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Sahitya Arpan Competition - सा रे गा मा (अंत का आरंभ) भाग - 4
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सा रे गा मा (अंत का आरंभ) भाग - 4

Competition Stats

  • #Entries 6

  • #Likes 5

  • Start Date 31-Mar-21

  • End Date 05-Apr-21

  • Competition Information/Details

    सा रे गा मा संगीत उत्सव
    अंतिम भाग

    ... तभी अलार्म बज उठा नीरव अपने अतीत की दुनिया से तो बाहर आ गया पर विचारों के भँवर से बाहर न आ सका।

    उसने गूँजन के पिता को मनाने का भरसक प्रयास किया परन्तु नाकामयाब रहा।
    गूँजन के पिता अपनी बेटी की शादी दो बच्चों के बाप से हरगिज़ नही करना चाहते थे।
    अब नीरव बुरी तरह से टूट गया पर हारने को तैयार नही था। और अंत मे उसने सब भगवान शिव पर छोड़ देना उचित समझा।
    नीरव उठ कर अपनी टेबल पर जा पहुँचा दिमाग मे अब भी कई बातें झूला झूल रही थी।

    लेखक हूँ किसी दूसरे लेखक की रचना का अंत मैं नही कर सकता पर उसमें आई कमी को तो सुधार ही सकता हूँ अगर भगवान ने हमारी प्रेम कहानी का अंत जुदाई लिख ही दिया है तो क्यो न मैं अपने लेखक होने का फायदा उठाऊँ, उनकी लिखी कहानी में, मैं अपना भी तो कुछ जोड़ सकता हूँ
    जो हमारे दिल को सकुन नही पर एक उम्मीद की रोशनी बन कर हमे जिंदा तो रखेगी।
    चलो हम खुद को ही धोखा दे देते है इस कहानी में अपनी कलम से अपने रिश्ते को दोस्ती लिख कर..! दोस्ती ही तो वो रिश्ता है जिसमे प्रेम के सभी रंग विधमान है! ये सोच कर उसने डायरी उठाई और अपनी कहानी का अंत लिखने लगा।
    तत्क्षण ही उसका मोबाइल बज उठा
    हैल्लो...!
    उसने मोबाइल कान से लगाते हुए बोला
    यार जल्द से जल्द दिल्ली आ जा मुझे तेरी जरूरत है...!
    दूसरी तरफ अर्पित था
    क्या हुआ...? सब ठीक तो है ना नीरव घबरा कर बोला।
    कुछ ठीक नही है यार तू बस आज ही आ जा..!
    इतना कह कर अर्पित ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।
    अब नीरव घबरा गया कई आशंकाओ ने उसे अपने घेरे में ले लिया पता नही क्या हुआ है जो अर्पित ऐसा बोला उसने बिना समय गवाये आनन फानन में दिल्ली जाने की तैयारी की और दिल्ली के लिए रवाना हो गया।
    स्टेशन पर अर्पित नीरव को खुद लेने आया था।
    क्या हुआ..? सब ठीक तो है ना..!
    नीरव ने गले लगते हुए अर्पित से पूछा
    यार कल शादी है और तेरे बिना शादी कैसे हो सकती है..!
    उसने हँसते हुये कहा
    साले...तूने बताया नही...
    और ऐसे कौन बुलाता है अपनी शादी में..? निरव खुशी से चीखते हुये बोला।
    तुझे सप्राइज़ जो देना था..!अर्पित मुस्कुरा कर बोला।

    घर के बाहर काफी चहल पहल थी शादी की तैयारिया जोरो शोरो से हो रही थी।
    अर्पित नीरव को सीधा अपने कमरे में ले गया।
    गूँजन जरा पानी तो लाना..!अर्पित ने नीरव का सामान रखते हुए आवाज़ लगाई।
    गूँजन का नाम सुनते ही नीरव चौक गया वो अर्पित से कुछ पूछता उससे पहले ही गूँजन पानी का गिलास लिए उसके सामने खड़ी थी।
    गूँजन को देख नीरव का दिल धक से रह गया।
    ये....ये.. ये कौन..?
    उसने गूँजन की ओर इशारा करते हुए अर्पित से पूछा।
    यही तो है इस शादी की दुल्हन..! अर्पित मुस्कुराते हुए बोला।
    नीरव ने गहनता से खुद को खामोशी के सुपुर्द कर दिया।
    कैसी विडम्बना थी आज अपने प्यार को किसी और का होते हुए खामोशी से देखना था।
    नीरव ने चुप्पी की चादर ओढ़ना ही मुनासिब समझा।
    जैसे तैसे दिन बिता पर रात को नीरव अपने बिस्तर पर आँखों मे आँसू लिये बस करवट बदलता रहा।
    सुबह उसकी आंख लगी ही थी कि...
    "पापा उठो..! बच्चों की आवाज़ सुन कर नीरव ने आंखें खोली।
    तुम लोग यहाँ कैसे..? उसने चौक कर बच्चों को देखा तो झटके से खड़े होते हुए पूछा।
    बच्चों और माँ को मैं लाया हूँ.. तेरी शादी जो हैं..! अर्पित मुस्कुराते हुए बोला।

    में..मेरी...! अर्पित की बात सुनकर नीरव हकलाने लगा।
    हाँ यार तेरी... तुझे सामने देख कर गूँजन ने मुझे सब कुछ बता दिया..! अर्पित मुस्कुरा कर बोले ही जा रहा था
    और... मुझे कल ही पता चला जिस लड़की को मैंने तेरे फोन से नम्बर लेकर तेरे प्यार से रूबरू कराया वो कोई और नही गूँजन ही थी..!
    पर अर्पित...
    पर वर कुछ नहीं अंकल जी को मना लिया है शादी की सभी तैयारी हो चुकी हैं.. बस तुझे शादी करनी है..! अर्पित ने जैसे अपना फैसला सुना दिया।
    अर्पित के इस फैसले ने दोस्ती के सतरंगी प्रेम की बौझार नीरव और गूँजन पर कर दी।
    पूरा माहौल खुशनुमा हो चला था।
    नीरव मन ही मन अपने इष्ट देव शिव को नमन करते हुए सोचने लगा
    जिस कहानी का अंत हम अपनी जुदाई समझ के कर चुके थे उस अंत का आरंभ बहुत ही खूबसूरती से हमारे प्रणय-मिलन से किया है एक दोस्त के अनमोल प्यार और उस ऊपर वाले लेखक कि लेखनी ने...!
    नीरव और गूँजन कि प्रेम कहानी के अंत का ये वो आरंभ था जो अब सात जन्मों के बन्धन में उन्हें बांधने वाला था।

    रचनाकार
    पूनम बागड़िया "पुनीत"

    कवितागीत

    मुरादों वाली रात

    • Edited 3 years ago
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    नमन मंच
    दिनांक --०५/०४/२०२१
    वार-- सोमवार
    आयोजन--#अंत_का_आरंभ_भाग---४
    विषय--
    मुरादों वाली रात --

    ख्वाबों से निकल आओ अभी, ओ मेरे दिलदार।
    सूनी दुनिया महका जाओ, दिल करे है पुकार।
    (लड़का)
    बिन देखे तुमको ओ सजनी,
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    कवितागीत

    बेला मिलन की.....

    • Edited 3 years ago
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    बेला मिलन की
    *--*--*--*--*
    बड़ी मुश्किल से आई है मिलन की बेला अलबेली।
    खुशी तन मन की लाई है मिलन की बेला अलबेली
    मिलन की बेला अलबेली।

    कभी सोचा नही था दिल ये मेरा फिर से धड़केगा,
    किसी की चाह में इक दिन होके बेताब
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    कवितागीत

    मिलन रूत ❤

    • Edited 3 years ago
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    मिलन रूत ❤
    ❤❤❤❤❤

    कोरस पंक्तियाँ❤
    मिलन रूत आयी, मिलन रूत आयी
    बधाई हो बधाई ,मिलन रूत आयी।

    गीत ❤
    लायी हैं बहारें , प्यार की फुहारें
    प्यार की फुहारों, लायी हैं बहारें ।
    पिया सुन प्रीत की धुन गाते
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    👌🏻

    Pallavi Rani3 years ago

    हृदय से आभार 🙏😊

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत सुंदर रचना..👌

    Pallavi Rani3 years ago

    हार्दिक आभार 🙏😊

    कवितालयबद्ध कविता, गीत

    "गीत मिलन के"

    • Edited 3 years ago
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    सा रे गा मा (अंत का आरंभ)भाग चार
    ।।।गीत मिलन के।।।
    नायक और नायिका के अन्तर्ममन की आवाज
    कुछ यूं गीत बन कर फजाओं में गुजने लगी
    आखिरकार निस्वार्थ प्रेम की जीत होती है। दोनो एक
    दूसरे की आखों में
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    कवितागीत

    मेहरबां है रब जो उसने हमें मिलाया

    • Edited 3 years ago
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    नायक-
    ओ यारा SSSS......
    मैं भूलना भी जो चाहूँ तुझे हरगिज़ भुला सकता नहीं
    तेरी बातों को इस दिल सेकभी मिटा सकता नहीं .....

    तेरी यादों के साये में जी रहा मैं यहाँ......
    जानता है ये दिल तू भी होगी बैचेन वहाँ....

    (कुछ
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    कवितागीत

    विरह का अंत, अमित प्रारंभ

    • Edited 3 years ago
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    आयोजन:- सा रे गा मा पा (अंत का आरंभ) अंतिम भाग
    ________________________________________
    सजन होगा मिलन अपना, सुखद अहसास आया है।
    बहारें आ गई देखो, फिजाँ में प्यार छाया है।।

    पड़ेंगे बाग में झूले, सजन हमको झुलायेंगे।
    बिछाकर पुष्प
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    Prabuddh kashyap

    Prabuddh kashyap 3 years ago

    बेह्तरीन

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    स्नेहिल आभार अनुजवर