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Competition | Rank | Certificate |
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चित्राक्षरी आयोजन - फरवरी 2021 | Certificate | |
सा रे गा मा (अधूरी कहानी) भाग - 4 | Certificate | |
सा रे गा मा (अंत का आरंभ) भाग - 4 | Certificate |
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Section | Genre | Rank |
---|---|---|
कविता | गीत | |
कविता | छंद | 4th |
London is the capital city of England.
कविताअन्य, गीत
नमन मंच
प्रकृति से पंगा
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मौत के नियरे बुला के, देख लीं बतिया रहल बा।
आज अपने ही पतन के, गीत मानव गा रहल बा।।
एक से बड़ एक देखीं, बन रहल हथियार बा अब।
अंत के सामान से ही, कर
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कविताछंद
कोरोना का प्रतिकार
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छंद - ०१
राम रमापति नाथ उमापति कष्ट हरो जन का त्रिपुरारी।
टूट रहा प्रभु आज मनोबल दूर करो भय हे! बनवारी।
कोविड क्रूर बना खर-दूषण वार करो अब हे!
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कवितागीत
राधा छंद आधारित गीत (वार्णिक) १३ वर्ण
मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२२
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आज वेदों को भुला विज्ञान क्यों भाता?
दम्भ झूठी शान का है क्यों बना दाता?
शान झूठी पाल बैठा दंभ है जीता।
आदमी ही आदमी का
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लेकिन आपने यहां रचना से सम्बंधित तस्वीर क्यों नही लगाई 🤔
आद. रचना से संबंधित कोई तस्वीर नहीं मिलने के कारण
बहुत खूब
सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया
कवितागीत
.................#गांव_की_अनुभूति................
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ढूंढ रहा मैं आज शहर में, बचपन का वह गाँव।
खेल कूद कर बड़े हुए वह, बरगद वाली छाँव।
कैसे हँसती थी सब गलियां, मीठा था वह शोर।
प्रथम पहर वह कसरत वाली,याद रही वह
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वाह क्या कहने बहुत खूब
जी सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया
कवितागीत
#नमन_साहित्य_अर्पण
#आयोजन :- #नवरात्री
प्रतिभागी का नाम :- पं.संजीव शुक्ल 'सचिन'
शहर का नाम :- मुसहरवा (मंशानगर), पश्चिमी चम्पारण, बिहार
रस का नाम :- भक्ति रस
विधा:- आल्हा छंद (वीर छंद)
विधान:- 👉🏻 यह चार चरण
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जय माता दी
सादर अभिवादन स्वीकार करें सादर
बहुत खूब बहुत ही बढ़िया 👌🏻
सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया
कविताछंद
#विषय 👉 #शाखी
#विधा 👉 किरीट सवैया वर्णिक छंद- (8 भगण) 211*8 =24 वर्ण
मापनी- 211 211 211 211 211 211 211 211
.... रचना 👇
_________________ ०१ _________________
पादप जीवन सार सखे बिन, वृक्ष नहीं परिवार सदा शुभ।
मंगल कारक पेड़ धरा पर, देत हवा सुखसार सदा
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कविताअतुकांत कविता, गीत
माँ भारती के गहनें
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क्यों ऐसे लड़ते हो यार,
तुम्हें नहीं जीवन से प्यार?
हर दिन होती गोली-बारी
करे सुन्न ममता की क्यारी।
सीने पर गोली का वार,
तुम्हें नहीं जीवन से प्यार?
तेरा भी कोई अपना होगा,
तेरा
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बेहतरीन भावों की उम्दा अभिव्यक्ति की है आपने !
सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया
बहुत खूब 👌🏻
सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया
निःसंदेह एक शिक्षात्मक रचना
सादर आभार वंदन आदरणीय श्री
कवितागीत
आयोजन:- सा रे गा मा पा (अंत का आरंभ) अंतिम भाग
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सजन होगा मिलन अपना, सुखद अहसास आया है।
बहारें आ गई देखो, फिजाँ में प्यार छाया है।।
पड़ेंगे बाग में झूले, सजन हमको झुलायेंगे।
बिछाकर पुष्प
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कविताछंद
रस का नाम :- हास्य रस
विधा:- मत्तगयंद सवैया
मापनी:- 211 211 211 211 211 211 211 22
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रचना
( ०१ )
बासन माज रहे सजना सजनी चलचित्र न देख अघाती।
वासन धोकर हाथ दुखे सर हाथ रखे बलमा
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वाहहह कमाल कर दिया 🤪🤪🤗🤗8
सादर आभार वंदन आदरणीय श्री
कवितागीत
मुक्तक
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जलाओ द्वेष की होली, बनाओ यार होली में।
नहीं करना किसी से भी कहीं तकरार होती में।
जमाना हो भले कैसा, बहाओ नेह की दरिया-
चलो सबसे जरा कर लें अजि अब प्यार होली में।।
#होली_विरह_गीत
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होलिका
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बहुत प्यारा सा गीत है संजीव जी 👌🏻
सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया
कहानीप्रेरणादायक
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कईएक पहलू जीवन के….??
…… …….. ……. ……….
निश्तेज चेहरा, आंखें धसी हुई, शरीर का ढांचा जैसे कोई नरकंकाल यही हाल था उस वक्त बृजकिशोर का।
बृजकिशोर बलिष्ट शरीर जैसे कोई बॉडीबिल्डर,
गोरा चिट्टा
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अच्छी रचना
जी सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया
कविताछंद
विषय : शब्द
विधा : सार ललित छंद
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ऐसे शब्द कहाँ से लाऊं, जो पीड़ा दर्शायें।
इस पीड़ा के वशीभूत सब, नेह सुधा बरसायें।।
शब्द शब्द में भाव छिपे हैं, इनसे मिले मिठाई।
कुण्ठा,
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कहानीलघुकथा
उम्मीदों का बोझ
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गजब की निस्तब्धता थी फिजा में, हर आँख सजल , चेहरे गमों के सागर में गोते लगाते से दिख रहे थे। रामचरण तो जैसे जड़वत मूर्तिमान से हो गए थे…हों भी क्यों न आज उनका श्रवण जो इस दुनिया
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कवितागीत
आयोजन:- सा रे गा मा (अंत का आरंभ) भाग :- ३
विरह वेदना
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शूल ही शूल बिखरे पड़े राह में, कण्टकों का सफर आज प्यारा मिला।
बोझ जीवन लगे अब हमारा हमें, इश्क से आज कैसा नजारा मिला।
सद्य कंपित अधर से नयन चुमना,
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बेहद खूबसूरत....👌👌👍
सादर अभिवादन सहित नमन
बहुत सुंदर👏👏👏👏
सादर अभिवादन सहित नमन
कहानीसंस्मरण
वह खत (लघुकथा)
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मन बड़ा उदास था कई दिनों के निरर्थक भाग दौड़ का आज समापन जो हुआ था वह भी घोर अनिश्चितता के साथ। आज मैने निश्चय कर लिया था अब बस …… कल ही घर वापस चला जाऊंगा , नौकरी ना मिली ना सही ……अब
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कवितादोहा
नारी दिवस की आप सभी को ढेरो शुभकामनाएं
विधा - दोहे
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रचना - 👇👇👇
नारी की आराधना,
करता जग हरबार।
माता विद्यावाहिनी,
नमन करो स्वीकार।।१।।
नारी से घर स्वर्ग है,
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कवितागीत
कल्पनाओं में दोनों (नीरव एवं गुँजन) एक दूजे के साथ एक दूजे के लिए गाते हुए.....!!
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#मुखड़ा (दोनों एक साथ)
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है गीत ये मिलन का, गाओ मुझे सुनाओ|
चितचोर दिल लगाकर,
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बहुत खूबसूरत गीत..!👌👍
सादर आभार वंदन आद.
कवितागीत
#दुष्कर_ही_श्रेयस्कर
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कठिन डगर या दुष्कर जीवन, तनिक नहीं घबराना रे|
साध लिया है उर को जिसने, उसका हुआ जमाना रे||
संघर्षों की बजे मुरलिया, गीत सफलता की गाये|
कर्म किए अति दुष्कर जिसने,
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कवितागीत
आयोजन:- सा रे गा मा (अंत का आरंभ)
विषय :- प्रणय मिलन की आकांक्षा
विधा:- गीत
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【रचना】
प्रीत तेरा मंत्र जैसा, स्वास मे ही धारता हूँ।
बिन तुम्हारे कुछ नहीं मैं, बात यह स्वीकारता हूँ।।
आ प्रिये
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बहुत ही खूबसूरत शब्द संयोजन आदरणीय 🙏
सहृदय आभार
शानदार शब्दों का चयन.. बेहतरीन कल संयोजन... और विषय पर सटीक बैठती रचना... बहुत खूब... आप सतत् ऐसे ही खूबसूरत सृजन करते रहे आदरणीय.. एवं मंच पर अपनी रचना प्रेषित करते रहे.. बहुत बधाई
सादर अभिवादन सहित नमन
वाह... माँ हिन्दी की आप पर विशेष कृपा है..
सादर अभिवादन सहित नमन
बहुत खूब
सादर अभिवादन सहित नमन
सहृदय आभार
सहृदय आभार
बहुत खूबसूरत..👌
सहृदय आभार
सहृदय आभार आदरणीया
सहृदय आभार
सहृदय आभार