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कवितानज़्म
हम से मिलना लगता है तुम्हें वक़्त जाया करना हमारे मरने के बाद हमारी कब्र पर आया करना हमको नहीं सुनाई देंगी फिर कोई सदाएं तुम्हारी बेशक फिर बैठकर लाख आवाजें लगाया करना © "बशर" بشر.