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Sahitya Arpan - Gaurav Shukla
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Gaurav Shukla

'JahajiSandesh'

नहीं कहता मैं व्यक्ति विशेष हूँ,
बस गौरव के नाम में अभी शेष हूँ...

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  • लेखसमीक्षा

    रश्मिरथी : रामधारी सिंह'दिनकर'

    • Edited 2 years ago
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    • 111
    • 6 Mins Read

    रामधारी सिंह दिनकर जी की रचना में सर्वश्रेष्ठ रचना कोई है तो वह है #रश्मिरथी, दरअसल यह काव्य नहीं महाकाव्य है।
    रश्मिरथी में आपको कुल 7 सर्ग मिलेंगे जिसमें प्रथम से लेकर सप्तम तक का समय आपको कहीं
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    रश्मिरथी : रामधारी सिंह'दिनकर',<span>समीक्षा</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    बुढ़ौती में हमरा के लव होइ गवा..!

    • Edited 3 years ago
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    • 211
    • 5 Mins Read

    बुढ़ौती में हमरा के लव होइ गवा…
    कैसे इ जाने कब होइ गवा,
    ऊ आयी,
    हमरा नजर खोई गवा,
    दिल से ससुरा गज़ब होइ गवा,
    बुढ़ौती में हमरा के लव होइ गवा-२

    राते सपने में उहि होइके आवै,
    भोरे-भोरे ऊ हमका जगावै,
    घरवा में कह
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    बुढ़ौती में हमरा के लव होइ गवा..!,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखअन्य

    ज़िन्दगी एक रंगमंच

    • Edited 3 years ago
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    • 417
    • 9 Mins Read

    ज़िन्दगी एक रंगमंच है जहाँ हर कोई अपने किरदार की अदाकारी से तालियों की गड़गड़ाहट को कमाना चाह रहा है, और इस रंगमंच में रंग का उतना ही महत्व ही जितना कि एक विवाहित स्त्री के माथे पर सिंदूर.....अगर ये रंग
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    ज़िन्दगी एक रंगमंच,<span>अन्य</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बिल्कुल बेहतरीन तरीके से समझाया है आपने आपका यह लेख गौरतलब है और आज के समय में सभी को पढना चाहिये।

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया मैंम आपका

    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    सही कहा आपने ज़िन्दगी एक रंगमंच ही तो है।जितनी ज्यादा तालियां आपकी उतना आपका पक्ष मजबूत

    Gaurav Shukla3 years ago

    आभार🙏

    कवितालयबद्ध कविता

    मैं कविता हूँ...!

    • Edited 3 years ago
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    • 112
    • 4 Mins Read

    मैं कविता,
    हर किसी के जज़्बात को समेटें सरिता सी बहती रहती हूँ,
    किसी के अनगिनत किस्से को लिए रहती हूँ....
    एक लफ़्ज़ से न जाने कितने कानों में हौले से आवाज़ दे जाती हूँ,
    कभी मोहब्बत के अल्फाज़ में इतराती हूँ,
    तो
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    मैं कविता हूँ...!,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    इश्क़..फिर हार जाएगा

    • Edited 3 years ago
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    • 205
    • 5 Mins Read

    मैं कहीं खो रहा था उसकी यादों तले,
    फिर कहीं आवाज़ मुझे यारों ने दी,
    मैं डूब चुका इश्क़ के अश्क़ में,
    हौले से आवाज बयारों ने दी,
    मैं सुनाने लगा किस्सा प्यार का,
    यारों की यारी,
    और इज़हार का,
    नहीं पता कब ख़्वाब
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    इश्क़..फिर हार जाएगा,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    माँ की एक अलग दुनिया हुआ करती है।

    • Edited 3 years ago
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    • 293
    • 4 Mins Read

    माँ - मेरी ख्वाहिशें पूरा करती है,
    सुबह वो बोझ लिए सबसे पहले उठती है....
    बिना किसी शिकायत के काम वो हफ़्ते-महीने करती है..
    सुकून में भी वो सबके बारे में सोचती है...
    माँ ....मां की एक अलग दुनिया हुआ करती है...

    जहाँ
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    माँ की एक अलग दुनिया हुआ करती है।,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Gaurav Shukla3 years ago

    आभार😊

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    अतिसुन्दर.... रचना।

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया

    कहानीसामाजिक

    कठपुतली

    • Edited 3 years ago
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    • 289
    • 22 Mins Read

    #

    "बहू? अरी ओ बहू ? सुनती हो? तुम्हारी पड़ोस वाली चाची आयी हैं दो कप चाय लिए आना?" :- मां जी ने बड़े अधिकार भरे लफ़्ज़ों में आदेश देते हुए मुझसे कहा।

    "हाँ लायी!" :- मैंने कहते हुए जल्दी से चूल्हे पर पानी रख कर
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    कठपुतली,<span>सामाजिक</span>
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    कवितागीत

    प्रियवर हो

    • Edited 3 years ago
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    • 108
    • 2 Mins Read

    गुनगुनाती है तेरी आवाज प्रियवर हो,
    चहचहाती है तेरी आवाज़ प्रियवर हो,
    कुछ तुम कहो,
    कुछ हम कहें,
    हमराज प्रियवर हो,
    दिल की बात हो नईया पार,
    जज़्बात खास प्रियवर हो,
    धड़क उठे,
    कभी फड़क उठे,
    जब बजे दिल के तार प्रियवर
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    प्रियवर हो,<span>गीत</span>
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    सुविचारप्रेरक विचार

    ख्वाहिशें कभी मरती नहीं हैं।

    • Edited 3 years ago
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    • 138
    • 4 Mins Read

    आशाएँ मरती नहीं जिंदा रहती हैं,
    बूढ़े दादा-दादी को उनके नाती पोते में नज़र आता है उनका ख़ुद का बचपन,
    बुढ़ापा क़मर तोड़ देती है
    किंतु हौंसला नहीं,
    जुबान लड़खड़ाने लगती है
    किंतु सोच नहीं,
    हिम्मत भले ही आख़िरी
    Read More

    ख्वाहिशें कभी मरती नहीं हैं।,<span>प्रेरक विचार</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    शायद ज़िन्दगी होना था...!

    • Edited 3 years ago
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    • 274
    • 6 Mins Read

    डायरी के पन्नों में सिमट न सका मेरा प्यार,
    अनकहे किस्से का अंत नहीं होना था...
    सोचते
    सोचते जब गिरा तुम्हारी यादों के छाँव में,
    तो मुझे ऐसे ही ख़ामोखा नहीं सोना था...
    मुझे करना था सफ़र उस हमसफ़र के यादों
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    शायद ज़िन्दगी होना था...!,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ritu Garg

    Ritu Garg 3 years ago

    Bahut khoob

    Gaurav Shukla3 years ago

    आभार आपका❤️

    Varinderpal kaur babli

    Varinderpal kaur babli 3 years ago

    Wah wah

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया❤️

    Shashi Ranjana

    Shashi Ranjana 3 years ago

    सुंदर रचना।

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया🙏

    Ritu Garg

    Ritu Garg 3 years ago

    क्या ख़ूब

    Gaurav Shukla3 years ago

    आभार मैंम

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब 👌🏻

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया मैंम

    Ritu Garg

    Ritu Garg 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया मैंम

    कवितालयबद्ध कविता

    भारत का बेटा हूँ मैं

    • Edited 3 years ago
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    • 205
    • 4 Mins Read

    बैठ कर सब कुछ देख रहा हूँ मैं,
    उभरते भारत की राजनीति से ख़ुद को समेट रहा हूँ मैं,
    धर्मनिरपेक्षता,
    लोकतांत्रिका का समर्थन लेखा हूँ मैं,
    हाँ,
    एक सितारे की तरह भविष्य के चाँद का चहेता हूँ मैं,
    फिर,
    क्यों
    Read More

    भारत का बेटा हूँ मैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    (राष्ट्रीय बालिका दिवस) गर मैं गर्भ में न मारी जाती...

    • Edited 3 years ago
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    • 337
    • 6 Mins Read

    (राष्ट्रीय बालिका दिवस)

    गर मैं गर्भ में न मारी जाती...!
    ________________________

    आज मैं भी तुम्हारी तरह इतराती ,
    श्रृंगार और जोड़े को सजाती ,
    शायद बहुत सारा नाम कमाती,
    गर मैं गर्भ में ही न मारी जाती।

    आज पापा की परी,
    Read More

    (राष्ट्रीय बालिका दिवस) गर मैं गर्भ में न मारी जाती...,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया मैंम

    कवितालयबद्ध कविता

    ठिठुरन

    • Edited 3 years ago
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    • 106
    • 3 Mins Read

    ठिठुर गयी है रातें,
    सबकी सोच ठिठुर रही है,
    एक एक कर ज़िन्दगी की,
    देखो डोर बिखर रही है,

    टूट रहा साँसों से रिश्ता,
    ज़िस्मों का हौले हौले,
    सर्द भरी हर शाम में,
    देखो ओस बिखर रही है,

    आहत करती इन पवनों से पूछो,
    तुम
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    ठिठुरन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया मैंम

    कहानीसामाजिक

    एक और साल...!

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 169
    • 6 Mins Read

    चारपाई पर लेटे हुए दादा जी ने आज फिर से एक दफ़ा अपने बेटे को आवाज़ लगाते हुए चिल्लाने लगे।
    रोज कि तरह आज भी संजीव दादा जी कि आवाज़ को नजरअंदाज कर,ऑफिस के लिए निकल गया।
    ऐसा नहीं था कि संजीव को दादा जी की
    Read More

    एक और साल...!,<span>सामाजिक</span>
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    कहानीप्रेरणादायक

    तुलनात्मक तलवार

    • Edited 3 years ago
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    • 161
    • 8 Mins Read

    गाँव माखनपुर...!
    किसी भी फ़सल का नाम लीजिए!

    पैदावार में सबसे ऊपर माखनपुर का नाम ही आएगा...!

    अरे !

    अरे !

    ये मैं नहीं कह रहा....ये ख़बर तो आज के अख़बार में लिखी हुई थी...!

    मैं तो बस दादा जी को पढ़ का बता रहा था।

    मूंछों
    Read More

    तुलनात्मक तलवार,<span>प्रेरणादायक</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    अरे वाः

    Gaurav Shukla3 years ago

    ❣️?शुक्रिया

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    तभी कहते हैं, सब्र करना चाहिए,"धीरे- धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय"

    Gaurav Shukla3 years ago

    सही कहा मैंम आपने लेकिन समझते कहाँ है?

    कविताअन्य

    किसान दुर्दशा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 277
    • 3 Mins Read

    किसान दुर्दशा
    ----------------------------------


    "सूखी मिट्टी,
    बंजर खेती,
    होंठ हमारे सूखे हैं,

    पानी को तरसे,
    न मेघा बरसे,
    नयन हमारे रोते हैं,

    तपती धूपें ,
    जलती धरती,
    इरादे हमारे ऊँचे हैं,

    जब भी मौसम दस्तक देता,
    सपने हम अपने
    Read More

    किसान दुर्दशा,<span>अन्य</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    खूब

    Gaurav Shukla3 years ago

    ❣️?शुक्रिया

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    Nice

    Gaurav Shukla3 years ago

    ❣️शुक्रिया

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    अतिसुन्दर...।

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह बहुत ठीक

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया सर?

    कविताअन्य

    हम लड़के हैं।

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 266
    • 10 Mins Read

    मन के अंदर उठे बवंडर को,
    इन शब्दों ने ख़ुद में कैद कर लिया,
    हम बोले तो बत्तमीज,
    न बोले तो गुस्सा,
    हम रोये तो कमज़ोर,
    न रोये तो सख़्त,
    हम उदास नहीं हो सकते,
    हमें दूसरों के लिए कंधा बनना है,
    हम सुकूँ को कमा कर
    Read More

    हम लड़के हैं।,<span>अन्य</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बढ़िया

    Gaurav Shukla3 years ago

    आभार❣️?

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बहुत अच्छे

    Gaurav Shukla3 years ago

    ?

    कविताअन्य

    प्रकाश

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 149
    • 2 Mins Read

    प्रकाश
    🔷
    चाहिए प्रकाश इस धरा को,
    अंधेरा मिटानें को,
    ज्ञान का अलख जलाने को,
    दूर कहीं उजला नौका,
    जीवन तर जाने को,
    चाहिए नियति उच्च कुलीन की,
    तिरियाचरित्र मिटानें को,
    मति न धरे भरम स्वरूप,
    मानवता को अपनाने
    Read More

    प्रकाश,<span>अन्य</span>
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    कहानीसंस्मरण

    दादी

    • Edited 3 years ago
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    • 176
    • 9 Mins Read

    गाँव
    जहाँ आज भी बिजली के बजाय दीया जलाते हैं,
    जहाँ ड्रॉइंग रूम,वेटिंग रूम और बेडरूम नहीं ,दुआर,चौपाल और कोठरी से जाना जाता हो।
    हां वही गाँव जहाँ शाम को ऑफिस से कोई कंधे पर बैग टांगकर नहीं,शाम को भैंसों
    Read More

    दादी,<span>संस्मरण</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    भावपूर्ण..!

    Gaurav Shukla3 years ago

    ?❣️

    लेखअन्य

    डायरी से...

    • Edited 3 years ago
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    • 223
    • 5 Mins Read

    इतने साल गुजर गए
    हो सकता है तुम्हें याद हो भी ....या न हो
    लेकिन मुझे बख़ूबी याद है...जब हम मिले थे ....पहली दफ़ा.... जब मुझे ख़ुद पर ये विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरे हाँथ में वो तुम्हारा ही हाँथ था ...जैसे कैद कर
    Read More

    डायरी से...,<span>अन्य</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    अच्छी है मगर कुछ अधूरी सी लगी

    Gaurav Shukla3 years ago

    जैसे ज़िन्दगी साल दर साल बढ़ती जाती है,ठीक वैसे ही डायरी में छिपे हर एक पन्नें की अपनी ही एक कहानी है,शायद इसीलिए अधूरी लगी...शुक्रिया आपका मैंम❣️

    कविताअन्य

    मेरे पापा

    • Edited 3 years ago
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    • 381
    • 6 Mins Read

    जब मैं छोटा था,

    कुछ भी नहीं समझता था,

    तब भी बहुत कुछ वो समझ जाते थे।

    मैं औंधे मुंह गिरता,

    उठता,

    फिसलता,

    मिट्टी से सने मेरे पैर हो या हाथ,

    मुँह में लगी मिट्टी की महक पूरे बदन से लिपट जाती थी,

    मेरे मुंह
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    मेरे पापा,<span>अन्य</span>
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    Prabha Issar

    Prabha Issar 2 years ago

    Very nice sir 👌👌 aapne kamal ka likha hein heart touching lines

    Gaurav Shukla2 years ago

    शुक्रिया आपका 🌺

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    भावनाओं से ओतप्रोत प्रिय रचना

    Gaurav Shukla2 years ago

    शुक्रिया 🌺

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    विलक्षण

    Gaurav Shukla2 years ago

    आभार सर 🌺🙏

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    भावभीनी रचना

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया मैम आपका🙏

    sumit Mahato

    sumit Mahato 3 years ago

    You are great sir

    Gaurav Shukla3 years ago

    Thank you so much ❣️

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    भावपूर्ण रचना..!

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया सर

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया मैम

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत बढ़िया

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया❣️?

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाहहहहह आपकी कविता दिल को छू ग‌ई सर। बधाई हो

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया सर❣️

    कहानीअन्य

    एक आख़िरी फ़ोन कॉल

    • Edited 3 years ago
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    • 197
    • 31 Mins Read

    ये कहानी है एक लड़के की जो जॉब कर रहा है उसके पूरे एक साल बाद आज यानि की 24 जनवरी को छुट्टी मिली।

    आइए मिलवाते हैं इस कहानी के पात्रों से,

    लखनऊ के अनुज जो इस कहानी के हीरो हैं...और इलाहाबाद शहर कि रश्मि
    Read More

    एक आख़िरी फ़ोन कॉल,<span>अन्य</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    सरस कथा

    Gaurav Shukla3 years ago

    ?❣️

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया सर?

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    भावपूर्ण प्रेम-कथा

    Gaurav Shukla3 years ago

    आभार❣️?सर

    कविताअन्य

    असां नहीं एक स्त्री को समझ पाना

    • Edited 3 years ago
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    • 105
    • 3 Mins Read

    🔷

    चूल्हे की आँच से तपते चिमटे कि गरमाहट कभी अपने हाँथों से महसूस करना,
    कभी चौखट,घर कि दीवारों से की गई बग़ावत के इतिहास को पढ़ना,
    और
    बिस्तर के सिलवटों से समेट लेना एक स्त्री की आबरू को,
    और पढ़ लेना ,
    उसके
    Read More

    असां नहीं एक स्त्री को समझ पाना,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    पुरुष दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 153
    • 4 Mins Read

    समाज : "सुनों !मुझे कैंसर हो गया है !"
    लोग : "लेकिन कैसे ? सब तो ठीक है ! "
    समाज : " ये पुरुषवादिता और ये स्त्रीवादिता...!!!! ये...मेरे लिए कैंसर ही हैं,जो मुझे अंदर से खोखला कर रहीं है।"
    लोग : " लेकिन अगर ऐसा नहीं करेंगे
    Read More

    पुरुष दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,<span>अन्य</span>
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    कहानीसंस्मरण

    रिटर्न् टिकट

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 374
    • 37 Mins Read

    उम्र!!!
    बहुत कुछ याद दिला देती है।यक़ीन न हो तो कोई नंबर लीजिए और उम्र आपको याद दिलाएगा उस नंबर की उम्र के अनगिनत किस्से..
    और हर याद के साथ कभी चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है तो कभी ख़ुद पर अफ़सोस,कभी मन
    Read More

    रिटर्न् टिकट,<span>संस्मरण</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बचपन की मासूमियत भरी यादें संजोकर प्रस्तुत रचना रोचक है।

    Gita Parihar3 years ago

    ???

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया मैम??

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    गौरव यह कहानी है संस्मरण नही है। संस्मरण खुद को इसके अंदर महसूस और कहानी में उतरते हुए लिखा जाता है। जहाँ ऋषभ है। वहां मैं शब्द होता तब यह संस्मरण कहलाता।

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया मैम,आगे से ख्याल रखूँगा?

    Gaurav Shukla3 years ago

    थी ये संस्मरण ही ,लेकिन मैंने ही इसे कहानी के रूप में ढाल दिया❣️

    कवितालयबद्ध कविता

    ज़िन्दगी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 97
    • 3 Mins Read

    पन्नें सिमट रहे है दर परत दर ज़िन्दगी के,
    यहाँ मौत का इंतज़ार किसको है,
    मालूम है जाना है ज़िन्दगी को,
    पर बेशुमार इस ज़िन्दगी से प्यार यहां सबको है,
    और बिछड़े जो खुशियाँ हम खरीद लाएंगे-२
    जहाँ चाहत दौलत की
    Read More

    ज़िन्दगी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर रचना..!

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया

    कहानीप्रेम कहानियाँ, सस्पेंस और थ्रिलर

    बोलते हुए ख़्वाब (पार्ट-1)

    • Edited 3 years ago
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    एक सिसकियों से भरी आवाज़ ने राहुल के कानों में दस्तक दी!

    राहुल ने अपनी डायरी को अपनी एक अलग दुनिया ही बना ली थी।वही राहुल, जो बचपन से ही अपनी आवाज़ को सुनने को तरस गया था,या यूँ कहूँ कि शायद उसकी आवाज़
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    बोलते हुए ख़्वाब (पार्ट-1),<span>प्रेम कहानियाँ</span>, <span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>
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    कविताअन्य

    किसकी आज़ादी...

    • Edited 3 years ago
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    तुमने कहा स्कर्ट पहन लो,
    तुम्हें मेरी बात अच्छी लगती है,
    तुम मेरे पास बैठ कर सब दर्द समझते हो,
    तुम्हें मेरी जात अच्छी लगती है,
    तो बताओ,
    ये आज़ादी देने का जो दिखावा करते हो,
    क्या ये किसी की अमानत है,
    वर्षों
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    किसकी आज़ादी...,<span>अन्य</span>
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    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत बढ़िया गौरव जी...

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब गौरव शुक्ला। आज़ादी का मतलब इसी से लगा लिया जाता है आजकल की हमने ऐसे करने दिया।

    Gaurav Shukla3 years ago

    हम उस जगह आ गए जहाँ हमनें आपसे जो छीन लिया है उसी को वापस करना ही आज़ादी समझतें हैं ।दुर्भाग्य है।