Govt lecturer
Writer, blogger
Big lover of nature
#Followers 16
#Posts 28
#Likes 11
#Comments 31
#Views 6101
#Competition Participated 12
#Competition Won 4
Writer Points 30770
Competition | Rank | Certificate |
---|---|---|
जनवरी की ठंड | Certificate | |
लघुकथाएं ही लघुकथाएं | Certificate | |
सा रे गा मा (अधूरी कहानी) भाग - 4 | Certificate | |
सा रे गा मा (अंत का आरंभ) भाग - 4 | Certificate |
#Posts Read 77
#Posts Liked 1
#Comments Added 3
#Following 1
Reader Points 420
London is the capital city of England.
कवितागीत
नायक-
ओ यारा SSSS......
मैं भूलना भी जो चाहूँ तुझे हरगिज़ भुला सकता नहीं
तेरी बातों को इस दिल सेकभी मिटा सकता नहीं .....
तेरी यादों के साये में जी रहा मैं यहाँ......
जानता है ये दिल तू भी होगी बैचेन वहाँ....
(कुछ
Read More
कवितागीत
नायक-
आए हो बहारों की तरह ज़िन्दगी में ओ साथिया,
आओ करीब बैठो कर लूँ मैं दिल में जो हैं बतीयाॅं ।
नायिका-
सजते हैं ख़्वाब तेरे ही जागू में सारी-सारी रतियाॅं,
खोयी हूँ तेरे ही ख्यालों में ,छा रही
Read More
कहानीलघुकथा
शीर्षक- संवेदनशून्य दुनिया
अपने नाटे क़द और काले रंग के कारण कावेरी बचपन से उपहास का पात्र बनती चली आई। उसकी मन:स्थिती को समझने का प्रयास न ही कभी परिवार ने किया और न कभी ऐसा ही हुआ कि समाज से
Read More
कविताअतुकांत कविता
#माँ
जीवन पथपर प्रतिपल माँ की छाया चलती है...
सूक्ष्म से भ्रूण को जो है करती,अपने रक्त से सींचित.
डाल अपने प्राणों को जीवन -मृत्यु के बीच
देती जन्म शिशु को, और कहती हुआ पूर्ण जीवन मेरा
किन शब्दों में
Read More
कविताअतुकांत कविता
पिछले वर्ष आई थी नेहर,
गुमसुम सी-कुम्हलाई सी.।
सबके बीच थी फिर भी
कहीं खोई सी-घबराई सी l।
पूछा जब माँ ने- है कष्ट तुझे क्या?
उत्तर में गिर पड़े थे अश्रु
माँ के आंचल में आकर
नहीं जाना चाहती थी
वो उस
Read More
कवितागीत
सुन रही हो ना ये दिल कर रहा है तुम से ही बातें.....
आंखों में तुम, ख़्यालों में तुम,
अब मेरी ज़िन्दगी बन गई हो तुम ।।
सुन रही हो ना.....
(नायक- क्यों ख़ामोश हो कुछ बोलो.... बोलो ना)
नायिका:
दिल ये चाहे मेरा
Read More
कवितागीत
ओ सनम मेरे सनम.....
ये क्या हुआ कैसे हुआ
जाने न मन.........
कैसी हैं बेताबियाँ, सुन रहा
अब तरफ़ तेरी ही आवाज़ मन.....
धड़कनों को आ रही तेरी सदा
लगता है जैसे हो तुझसे रिश्ता
जनम-जनम का सनम.....
ये क्या हुआ कैसे हुआ
जाने
Read More
कविताअतुकांत कविता
शीर्षक- ऋतु राज बसंत
गूंज उठे वीणा के तार,
माँ शारदे जो मुस्कराई,
बिखरे तम को हर दे,
मन को हर्षित कर दे
जीवन को उल्लास से भर दे
वर दे! वर दे! वर दे!!!!
सजधज गई धरा
ओढ़ पीत चुनर बसंत बहार आई ..
खिल उठी वसुंधरा
Read More
कविताअतुकांत कविता
शीर्षक- देश मेरा महान है
हर जन गाता जहाँ जन-गण-मन का गान है,
देशों में देश निराला मेरा भारत देश महान है।
वीर सपूतों की कर्मस्थली यह, देशप्रेम में बसते जिनके प्राण हैं,
प्रहरी बन खड़े सरहदों जो वीर
Read More
कविताअतुकांत कविता
वो सर्दी का आना और मौसम का बदलता मिजाज़,
कभी गुनगुनी धूप ,कभी बिछ जाना कोहरे की चादर,
पत्तियों पर शबनम की चमकती बूंदे बिखरी चांदी जैसे,
बर्फीली फिज़ाओं से सज-संवर निखर जाना पहाड़ों का,
मनभावन
Read More
कविताअतुकांत कविता
वो सर्दी का आना और मौसम का बदलता मिजाज़,
कभी गुनगुनी धूप ,कभी बिछ जाना कोहरे की चादर,
पत्तियों पर शबनम की चमकती बूंदे बिखरी चांदी जैसे,
बर्फीली फिज़ाओं से सज-संवर निखर जाना पहाड़ों का,
मनभावन
Read More
कविताअतुकांत कविता
शीर्षक- मैं हूँ हिंदी सज रही माथे पर मेरे बिंदी.....
कितनी मृदुल, सहज, सुकोमल यह भाषा है।
स्वर-व्यंजनों में छुपा अद्भुत इसका एक संसार है।।
उद्गारोंं और भावों की अभिव्यक्ति का चमत्कार है।
अन्तर्मन
Read More
कविताअतुकांत कविता
#31अगस्त२०२०
दिन-सोमवार
चित्र आधारित
विधा-पद्य
#क़लम
नि:संदेह मैं एक छोटी सी वस्तु हूँ
कोई विशेष रंग नहीं,
न ही विशेष आकार मेरा
सबके काम आती हूँ मैं!
राज दरबारों से लेकर
सड़क-सड़क घूमी हूँ मैं!
Read More
वाहः बहुत ही सुंदर वर्णन किया आपने कलम का
शुक्रिया ने हा जी
कविताअतुकांत कविता
#28 अगस्त
दिन-शुक्रवार
चित्र आधारित
विधा-पद्य
ठहरो! ज़रा सोचो
क्या करने जा रहे हो?
इतने भी क्रूर मत बनो!
एक निर्दोष अबोध बालक
के साथ ये कैसा निर्मम्
व्यवहार कर रहे हो तुम?
अभी तो वह अपने सपनों
की दुनिया
Read More
कविताअतुकांत कविता
#27अगस्त२०२०
दिन-गुरूवार
चित्र आधारित
विधा-पद्य
साज़िशें बहुत करीं उसने मुझे ढाने की
मैं सम्भलता रहा और वो हर कोशिश
करता रहा मुझे गिराने की.....
काश! करे वह भी कोशिश
क़दम से क़दम मिलाने की....
एक ही नावं
Read More
लेखआलेख
#25अगस्त२०२०
वार-मंगलवार
शीर्षक- जाने कहाँ गए वो दिन
गाँव का घर,मिट्टी का आँगन,नीम की छाँव,और गर्मी की शाम, सब बच्चे दादी माँ को मधुमक्खी के छत्ते जैसा घेर लेते।फिर खुलता दादीमाँ की पहेलियों,परियों,राजा-रानी
Read More
कविताअतुकांत कविता
#24 अगस्त2020
# वार- सोमवार
# महल और झोपड़ी
एक दिन जो निकला बनकर मैं यायावर
फिरता रहा कभी इस डगर-कभी उस डगर.....
देखे जीवन के कई आयाम, विविध रंग- रूप
जगमगाती सड़कों पर बने भव्य आलिशान भवन
बयां कर रहे वर्चस्व
Read More
कहानीप्रेरणादायक
#23अगस्त
शीर्षक- शिक्षा का महत्व
ठाकुर-"अरे काम में मन नहीं लगता तेरा! जल्दी-जल्दी हाथ चला, शाम तक पूरा न किया तो आधी ध्याड़ी ही मिलेगी । "
दीना- मालिक आपके रहम से तो चूल्हा जलता है हमारा बस कुछ समय और........
Read More
कविताअतुकांत कविता
ख़्वाब देखा करो
ख़ामोशी अच्छी नहीं, ख़्वाब देखा करो.......
है चार दिन की ज़िन्दगी अपने अरमानों को हासिल कर लो,
दिल ही दिल में यूँ न बंद रखो ख्वाहिशें,सपनों कीउड़ानभरलो,
मंज़िल है दूर, मुश्किल
Read More