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Sahitya Arpan Competition - मन के भाव चित्राक्षरी आयोजन 2021
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मन के भाव चित्राक्षरी आयोजन 2021

Competition Stats

  • #Entries 25

  • #Likes 17

  • Start Date 22-Feb-21

  • End Date 26-Feb-21

  • Competition Winners

    Writer Rank Certificate
    Gaurav Shukla First Certificate
    Himanshu Samar Second Certificate
    Madhu Andhiwal Third Certificate

    Competition Information/Details

    सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार..!

    हर चित्र हमारे मन मे छिपे भाव को दर्शाता है। चित्रआधारित प्रतियोगिता में आज का चित्र आपके किस मनोभाव को स्पष्ट कर रहा है कीजिये अपने शब्दों में व्यक्त। तो लिख भेजिये इस चित्र के भाव अपनी कलम से। लेखन सम्बंधित विस्तृत जानकारी इस प्रकार है..

    दिनाँक - 22 फरवरी से 26 फरवरी 2021
    विषय - चित्र-आधारित
    विधा - मुक्त (किसी भी विधा मे)

    लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-
    1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।
    2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।
    3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।
    4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।
    5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।

    आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
    सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....

    धन्यवाद
    साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।

    सुविचारप्रेरक विचार

    ख्वाहिशें कभी मरती नहीं हैं।

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    आशाएँ मरती नहीं जिंदा रहती हैं,
    बूढ़े दादा-दादी को उनके नाती पोते में नज़र आता है उनका ख़ुद का बचपन,
    बुढ़ापा क़मर तोड़ देती है
    किंतु हौंसला नहीं,
    जुबान लड़खड़ाने लगती है
    किंतु सोच नहीं,
    हिम्मत भले ही आख़िरी
    Read More

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    कविताअन्य

    जीने की कला

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    ढलती उम्र भी नए स्वप्न सजाती है
    जीवन की पथरीली राहों में
    जीने का हुनर सिखाती है
    लाख रूकावटे आये भले
    मुस्कुराने की कला बताती है
    ढलती उम्र भी रंगीन स्वप्न सजाती है।

    बीते लम्हों को फिर से जीना चाहती
    Read More

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    कविताअतुकांत कविता

    जीने का चाव

    • Edited 3 years ago
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    माना की जिंदगी में साधन का आभाव है,
    मेरे अंदर फिर भी जिंदा रहने का चाव है।

    माना की शायद कभी सिनड्रेला नहीं हो सकती,
    तो क्या हुआ अपने मन की परी तो हूं हो सकती।

    खुश रहने के लिए साधन नहीं जुनून चाहिए,
    पैर
    Read More

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    कविताअतुकांत कविता

    "मुझे मेरा वो गाँव याद आता है"

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    शीर्षक :-
    "मुझे मेरा वो गाँव याद आता है"
    बरगद की छाँव में
    बैठ के बूट्टे खाना,
    संग दोस्तों के वहाँ
    घंटों भर बतियाना,
    नहीं भुलाये भूलता
    वो गुजरा जमाना ,
    माँ के डर से छुपके जाना,ठंड में ठिठुरता वो
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    कुलदीप दहिया मरजाणा दीप3 years ago

    हार्दिक आभार नेहा शर्मा जी

    कवितालयबद्ध कविता

    जीने की ललक

    • Edited 3 years ago
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    जीने की ललक
    जीने की ललक आज भी है मुझमें,
    बचपन की वह सौगात आज भी है मुझ में,
    कभी पायल कभी घुंघरू की आवाज ,
    तबले की थाप की सरगम आज भी है मुझ में।
    जीने की ललक आज भी है मुझ में।।

    जवानी की वो यादें आज भी है मुझ
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    SHRUTI GARG

    SHRUTI GARG 3 years ago

    Waah waah kya Baat hai 👏👏

    Ritu Garg3 years ago

    धन्यवाद जी

    कविताअन्य

    मै आज भी वही हूं

    • Edited 3 years ago
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    दिल में मेरे आज भी वही उमंग है
    बस उम्र का तकाज़ा है,जिसने लाचार किया है
    मै एक अदाकारा थी, ता उम्र रहूंगी
    भले ही समाज ने आज, बहिष्कार किया है


    तो क्या हुआ जो नहीं चल पाती
    आज अपने कदमों पर
    मेरी बेसाखी
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    कवितालयबद्ध कविता

    Khud se Rubru

    • Edited 3 years ago
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    खुद से रूबरू

    जिंदगी का फूल बार बार नहीं खिलता
    खोया हुआ वक़्त वापिस नहीं मिलता

    सपने कब मरे हैं दिल कब बूढ़ा हुआ

    Read More

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    Varinderpal kaur babli

    Varinderpal kaur babli 3 years ago

    shukriyaa

    Ritu Garg

    Ritu Garg 3 years ago

    व्हा बहुत खूब

    कविताहरियाणवी रागिनी, रायगानी, नज़्म, अतुकांत कविता, भजन, बाल कविता, लयबद्ध कविता, गजल, दोहा, छंद, सोरठा, चौपाई, घनाक्षरी, अन्य, हाइकु, बाल कविता, गीत

    Mera bharam

    • Edited 3 years ago
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    भ्रम का टूट जाना ही अच्छा था
    तेरा मुझसे रूठ जाना ही अच्छा था।
    काश ख़बर होती कि अंजाम यूँ होगा
    तो दिल को कहीं और लगाते,
    कम से कम यूँ सताए तो ना जाते !
    यूँ रुलाए तो ना जाते !
    बात बे बात तड़पाए तो ना जाते।
    तेरी
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    Rajjansaral

    Rajjansaral 6 months ago

    वाह क्या बात है

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सर आप रचना के लिए केवल दो genre रख सकते हैं

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    रचना बेहद भावपूर्ण बहुत सुंदर है।

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    आपकी रचना में इतने सारे genre कैसे हो सकते हैं? कृपया genre का चुनाव सही से करें।

    Chaudhary Saurabh

    Chaudhary Saurabh 3 years ago

    Dil k awaz..nice..

    कविताअतुकांत कविता

    मन के भाव

    • Edited 3 years ago
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    नाच रहा मन मेरा मयूरा
    स्मृतियों की भरी उड़ान
    थिरक थिरक नृत्य करें
    जीवन की हर बीती तान।

    सुबह की सुन्दर लालिमा
    का हो गया है अब अवसान
    ढलती काया सिहर उठी फिर
    स्मृतियों की भरी उड़ान।

    अपने बीते लम्हों
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    सुविचारप्रेरक विचार

    "ज़िंदगी "

    • Edited 3 years ago
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    "ज़िंदगी "

    ऐसे ही जिंदादिली से जीवन जीना है मुझको
    क्या हुआ जो अभी शरीर साथ नही दे रहा है मेरा

    जब तक जिंदा हूं मैं की जब तक ये सांसे चल रही है मेरी
    तब तक इस जिंदादिली को मैं मरने नही दूंगी मैं

    की मरने
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    कहानीलघुकथा

    समर्पण

    • Edited 3 years ago
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    एक सुप्रसिद्ध नृत्यांगना का संगीत से अटूट लगाव इतना कि व्हीलचेयर पर बैठी भी वह गानों की धुन में कहीं अतीत के दिनों में चली जाती ।
    जिसके पैर संगीत की धुन पर थिरकते थे, जब वह स्टेज पर उतरती दर्शकों
    Read More

    inbound4141243570891228848_1614224763.jpg
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अच्छी कहानी..

    Yasmeen 18773 years ago

    धन्यवाद🙏

    कवितालयबद्ध कविता

    "अतीत की यादें"।

    • Edited 3 years ago
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    आयोजन - मनोभाव चित्राक्षरी
    22 फरवरी - 2021
    काव्य - रचना
    "अतीत की यादें"।
    ================
    अतीत की यादों को आज
    अपनी तस्वीर में उतारी थी

    ढूंढ रही थी उन लम्हों को
    जो ख्वाबों को सजाई थी

    स्मृतियों की उन लम्हों को
    फिर
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    कवितालयबद्ध कविता

    मन दर्पण

    • Edited 3 years ago
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    मन की बगिया के कुछ प्रसून
    जो आज भी हंसते खिलते है
    जो काल चक्र से ना सूखे
    नाही उम्र के दौर से है मुरझे
    है आज भी मन में उठी हिलोर
    मेघों का आंचल सिर पे ओढ़
    थिरकुं नाचूं मैं बन चपला
    बारिश की पहन कर पैंजनियां
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    Sapna Vyas3 years ago

    धन्यवाद नेहा जी😍🙏⚘

    कहानीप्रेरणादायक, लघुकथा

    नृत्यांगना

    • Edited 3 years ago
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    कमरे की पूरी दीवार पर मालती जी की पुरानी फोटो लगी थी। वो अपने समय की बहुत प्रसिद्ध नृत्यांगना रही हैं।एक दुर्घटना में अपनी टांगे गँवा बैठीं और फिर कभी चल ही ना पाईं। बिस्तर से वॉकर की दुनिया भी
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    Girish Upreti

    Girish Upreti 3 years ago

    महत्त्वाकांक्षा कभी खत्म नहीं होती

    Bhavay Joshi

    Bhavay Joshi 3 years ago

    Bahut khoob👌

    Meeta Joshi3 years ago

    शुक्रिया

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर चित्रण

    Meeta Joshi3 years ago

    धन्यवाद

    Mukesh Joshi

    Mukesh Joshi 3 years ago

    मनोभावों का सुंदर चित्रण

    Meeta Joshi3 years ago

    शुक्रिया🙏❤️

    Shivangi lohomi

    Shivangi lohomi 3 years ago

    Superr se uparrr💓💓👌👌👏👏👏😍

    Meeta Joshi3 years ago

    Thanks❤️

    Seema Pande

    Seema Pande 3 years ago

    सुंदर रचना सुन्दर लेखन 👌🏽👌🏽

    कहानीलघुकथा

    सुन्दर सपना

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    सुन्दर सपना ---
    ----------------
    रमा व्हील चेयर पर बैठ कर अपनी बेटी सांची को निहार रही थी । सोच रही थी उन बीते दिनों को सब कुछ सही चल रहा था । रमा गांव में जन्मी पली बड़ी हुई पर बहुत होशियार थी । जब बड़ी हुई तो गांव
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    कविताअतुकांत कविता

    थम गई ताल

    • Edited 3 years ago
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    # चित्राक्षरी फरवरी 21

    थम गई ताल

    जेस्मिन आंटी बैठी व्हील चेयर पर
    चलने फ़िरने से पूरी तरह लाचार
    कभी साथ थे हमसफ़र मि दास
    आज अकेली ही बैठी हैं यूँ उदास
    सपने सा अतीत हो उठा है सजीव
    डांस शो में मिल गए थे उन्हें
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत खूब

    कहानीप्रेम कहानियाँ, प्रेरणादायक

    एहसासों की तस्वीर

    • Edited 3 years ago
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    ‘एक मिनट नानी, आप बताते-बताते ज़रा आगे चली गयी।’

    ‘अच्छा! हां शायद मैं मुलाकात तक चली गयी थी। वैसे मैं थी कहां?’

    ‘ परफॉर्मंस वाले दिन।’

    ‘ हाँ … कॉलेज का सेकंड ईयर। मेरी नृत्य कला के उन दिनों खूब चर्चे
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    ख़ूबसूरत रचना.. भावपूर्ण..!

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    कविताअतुकांत कविता

    वृद्ध

    • Edited 3 years ago
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    एक वक्त के बाद
    हमारे घर के बड़े
    हमारी आँखों में देखना चाहते हैं
    अपने लिए फिक्र के दो आँसू
    अकेलेपन की नदी में
    डूबने से बचने के लिए
    हमारे घर के बड़े
    चाहते हैं कि हम उनकी उंगली
    थामकर उनका सहारा बनें
    हमें
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया

    कहानीलघुकथा

    संकल्प

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    सामने लगे बड़े से पर्दे में किसी नृत्यांगना का नृत्य चल रहा था। हरिप्रिया चाची अपने अतीत को याद करने लगीं, जब छोटी सी उम्र मे ही छुप छुप कर बहुत अच्छा मृत्य करने लगी थीं। उनकी इस रूचि को देखते हुए 
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बढ़िया

    Amrita Pandey3 years ago

    धन्यवाद।

    कविताअतुकांत कविता

    अंधेरे का आकर्षण

    • Edited 3 years ago
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    पिछले दिनों की चिंता के बाद आज
    बोझ जो सीने पर ही नहीं
    मेरे मस्तिष्क की गहराई में भी समाया था
    उतार कर फेंकते ही
    गहन सुकून महसूस हुआ
    दबाए रखा था जिसने मेरे व्यक्तित्व को
    हो गई थी मेरी ही नजरों में
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    Naresh Gurjar

    Naresh Gurjar 3 years ago

    gazab

    कवितागीत

    दुष्कर ही श्रेयस्कर

    • Edited 3 years ago
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    #दुष्कर_ही_श्रेयस्कर
    _________________________________________
    कठिन डगर या दुष्कर जीवन, तनिक नहीं घबराना रे|
    साध लिया है उर को जिसने, उसका हुआ जमाना रे||

    संघर्षों की बजे मुरलिया, गीत सफलता की गाये|
    कर्म किए अति दुष्कर जिसने,
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    कहानीलघुकथा

    मन के भाव

    • Edited 3 years ago
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    रोज की तरह में आज भी अपने घर के बाहर गार्डन में घूम रही थी ,रोज ही एक बच्ची अपनी मम्मी के साथ गार्डन में आती थीं
    वो रोज ही अपने मम्मी के साथ वहां पर वो बच्चो के साथ खेलती
    नई बस उन को देखती मन कहता कि
    Read More

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    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत सुंदर रचना... मेम नई की जगह नही कर लीजिए..!

    Punam Bhatnagar3 years ago

    जी

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत सुंदर रचना...

    Punam Bhatnagar3 years ago

    धन्यवाद 🙏

    कवितागीत

    मन से बचपन

    • Edited 3 years ago
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    दिए गए चित्र के आधार पर मेरे द्वारा रचित कविता,,,

    शीर्षक-मन से बचपन


    दीवारें थी ईंटों की पर
    उनमें भी अपनापन देखा,
    अपनी ही बूढ़ी छाया में
    नया नवेला बचपन देखा।

    ख़्वाबों नें पहचान सजाए
    आँखों नें उन्वान
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    Arvina Gahlot

    Arvina Gahlot 3 years ago

    बढ़िया

    शिवम राव मणि

    Himanshu Samar3 years ago

    शुक्रिया

    कहानीसस्पेंस और थ्रिलर

    चूक

    • Edited 3 years ago
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    चूक
    शर्लीन की एक पहचान नहीं थी।वह हद दर्जे की मादक, मोहक, बिन्दास, अनुपम, अद्वितीय सुन्दरी थी। सौन्दर्य की देवी के रूप में उसका नाम लिया जाता था।सर्कस में वह अपने हुनर और ग्लैमर के जादू से जानी जाती
    Read More

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    कवितालयबद्ध कविता

    मन के भाव

    • Edited 3 years ago
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    हौसला तुम्हारा बुलंद हो इतना
    मन के भाव पूरे कर जाओ
    जीवन हो संघर्षमय जितना
    हंसते मुस्कुराते चलते जाओ
    मिल जाएगी मंजिल तुमको
    हारेंगी परिस्थितियां विपरीत
    चलना गिरना गिरकर उठना
    जीवन की है यही सब
    Read More

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    Ritu Garg

    Ritu Garg 3 years ago

    बहुत सुंदर

    jyoti batra

    jyoti batra 3 years ago

    अति उत्तम