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हमारे कर्तव्य - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

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हमारे कर्तव्य

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देश के प्रति हमारे कर्तव्य

सुकन्या: दादाजी, हमें बताया गया है कि भारत के संविधान में दुनिया की प्रायः सभी विशुद्ध लोकतांत्रिक प्रणालियों का समावेश है।वह क्या है?

दादाजी:बेटा,भारत के संविधान में प्रत्येक नागरिक को कर्तव्य और अधिकार दिए गए हैं।हम अपने अधिकारों के लिए तो बहुत जागरूक है किंतु हमें जानना चाहिए कि हमें11 मौलिक कर्तव्यों,जिनका उल्लेख संविधान में किया गया है,उनकि पालन करना भी अनिवार्य है।

सुकन्या:यह तो अच्छी बात है। अधिकार हैं तो कर्तव्य भी होने चाहिए।

दादाजी:हमारा दैव जनतंत्र है।देश की राजनीतिक प्रक्रियाओं में लोगों की अधिकतम भागीदारी है, दुर्भाग्यवश हाल के दिनों में इसका अनुचित लाभ उठाया जा रहा है।देश में आए दिन होने वाले धरने- प्रदर्शन, चक्का जाम, राष्ट्रीय संपत्ति की हानि यह सिद्ध करते हैं कि हम अपने कर्तव्यों के प्रति कितने गैर जिम्मेदार हैं।

सुकन्या: जी दादा जी, अब कल ही हमने देखा कि संविधान का कितना मजाक उड़ाया गया! जिस लाल किले से केवल तिरंगा फहराया जाता रहा है,वहां खालिस्तान का झंडा फहरा दिया गया। तिरंगे का अपमान किया गया।

दादाजी: हां बेटा कल से मैं भी बहुत अपमानित और दुखी महसूस कर रहा हूं। कहां गए हमारे आदर्श! कैसे कर पाए हम अपने राष्ट्रध्वज का अपमान!क्या हमने अपने स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान देने वाले वीर शहीदों का सम्मान बनाए रखा! या उन्हें अपमानित किया?

सुकन्या:सार्वजनिक संपत्ति की कितनी हानि की गई!युवाओं की क्या यही जिम्मेदारी है?सरकार को दोषी ठहराना आसान है।मगर क्या अपने कर्तव्य पर ध्यान नहीं देना चाहिए?

दादाजी:अनेक अपराधी प्रवृत्ति के लोग इसी फिराक में रहते हैं कि कब देश को कमजोर किया जाए!

सुकन्या:गणतंत्र दिवस एक राष्ट्रीय पर्व है।सुबह हम कितने गौरवान्वित हो रहे थे और दोपहर होते-होते..

दादाजी:हमारा दायित्व है संविधान और कानून का पालन करना। गणतंत्र लोकतांत्रिक ढंग से चलता है। यदि हम अधिकारों के प्रति जागरूक हैं तो अपने कर्तव्यों का पालन भी निष्ठा पूर्ण ढंग से करें। अधिकारों का कतई दुरुपयोग न हो। दुनिया को अहिंसा का संदेश देने वाले भारत के नागरिक यदि विरोध के लिए हिंसा का मार्ग अपनाने लगे,तो क्या होगा ?

सुकन्या:दादाजी,मूलभूत नागरिक दायित्वों की उपेक्षा, अवमानना और उल्लंघन करने, विरोध प्रदर्शन में जन-धन को हानि पहुंचाने, आवागमन बाधित कर सड़क जाम करने वाले, सरकारी नीतियों का अपने लाभ के लिए आलोचना करने वाले, जागरूक नागरिक हो ही नहीं सकते।

दादाजी:तुम्हारा कहना बिल्कुल सही है।हमारा परम कर्तव्य है कि हम संसाधनों का सीमित उपयोग और सर्वजन हिताय की व्यापक सोच का विकास करें।हम अपने नागरिक दायित्वों का पालन करें। साफ-सफाई और पर्यावरण संरक्षण का निर्वहन करने वाले बनें। हम स्वयं शीक्षित हों और औरों को शिक्षा का महत्व समझाएं।बालिका सुरक्षा और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहयोगी बनें।अपराध होते देख आंखें न मूंदे।अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाएं।विधी द्वारा निर्मित नियमों का पालन करें।स्वावलंबी हों।सच्चे मन से राष्ट्र प्रेम की खातिर तन- मन -धन से समर्पण का भाव रखेंगे तो समझो हम अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं।यही हमारी अपने देश के प्रति वफादार होगी।
गीता परिहार
अयोध्या

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत सुन्दर और सराहनीय. कर्तव्यों का पालन भी आवश्यक है.

समीक्षा
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