही बनोगे
Read More
कविताअतुकांत कविता
मुझे मारा भी
जा रहा है
मेरा तिरस्कार भी
किया जा रहा है
मुझसे बुरा व्यवहार भी
किया जा रहा है
लेकिन विश्वास भी
मेरे ऊपर ही किया जा
रहा है
मुझसे प्यार है और
नहीं भी
मैं सामने हूं तो
कोई वार्तालाप
Read More
कविताअतुकांत कविता
सागर में गिरने तक
दरिया नहीं सूखेगा
यह वादा है उसका
खुद से
जीना भी है
मौत जैसा पर
वह मौत से नहीं डरेगा
लड़ेगा बेखौफ
आखिरी सांस तक
मरते दम तक
जिन्दगी मर मरकर नहीं जियेगा
यूं तो न कोई ख्वाब पूरा
Read More
कविताअतुकांत कविता
रुला तो बेशक
दिया है मुझे लेकिन
देखना यह जिन्दगी भी
तुम्हें बहुत रुलायेगी
जो बिना बात
बिना वजह
देते हैं दूसरों को
तकलीफ और
असहाय दर्द हरदम
उन्हें वक्त की तलवार की
धार
हंस हंसकर मारती है
बेशर्म
Read More
कविताअतुकांत कविता
बया के घोंसले सी
लटकी रहती हूं
मैं तो
ख्यालों की एक तार पे
मन ही मन
सोचती हूं कि
आज रात
ख्वाब में
बयां से गुजारिश करूंगी कि
वह तिनके जोड़ जोड़कर
कैसे बुनती है
कला का एक नायाब नमूना
अपना एक छोटा
Read More
कविताअतुकांत कविता
एक बीज बोया
प्रेम का
सोचा हमेशा की तरह ही
एक पेड़ बनकर उगेगा
आंखों को यही सब
देखने की
आदत जो है
इतनी सदियों से लेकिन
सोच के विपरीत हो रहा है
आजकल के युग में
सब
सब कुछ उलट पुलट
तहस नहस
विरोध में
Read More
मैम कृपया रचना के साथ रचना से जुड़ी तस्वीर लगाएं
मीनल जी यह आप ही कर ही सकती हैं जैसे आप अपनी फोटो लगा रही है रचना प्रकाशित करने के बाद बस यही आपको अपनी तस्वीर का चुनाव करने के बजाय आपकी रचना की तस्वीर का चुनाव करना है इसके लिए आप गूगल से कोई भी तस्वीर डाऊनलोड कर अपने फोन में सेव कर सकती हैं ताकि जब आप तस्वीर लगाए तो अपनी तस्वीर के बजाय वह तस्वीर लगा दें।
यह तो आप ही कर सकते हैं। मैं भला कैसे?
कविताअतुकांत कविता
प्यार इस जन्म का
कई जन्मों के लिए
पर्याप्त मेरे लिए
अपनी जिन्दगी की
हर सांस लिख दी है
तेरे नाम
मेरी आती जाती
हर एक श्वास
कर्जदार
तेरे प्यार भरे संसार की।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन
Read More
कविताअतुकांत कविता
अपना कोई खो जाये तो
लुट जाती है दुनिया
इस दर्द से यूं तो गुजरते हैं
सभी पर
अपना अपना दर्द संभालते हैं
किसी और का नहीं
सबकी कहानी एक सी है पर
अपनी कहानी की तरह
दूसरे की कहानी को नहीं
समझते
प्यासे
Read More
कविताअतुकांत कविता
गुलाब की टहनी
आज झुकी हुई है
कुछ मायूस सी है
खामोश भी
कुछ बोल भी नहीं रही है
आज वातावरण में अपनी
भीनी भीनी सुगंध
फैलाकर उसे
सुगंधित भी नहीं बना रही
ऐसा लगता है कि
कांटो का साथ आज
उसे एक दर्द की
Read More
कविताअतुकांत कविता
हर महफिल
दिल की मेरी
तेरे बिना पर
तेरे लिए ही सजती है
खामोश हैं लब
होठों पर तेरा नाम नहीं पर
हर दिल की गली
हर प्यार का घर और
हर याद की दीवार
तेरे ही नाम की रोशनी से
महकती है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद
Read More
कविताअतुकांत कविता
यह घर मेरा नहीं
पर मुझे अपना सा
लगता है
कुछ सपने जो
हम देखते हैं और
अधूरे होते हैं
वह कभी कभी
हकीकत में
सामने पड़ जाते हैं
हासिल बेशक न कर पाओ पर
कुदरती रूप से
खुद-ब-खुद
दूर से ही सही पर
पूरे अवश्य
Read More
कविताअतुकांत कविता
कदम लड़खड़ा जाते हैं
अब भी
कि लड़कपन अभी तक नहीं गया
बचपन कहता है कि
अब तू उम्र के उस पड़ाव पर है
कि खेलना बंद कर और
हाथ छोड़ मेरा
मैं मन ही मन
सोचती हूं कि
मुझे खुद को गर
जीवित रखना है तो
जेहन में
Read More
कविताअतुकांत कविता
फूलों सा अहसास
होता है
कभी कांटों सी चुभन
मैं फूल हूं या
एक कांटा
यह मैं समझ ही
नहीं पाती
जैसे ही किसी निष्कर्ष पर
पहुंचती हूं
इस दुनिया के लोग
मुझे फिर
गुमराह कर देते हैं
वह मुझे मजबूर करते
Read More
कविताअतुकांत कविता
एक दरख्त की
शाख झुक जाती है
जब बहारों के मौसम में
कलियों की सुगंधित बयार
उस पर एक गुलदस्ते सी
लटक जाती है
झुककर किसी को
सलाम करना
उसका स्वागत करना
अदब की निशानी होता है
यह छोटी सी बात तो
एक ताजी
Read More
कविताअतुकांत कविता
सुबह की धूप
तुम मेरे कमरे में आना
शाम की धूप
तुम मेरे पास से
चुपके से खिसकना और
खिड़की के रास्ते
लौट जाना
रात के चांद
तुम आसमान में ही
ठहरे रहना
जमीन पर मत उतरना
मैं देख लूंगी तुम्हें
अपनी अंखियों
Read More