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Sahitya Arpan - पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'
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पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'

'सचिन'

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    Section Genre Rank
    कविता गीत First
    कविता छंद 4th

    कविताअन्य, गीत

    प्रकृति से पंगा (भोजपुरी गीत)

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 281
    • 6 Mins Read

    नमन मंच
    प्रकृति से पंगा
    _______________

    मौत के नियरे बुला के, देख लीं बतिया रहल बा।
    आज अपने ही पतन के, गीत मानव गा रहल बा।।

    एक से बड़ एक देखीं, बन रहल हथियार बा अब।
    अंत के सामान से ही, कर
    Read More

    प्रकृति से पंगा (भोजपुरी गीत),<span>अन्य</span>, <span>गीत</span>
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    कविताछंद

    कोरोना का प्रतिकार

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 227
    • 3 Mins Read

    कोरोना का प्रतिकार
    -----------------------------------------------------
    छंद - ०१
    राम रमापति नाथ उमापति कष्ट हरो जन का त्रिपुरारी।
    टूट रहा प्रभु आज मनोबल दूर करो भय हे! बनवारी।
    कोविड क्रूर बना खर-दूषण वार करो अब हे!
    Read More

    कोरोना का प्रतिकार,<span>छंद</span>
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    कवितागीत

    अमानुषिक प्रवृत्ति

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 166
    • 5 Mins Read

    राधा छंद आधारित गीत (वार्णिक) १३ वर्ण
    मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२२
    ____________________________
    आज वेदों को भुला विज्ञान क्यों भाता?
    दम्भ झूठी शान का है क्यों बना दाता?

    शान झूठी पाल बैठा दंभ है जीता।
    आदमी ही आदमी का
    Read More

    अमानुषिक प्रवृत्ति,<span>गीत</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    लेकिन आपने यहां रचना से सम्बंधित तस्वीर क्यों नही लगाई 🤔

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    आद. रचना से संबंधित कोई तस्वीर नहीं मिलने के कारण

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    वाह बहुत सुंदर

    Rashmi Sharma

    Rashmi Sharma 3 years ago

    बहुत खूब

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया

    कवितागीत

    गांव की अनुभूति

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 198
    • 5 Mins Read

    .................#गांव_की_अनुभूति................
    ___________===========____________
    ढूंढ रहा मैं आज शहर में, बचपन का वह गाँव।
    खेल कूद कर बड़े हुए वह, बरगद वाली छाँव।

    कैसे हँसती थी सब गलियां, मीठा था वह शोर।
    प्रथम पहर वह कसरत वाली,याद रही वह
    Read More

    गांव की अनुभूति,<span>गीत</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    वाह क्या कहने बहुत खूब

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    जी सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया

    कवितागीत

    मां कालरात्रि महिमा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 412
    • 9 Mins Read

    #नमन_साहित्य_अर्पण
    #आयोजन :- #नवरात्री
    प्रतिभागी का नाम :- पं.संजीव शुक्ल 'सचिन'
    शहर का नाम :- मुसहरवा (मंशानगर), पश्चिमी चम्पारण, बिहार
    रस का नाम :- भक्ति रस
    विधा:- आल्हा छंद (वीर छंद)
    विधान:- 👉🏻 यह चार चरण
    Read More

    मां कालरात्रि महिमा,<span>गीत</span>
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    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    जय माता दी

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर अभिवादन स्वीकार करें सादर

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    अति सुंदरम् सृजन👌👌

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब बहुत ही बढ़िया 👌🏻

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया

    कविताछंद

    बृक्ष बचाओ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 141
    • 5 Mins Read

    #विषय 👉 #शाखी
    #विधा 👉 किरीट सवैया वर्णिक छंद- (8 भगण) 211*8 =24 वर्ण
    मापनी- 211 211 211 211 211 211 211 211

    .... रचना 👇
    _________________ ०१ _________________
    पादप जीवन सार सखे बिन, वृक्ष नहीं परिवार सदा शुभ।
    मंगल कारक पेड़ धरा पर, देत हवा सुखसार सदा
    Read More

    बृक्ष बचाओ,<span>छंद</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब 👌🏻

    कविताअतुकांत कविता, गीत

    माँ भारती के गहने

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 227
    • 7 Mins Read

    माँ भारती के गहनें
    ————————–
    क्यों ऐसे लड़ते हो यार,
    तुम्हें नहीं जीवन से प्यार?

    हर दिन होती गोली-बारी
    करे सुन्न ममता की क्यारी।
    सीने पर गोली का वार,
    तुम्हें नहीं जीवन से प्यार?

    तेरा भी कोई अपना होगा,
    तेरा
    Read More

    माँ भारती के गहने,<span>अतुकांत कविता</span>, <span>गीत</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बेहतरीन भावों की उम्दा अभिव्यक्ति की है आपने !

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब 👌🏻

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया

    कविताछंद

    अल्फाबेट

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 252
    • 9 Mins Read

    नमन साहित्य अर्पण मंच
    शब्दों के चयन की सूची-
    सेब, गेंद, बिल्ली, कुत्ता, हाथी, फल, गन, घोड़ा, भारत, जोकर, पतंग, शेर, बंदर, नाक, एक, राजकुँअर, प्रश्न, दौड़, बेटा, चाय, चाचा, सब्जी, खिड़की, जलतरंग- जस- वाद्य, पीला,
    Read More

    अल्फाबेट ,<span>छंद</span>
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    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    निःसंदेह एक शिक्षात्मक रचना

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर आभार वंदन आदरणीय श्री

    कवितागीत

    विरह का अंत, अमित प्रारंभ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 330
    • 6 Mins Read

    आयोजन:- सा रे गा मा पा (अंत का आरंभ) अंतिम भाग
    ________________________________________
    सजन होगा मिलन अपना, सुखद अहसास आया है।
    बहारें आ गई देखो, फिजाँ में प्यार छाया है।।

    पड़ेंगे बाग में झूले, सजन हमको झुलायेंगे।
    बिछाकर पुष्प
    Read More

    विरह का अंत, अमित प्रारंभ,<span>गीत</span>
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    Prabuddh kashyap

    Prabuddh kashyap 3 years ago

    बेह्तरीन

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    स्नेहिल आभार अनुजवर

    कविताछंद

    हास्य रस

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 209
    • 5 Mins Read

    रस का नाम :- हास्य रस
    विधा:- मत्तगयंद सवैया
    मापनी:- 211 211 211 211 211 211 211 22
    --------------------------------------------------------------------------
    रचना
    ( ०१ )
    बासन माज रहे सजना सजनी चलचित्र न देख अघाती।
    वासन धोकर हाथ दुखे सर हाथ रखे बलमा
    Read More

    हास्य रस,<span>छंद</span>
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    Comrade Pandit

    Comrade Pandit 3 years ago

    वाहहह कमाल कर दिया 🤪🤪🤗🤗8

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर आभार वंदन आदरणीय श्री

    कवितागीत

    होली विरह गीत

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 216
    • 6 Mins Read

    मुक्तक
    _________
    जलाओ द्वेष की होली, बनाओ यार होली में।
    नहीं करना किसी से भी कहीं तकरार होती में।
    जमाना हो भले कैसा, बहाओ नेह की दरिया-
    चलो सबसे जरा कर लें अजि अब प्यार होली में।।

    #होली_विरह_गीत
    _______________________________________

    होलिका
    Read More

    होली विरह गीत,<span>गीत</span>
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    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    बहुत खूब

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सहृदय आभार

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत प्यारा सा गीत है संजीव जी 👌🏻

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    बढ़िया

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सहृदय आभार

    कहानीप्रेरणादायक

    कईएक पहलू जीवन के.....!!

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 120
    • 33 Mins Read

    ___________________________________________
    कईएक पहलू जीवन के….??
    …… …….. ……. ……….

    निश्तेज चेहरा, आंखें धसी हुई, शरीर का ढांचा जैसे कोई नरकंकाल यही हाल था उस वक्त बृजकिशोर का।
    बृजकिशोर बलिष्ट शरीर जैसे कोई बॉडीबिल्डर,
    गोरा चिट्टा
    Read More

    कईएक पहलू जीवन के.....!!,<span>प्रेरणादायक</span>
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    Pallavi Rani

    Pallavi Rani 3 years ago

    अच्छी रचना

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    जी सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया

    कविताछंद

    शब्दों की महिमा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 218
    • 6 Mins Read

    विषय : शब्द
    विधा : सार ललित छंद
    ——————————————————————————————-
    ऐसे शब्द कहाँ से लाऊं, जो पीड़ा दर्शायें।
    इस पीड़ा के वशीभूत सब, नेह सुधा बरसायें।।

    शब्द शब्द में भाव छिपे हैं, इनसे मिले मिठाई।
    कुण्ठा,
    Read More

    शब्दों की महिमा,<span>छंद</span>
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    कहानीलघुकथा

    उम्मीदों का बोझ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 299
    • 10 Mins Read

    उम्मीदों का बोझ
    ===\===///===
    गजब की निस्तब्धता थी फिजा में, हर आँख सजल , चेहरे गमों के सागर में गोते लगाते से दिख रहे थे। रामचरण तो जैसे जड़वत मूर्तिमान से हो गए थे…हों भी क्यों न आज उनका श्रवण जो इस दुनिया
    Read More

    उम्मीदों का बोझ,<span>लघुकथा</span>
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    कवितागीत

    विरह वेदना

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 602
    • 7 Mins Read

    आयोजन:- सा रे गा मा (अंत का आरंभ) भाग :- ३
    विरह वेदना
    ___________
    शूल ही शूल बिखरे पड़े राह में, कण्टकों का सफर आज प्यारा मिला।
    बोझ जीवन लगे अब हमारा हमें, इश्क से आज कैसा नजारा मिला।

    सद्य कंपित अधर से नयन चुमना,
    Read More

    विरह वेदना,<span>गीत</span>
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    Arvina Gahlot

    Arvina Gahlot 3 years ago

    बढ़िया

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर अभिवादन सहित नमन

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बेहद खूबसूरत....👌👌👍

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर अभिवादन सहित नमन

    Shashi Ranjana

    Shashi Ranjana 3 years ago

    बहुत सुंदर👏👏👏👏

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर अभिवादन सहित नमन

    कहानीसंस्मरण

    वह खत....!!

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 307
    • 9 Mins Read

    वह खत (लघुकथा)
    ******************
    मन बड़ा उदास था कई दिनों के निरर्थक भाग दौड़ का आज समापन जो हुआ था वह भी घोर अनिश्चितता के साथ। आज मैने निश्चय कर लिया था अब बस …… कल ही घर वापस चला जाऊंगा , नौकरी ना मिली ना सही ……अब
    Read More

    वह खत....!!,<span>संस्मरण</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 11 months ago

    बहुत सुन्दर स्रजन..!!

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 2 years ago

    संदेशप्रद रचना

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    निर्थक को निरर्थक कर लीजियेगा। 🙂

    कवितादोहा

    नारी की महत्ता

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 107
    • 4 Mins Read

    नारी दिवस की आप सभी को ढेरो शुभकामनाएं
    विधा - दोहे
    ___________________________________
    रचना - 👇👇👇

    नारी की आराधना,
    करता जग हरबार।
    माता विद्यावाहिनी,
    नमन करो स्वीकार।।१।।

    नारी से घर स्वर्ग है,

    Read More

    नारी की महत्ता,<span>दोहा</span>
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    कवितागीत

    कल्पनातीत प्रणय मनुहार

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 237
    • 6 Mins Read

    कल्पनाओं में दोनों (नीरव एवं गुँजन) एक दूजे के साथ एक दूजे के लिए गाते हुए.....!!
    “”””””””””””””””""""""""""'"'""""""""""""""""'"""""""""""""''''''''''''
    #मुखड़ा (दोनों एक साथ)
    ________________________
    है गीत ये मिलन का, गाओ मुझे सुनाओ|
    चितचोर दिल लगाकर,
    Read More

    कल्पनातीत प्रणय मनुहार,<span>गीत</span>
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    Ashutosh Tripathi

    Ashutosh Tripathi 3 years ago

    सुन्दर प्रस्तुति 👌🏻

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    संजीव आपका भाग 1 का गीत कहाँ है ?

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत खूबसूरत गीत..!👌👍

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर आभार वंदन आद.

    कवितागीत

    दुष्कर ही श्रेयस्कर

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 175
    • 6 Mins Read

    #दुष्कर_ही_श्रेयस्कर
    _________________________________________
    कठिन डगर या दुष्कर जीवन, तनिक नहीं घबराना रे|
    साध लिया है उर को जिसने, उसका हुआ जमाना रे||

    संघर्षों की बजे मुरलिया, गीत सफलता की गाये|
    कर्म किए अति दुष्कर जिसने,
    Read More

    दुष्कर ही श्रेयस्कर,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    जीवन गाथा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 327
    • 4 Mins Read

    जीवन सुख का सार, क्षण में खो जाता है।
    जाने क्या – क्या यार, पल में हो जाता है।।

    चले ढूंढने मोद, गमों से पड़ गया पाला।
    प्रात खुशी थी संग, हुआ फिर दिन बस काला।।
    मोद भरा सम्राज्य, भी क्षण में खो जाता है।
    जाने
    Read More

    जीवन गाथा,<span>गीत</span>
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    Pallavi Rani

    Pallavi Rani 3 years ago

    👌👌👏

    Maniben Dwivedi

    Maniben Dwivedi 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बढ़िया...

    कवितागीत

    प्रणय मिलन की आकांक्षा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 395
    • 5 Mins Read

    आयोजन:- सा रे गा मा (अंत का आरंभ)
    विषय :- प्रणय मिलन की आकांक्षा
    विधा:- गीत
    =====================================
    【रचना】

    प्रीत तेरा मंत्र जैसा, स्वास मे ही धारता हूँ।
    बिन तुम्हारे कुछ नहीं मैं, बात यह स्वीकारता हूँ।।

    आ प्रिये
    Read More

    प्रणय मिलन की आकांक्षा,<span>गीत</span>
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    रकमिश सुल्तानपुरी

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सहृदय आभार आदरणीय श्री

    Pallavi Rani

    Pallavi Rani 3 years ago

    बहुत ही खूबसूरत शब्द संयोजन आदरणीय 🙏

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सहृदय आभार

    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    शानदार शब्दों का चयन.. बेहतरीन कल संयोजन... और विषय पर सटीक बैठती रचना... बहुत खूब... आप सतत् ऐसे ही खूबसूरत सृजन करते रहे आदरणीय.. एवं मंच पर अपनी रचना प्रेषित करते रहे.. बहुत बधाई

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर अभिवादन सहित नमन

    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    वाह... माँ हिन्दी की आप पर विशेष कृपा है..

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर अभिवादन सहित नमन

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    Its wonderful बहुत ही सुंदर रचना 👌🏻

    Arvina Gahlot

    Arvina Gahlot 3 years ago

    बहुत खूब

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर अभिवादन सहित नमन

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सहृदय आभार

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सहृदय आभार

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत खूबसूरत..👌

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सहृदय आभार

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सहृदय आभार आदरणीया

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सहृदय आभार

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सहृदय आभार