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Start Date 29-Dec-20
End Date 31-Dec-20
Writer | Rank | Certificate |
---|---|---|
Kumar Sandeep | Certificate | |
Sudhir Kumar | Certificate | |
Pratik Prabhakar | Certificate |
Competition Information/Details
सभी साहित्यिक स्वजनों को नमस्कार...
मैं #पूनम_बागड़िया "पुनीत" एक बार फिर उपस्थित हूँ आपके समक्ष एक नई प्रतियोगिता के साथ..!
जैसा कि आप सभी जानते है वर्ष 2020 अपने अंतिम चरण पर है और नववर्ष 2021 अपनी बाह पसारे हमारे जीवन मे हौले-हौले दस्तक देरहा है!
वर्ष 2020 कोरोना के कारण काफी विपत्ति व भय में बिता है
इस वर्ष ने अपनो को खोने का दर्द भी दिया..!
तो कहीं शायद ही किसी को इस वर्ष अपार खुशियां भी मिली हो!
इसी सुख दुख के संमिश्रित अनुभवों को रूप दीजिए हमारी आज की प्रतियोगिता में जिसका विषय है कहिए 2020 को अलविदा..!
तो अपनी रचना के जरिये कहिए 2020 को अलविदा..!
उठाइये अपनी कलम और लिख डालिये प्रतियोगिता हेतु अपने खट्टे मीठे विचार..#2020 के साथ..!
इस विषय पर आप कविता व लघुकथा विधा मे अपनी रचना सृजन कर सकते है..
विषय की सारगर्भिता को ध्यान में रखते हुए इस बार तीन दिवसीय लेखन का समय निर्धारित किया गया है...
लेखन सम्बंधित विस्तृत जानकारी इस प्रकार है..
दिनाँक - 29 दिसंबर से 31 दिसंबर 2020
विषय - कहिये 2020 को अलविदा
विधा - कविता तथा लघुकथा
नोट :- आज इस विषय पर आधारित रचनाएं आपको सिर्फ वेबसाइट पर ही पोस्ट करना है (#2020 के साथ ऐड ए टैग ऑप्शन में जाकर।) पोस्ट दिनाँक 29 से 31दिसंबर 2020 तक ही मान्य...
लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-
1. पोस्ट वेबसाइट पर ही मान्य.! वेबसाइट पर पोस्ट करने के दौरान यदि किसी को कोई परेशानी आ रही है तो कार्यकारिणी के किसी भी सदस्य को सूचित कर सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
2. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।
3. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।
4. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक समूह में पोस्ट कर सकते है।
5. दिनाँक 29 से 31 दिसंबर 2020..
6. रचना में टैग ऐड करना न भूले। टैग ऐड करने के लिए आपको नीचे वाले ऐड आ टैग वाले ऑप्शन का इस्तेमाल करना है जिसमें आपको टैग #2020 लिखना है।
7. website का लिंक नीचे दिया गया है।
sahityaarpan.com
आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....
धन्यवाद
साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।
कविताअन्य
अलविदा ऐ जाने वाले तुम भी,
क्या कमाल थे, बड़े बेमिसाल थे|
थी गर लाख शिकायतें तुमसे तो क्या,
कुछ खास अच्छाइयों वाले भी साल थे|
वक्त का तुमने पहिया रोका था,
हर चलने वाले को भी टोका था,
दौर ए महामारी में
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कविताअतुकांत कविता
2020
मजदूरों को तो हर दिन
ज़िंदगी की कठिन परीक्षा
देनी ही पड़ती थी
दो वक्त की रोटी खातिर
यत्र-तत्र भटकना ही पड़ता था
पर, इस वर्ष
मजदूरों के पाँव में पड़े छाले
इस बात की गवाह हैं कि
इस वर्ष ने
उन्हें सताया,
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कवितालयबद्ध कविता
अलविदा अलविदा अब हमने तुमसे कह दिया ...
ना आना फिर लौटकर 2020 तूने सब बदल दिया ...
सब अनजान थे , झूमते गाते रहते हर पल ...
नही थी कोई खबर कैसा होगा आने वाला कल ...
दौड़ रही थी ज़िंदगी सभी की मौज मस्ती में ...
कोविड
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कहानीलघुकथा
@2020
महोदय, अलविदा @2020 आयोजन के तहत अपनी एक लघु कथा 'व्यवस्था' शीर्षक से और एक कविता 'वक्त कभी ठहरता नहीं' शिर्षक के अंतर्गत भेज रही हूं, इसी आशा के साथ कि साहित्य अर्पण में इन्हें स्थान अवश्य मिलेगा।
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कहानीलघुकथा
#२०२०
महोदय, अलविदा #2020 आयोजन के तहत अपनी एक लघु कथा 'व्यवस्था' शीर्षक से और एक कविता 'वक्त कभी ठहरता नहीं' शिर्षक के अंतर्गत भेज रही हूं, इसी आशा के साथ कि साहित्य अर्पण में इन्हें स्थान अवश्य मिलेगा।
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कविताअतुकांत कविता
२०२०
तुमसे शिकायतें हैं लोगों की बहुत
पर मैं तुमसे शिकायतें नहीं करूंगा
हाँ, तुमने सिखलाया है बहुत कुछ
हाँ, तुमने सिखलाया है हमें
वक्त बदलते देर नहीं लगती है
वक्त जब बदलता है करवटें
तब सबकुछ बदल
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जाने वाले वर्ष 2020.. का उचित आकलन और 2021 में आशा की किरण..
धन्यवाद सर
कहानीलघुकथा
#2020
अलविदा 2020
जनवरी 2020 का आगमन नये वर्ष का सुखद एहसास । सब खुश थे । 2020 सुन कर भी अच्छा लग रहा था पर किसी को क्या पता था कि सबकी जिन्दगी ही 2020 हो जायेगी । फरवरी आते आते कुछ खबरे आने लगी कि कोई बीमारी चीन में
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कविताअन्य
ऐ विदा लेते हुए साल
तेरे जैसे न हम सताएंगे,
याद रखना नहीं चाहते
लेकिन भूल न पाएंगे।
स्वागत तूने खूब कराया
दो महीने बाद सताया,
पूरे विश्व में किया अंधेरा
लाशों का फिर ढेर लगाया।
आगे तुझसे हम ही
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कहानीसामाजिक
चारपाई पर लेटे हुए दादा जी ने आज फिर से एक दफ़ा अपने बेटे को आवाज़ लगाते हुए चिल्लाने लगे।
रोज कि तरह आज भी संजीव दादा जी कि आवाज़ को नजरअंदाज कर,ऑफिस के लिए निकल गया।
ऐसा नहीं था कि संजीव को दादा जी की
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कविताअतुकांत कविता
.#2020
साहित्य अर्पण एक पहल
29 दिसंबर 2020
विषय-कहिये 2020 को अलविदा
विधा-कविता
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सताया,तड़पाया है वर्ष 2020
तूने रुलाया,दर्द दिया अभागा,
हँसी भूल गया,रातों को जागा,
कोविड-19 ने अभी न त्यागा।
बेरोजगार
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कवितालयबद्ध कविता
"अलविदा बीस"
तुम बताओ बीस
क्या इक्कीस में भोर होगा
या तुम्हारे जैसे
ही फिर वर्ष घनघोर होगा।।
क्या फिर लोग
घरों में डरे- सहमे ही रहेंगे
या पाएँगे नभ खुद के
अब न कोई भय को सहेंगे।।
बताओ बीस मुझे
क्योंकर
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कविताअतुकांत कविता
#२०२०
गत वर्ष,
अकेला,मदमाता
इसको भी पंक्ति को दे दो ।
बीता जाता जीवन
पल पल
उऋंखल,चंचल ,
गम्भीर ,सजल ।
यह बीता पल
यह आत्म विह्वल
इसको भी स्मृति को दे दो ।
वह जो आएगा अनाहूत,
वह विस्मय ,वह अद्भुत,
वह रहस्यगर्भ
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कविताअतुकांत कविता
2020 तू इतना क्यूँ रुठा है रे?
तेरे आगमन से पूर्व हमने
क्या-क्या दुआएँ नहीं माँगी थीं।
तेरे स्वागत में क्या-क्या नहीं किया था हमने।
जिस तरह सूर्योदय से पहले
सूर्य की पहली किरण को देखने की बेसब्री रहती
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