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Sahitya Arpan - Yasmeen 1877
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Yasmeen 1877

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Govt lecturer
Writer, blogger
Big lover of nature

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  • कवितागीत

    मेहरबां है रब जो उसने हमें मिलाया

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 392
    • 6 Mins Read

    नायक-
    ओ यारा SSSS......
    मैं भूलना भी जो चाहूँ तुझे हरगिज़ भुला सकता नहीं
    तेरी बातों को इस दिल सेकभी मिटा सकता नहीं .....

    तेरी यादों के साये में जी रहा मैं यहाँ......
    जानता है ये दिल तू भी होगी बैचेन वहाँ....

    (कुछ
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    मेहरबां है रब जो उसने हमें मिलाया,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    हाय ये कैसी मजबूरियाँ

    • Edited 3 years ago
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    • 295
    • 4 Mins Read

    नायक-
    आए हो बहारों की तरह ज़िन्दगी में ओ साथिया,
    आओ करीब बैठो कर लूँ मैं दिल में जो हैं बतीयाॅं ।

    नायिका-
    सजते हैं ख़्वाब तेरे ही जागू में सारी-सारी रतियाॅं,
    खोयी हूँ तेरे ही ख्यालों में ,छा रही
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    हाय ये कैसी मजबूरियाँ,<span>गीत</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    कविता

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 120
    • 4 Mins Read

    # कविता
    कल्पना का जन्म, विचारों का स्पंदन,
    भावों की अभिव्यक्ति, शब्दोंं के रसायन
    पीकर एक लहलहाती फसल रूपी कविता,
    करती हूँ रसास्वादन साहित्य साधकों का । ।

    शब्द, लय, छंद में गूंथा मेरा कलेवर,
    मैं मनोभावों
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    कविता,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कहानीलघुकथा

    संवेदनशून्य दुनिया

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 81
    • 5 Mins Read

    शीर्षक- संवेदनशून्य दुनिया
    अपने नाटे क़द और काले रंग के कारण कावेरी बचपन से उपहास का पात्र बनती चली आई। उसकी मन:स्थिती को समझने का प्रयास न ही कभी परिवार ने किया और न कभी ऐसा ही हुआ कि समाज से
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    संवेदनशून्य दुनिया,<span>लघुकथा</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    माँ की ममता

    • Edited 3 years ago
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    • 414
    • 4 Mins Read

    #माँ
    जीवन पथपर प्रतिपल माँ की छाया चलती है...
    सूक्ष्म से भ्रूण को जो है करती,अपने रक्त से सींचित.
    डाल अपने प्राणों को जीवन -मृत्यु के बीच
    देती जन्म शिशु को, और कहती हुआ पूर्ण जीवन मेरा
    किन शब्दों में
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    माँ की ममता,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत सुन्दर स्रजन..!

    Yasmeen 18773 years ago

    आभार एवं धन्यवाद

    Varinderpal kaur babli

    Varinderpal kaur babli 3 years ago

    Wah

    Yasmeen 18773 years ago

    जी शुक्रिया🙏

    कविताअतुकांत कविता

    दहेज़ की भेंट

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 194
    • 3 Mins Read

    पिछले वर्ष आई थी नेहर,
    गुमसुम सी-कुम्हलाई सी.।
    सबके बीच थी फिर भी
    कहीं खोई सी-घबराई सी l।
    पूछा जब माँ ने- है कष्ट तुझे क्या?
    उत्तर में गिर पड़े थे अश्रु
    माँ के आंचल में आकर
    नहीं जाना चाहती थी
    वो उस
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    दहेज़ की भेंट,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कवितागीत

    येदिलकर रहा है तुम से ही बातें

    • Edited 3 years ago
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    • 165
    • 3 Mins Read

    सुन रही हो ना ये दिल कर रहा है तुम से ही बातें.....
    आंखों में तुम, ख़्यालों में तुम,
    अब मेरी ज़िन्दगी बन गई हो तुम ।।
    सुन रही हो ना.....
    (नायक- क्यों ख़ामोश हो कुछ बोलो.... बोलो ना)
    नायिका:
    दिल ये चाहे मेरा
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    येदिलकर रहा है तुम से ही बातें,<span>गीत</span>
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    Sarita Gupta

    Sarita Gupta 3 years ago

    अति सुन्दर ।

    Yasmeen 1877

    Yasmeen 1877 3 years ago

    Ji shukriya

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    ख़ूबसूरत..!

    कहानीलघुकथा

    समर्पण

    • Edited 3 years ago
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    • 353
    • 7 Mins Read

    एक सुप्रसिद्ध नृत्यांगना का संगीत से अटूट लगाव इतना कि व्हीलचेयर पर बैठी भी वह गानों की धुन में कहीं अतीत के दिनों में चली जाती ।
    जिसके पैर संगीत की धुन पर थिरकते थे, जब वह स्टेज पर उतरती दर्शकों
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    समर्पण,<span>लघुकथा</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अच्छी कहानी..

    Yasmeen 18773 years ago

    धन्यवाद🙏

    कहानीलघुकथा

    जुनून

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 334
    • 11 Mins Read

    जुनून
    व्हील चेयर उसकी सबसे बड़ा सहारा थी, पूरे घर का चक्कर वो इ, पर बैठ लगाती,अब उम्र भी काफी हो चुकी थी, वक़्त काटे नहीं कटता सभी तो अपने-अपने कामों पर चले जाते हैं सिर्फ वही है जो घर पर अकेले रहती,उसका
    Read More

    जुनून,<span>लघुकथा</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    चित्र को परिभाषित करती लघुकथा

    Yasmeen 18773 years ago

    Ji shukriya

    कवितागीत

    ओ सनम मेरे सनम

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 227
    • 4 Mins Read

    ओ सनम मेरे सनम.....
    ये क्या हुआ कैसे हुआ
    जाने न मन.........
    कैसी हैं बेताबियाँ, सुन रहा
    अब तरफ़ तेरी ही आवाज़ मन.....
    धड़कनों को आ रही तेरी सदा
    लगता है जैसे हो तुझसे रिश्ता
    जनम-जनम का सनम.....
    ये क्या हुआ कैसे हुआ
    जाने
    Read More

    ओ सनम मेरे सनम,<span>गीत</span>
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    Sarita Gupta

    Sarita Gupta 3 years ago

    नायक के मन के भाव । बढ़िया ।

    Yasmeen 18773 years ago

    Ji shukriya

    Anju Gahlot

    Anju Gahlot 3 years ago

    वाह

    Yasmeen 18773 years ago

    जी शुक्रिया

    Yasmeen 1877

    Yasmeen 1877 3 years ago

    Thanku 🌹

    Ritu Garg

    Ritu Garg 3 years ago

    व्हा बहुत खूब

    Yasmeen 18773 years ago

    Thnx 🌹

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    Yasmeen 18773 years ago

    जी शुक्रिया 🌹

    कविताअतुकांत कविता

    ऋतुराज बसंत

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 145
    • 4 Mins Read

    शीर्षक- ऋतु राज बसंत

    गूंज उठे वीणा के तार,
    माँ शारदे जो मुस्कराई,
    बिखरे तम को हर दे,
    मन को हर्षित कर दे
    जीवन को उल्लास से भर दे
    वर दे! वर दे! वर दे!!!!

    सजधज गई धरा
    ओढ़ पीत चुनर बसंत बहार आई ..
    खिल उठी वसुंधरा
    Read More

    ऋतुराज बसंत,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    माँ

    • Edited 3 years ago
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    • 178
    • 4 Mins Read

    जाती नहीं आंखों से सूरत तुम्हारी...

    माँ !सुन रही है ना मेरे दिल की आवाज़, इतने साल
    बीत गये पर तुम्हारा छोड़कर दुनिया चले जाना,
    आज भी सबसे बड़ा झूठ लगता है जानती हूँ कहीं नहीं
    तुम ! मगर आस-पास ही हो
    Read More

    माँ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    ख़ूबसूरत और मर्मस्पर्शी

    Yasmeen 18773 years ago

    जी धन्यवाद

    कविताअतुकांत कविता

    चेहरा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 121
    • 4 Mins Read

    # चेहरा

    अक्सर एक सवाल उठता है कि क्यों होता है ऐसा?
    कभी इंसानों के चेहरे,कभी चेहरों के पीछे इंसान बदल जाते हैं।

    जो दिखते हैं मासूम चेहरे ,वो मौक़े पे फिर जाते हैं,
    एक चेहरे पे कई चेहरे लगा, वो
    Read More

    चेहरा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    शानदार

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    कविताअतुकांत कविता

    देश मेरा महान है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 87
    • 6 Mins Read

    शीर्षक- देश मेरा महान है

    हर जन गाता जहाँ जन-गण-मन का गान है,
    देशों में देश निराला मेरा भारत देश महान है।
    वीर सपूतों की कर्मस्थली यह, देशप्रेम में बसते जिनके प्राण हैं,
    प्रहरी बन खड़े सरहदों जो वीर
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    देश मेरा महान है,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    जनवरी की ठंड

    • Edited 3 years ago
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    • 115
    • 5 Mins Read

    वो सर्दी का आना और मौसम का बदलता मिजाज़,
    कभी गुनगुनी धूप ,कभी बिछ जाना कोहरे की चादर,
    पत्तियों पर शबनम की चमकती बूंदे बिखरी चांदी जैसे,
    बर्फीली फिज़ाओं से सज-संवर निखर जाना पहाड़ों का,
    मनभावन
    Read More

    जनवरी की ठंड,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर रचना

    Yasmeen 18773 years ago

    Thank u☺

    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    शानदार सृजन 👌👌

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    Yasmeen 18773 years ago

    Ji shukriya ☺

    कविताअतुकांत कविता

    जनवरी की ठंड

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 102
    • 5 Mins Read

    वो सर्दी का आना और मौसम का बदलता मिजाज़,
    कभी गुनगुनी धूप ,कभी बिछ जाना कोहरे की चादर,
    पत्तियों पर शबनम की चमकती बूंदे बिखरी चांदी जैसे,
    बर्फीली फिज़ाओं से सज-संवर निखर जाना पहाड़ों का,
    मनभावन
    Read More

    जनवरी की ठंड,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअन्य

    मेरा गांव

    • Edited 3 years ago
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    • 415
    • 4 Mins Read

    शहर की दौड़ती-भागती ,
    दिनचर्या से अनभिज्ञ गाँव मेरा ।
    चढ़े दिनमान गगन पर उससे पूर्व
    जाग जाता है गाँव मेरा ।।

    खेत-शखलिहानों को चलें कृषक
    कांधे पर हल-संग चले बैल ।
    पगडण्डी से होकर जाता मार्ग यहाँ
    सौपान
    Read More

    मेरा गांव,<span>अन्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत सुन्दर

    Gita Parihar

    Gita Parihar 2 years ago

    बहुत सुंदर और सजीव वर्णन

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    गाँव को समर्पित प्रिय कविता

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Yasmeen 18773 years ago

    जी शुक्रिया

    कविताअतुकांत कविता

    चांद

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 270
    • 3 Mins Read

    # चांद
    ऐ खुदा क्या खूब बनाया चांद को, बिखेर शीतल चांदनी लुभाता मन को.
    दिखाकर आईने में चांद दुलारती और लाडले को सुनाती चंदा मामा की कहानियाँ माँ ।
    आशिक को दिखता शबाब चेहरे पर महबूबा के ज्यों पूनम का
    Read More

    चांद,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    शर्त

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 131
    • 3 Mins Read

    #शर्त
    ज़िंदगी गुज़रती नहीं ,
    शर्तों पर चलकर
    बदल जाता है मिजाज़,
    रूख हवा का देखकर।
    कौन कहता है कि हर
    सफर सुहाना होता है ?
    आते-जाते इम्तहानों से
    पल-पल गुज़रना होता है ।
    क़िस्मत की लकीरों को
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    शर्त,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मैं हूँ हिन्दी सज रही माथे पर मेरे बिंदी

    • Edited 3 years ago
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    • 99
    • 5 Mins Read

    शीर्षक- मैं हूँ हिंदी सज रही माथे पर मेरे बिंदी.....

    कितनी मृदुल, सहज, सुकोमल यह भाषा है।
    स्वर-व्यंजनों में छुपा अद्भुत इसका एक संसार है।।
    उद्गारोंं और भावों की अभिव्यक्ति का चमत्कार है।
    अन्तर्मन
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    मैं हूँ हिन्दी सज रही माथे पर मेरे बिंदी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    प्रहरी

    • Edited 3 years ago
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    • 185
    • 5 Mins Read

    #01-09-२०२०
    दिन-मंगलवार
    चित्र आधारित
    विधा-पद्य
    # प्रहरी
    देखो! कैसे फौलादी हैं सीना ताने
    दिन और रात के नहीं कोई माने।
    जी रहे जी हम बनकर निर्भय
    सौगात मिली हमें इनकी बदौलत,
    रहते चौकस,हर पल सेवा पर
    हों
    Read More

    प्रहरी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Yasmeen 18773 years ago

    जी धन्यवाद

    कविताअतुकांत कविता

    मैं क़लम हूँ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 291
    • 6 Mins Read

    #31अगस्त२०२०
    दिन-सोमवार
    चित्र आधारित
    विधा-पद्य

    #क़लम
    नि:संदेह मैं एक छोटी सी वस्तु हूँ
    कोई विशेष रंग नहीं,
    न ही विशेष आकार मेरा
    सबके काम आती हूँ मैं!
    राज दरबारों से लेकर
    सड़क-सड़क घूमी हूँ मैं!
    Read More

    मैं क़लम हूँ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    वाहः बहुत ही सुंदर वर्णन किया आपने कलम का

    Yasmeen 18773 years ago

    शुक्रिया ने हा जी

    कविताअतुकांत कविता

    क्या कर रहे हो तुम?

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 241
    • 5 Mins Read

    #28 अगस्त
    दिन-शुक्रवार
    चित्र आधारित
    विधा-पद्य
    ठहरो! ज़रा सोचो
    क्या करने जा रहे हो?
    इतने भी क्रूर मत बनो!
    एक निर्दोष अबोध बालक
    के साथ ये कैसा निर्मम्
    व्यवहार कर रहे हो तुम?
    अभी तो वह अपने सपनों
    की दुनिया
    Read More

    क्या कर रहे हो तुम? ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत सुन्दर रचना..!

    कविताअतुकांत कविता

    साज़िशें बहुत की उसने मुझे ढाने की

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 207
    • 4 Mins Read

    #27अगस्त२०२०
    दिन-गुरूवार
    चित्र आधारित
    विधा-पद्य
    साज़िशें बहुत करीं उसने मुझे ढाने की
    मैं सम्भलता रहा और वो हर कोशिश
    करता रहा मुझे गिराने की.....
    काश! करे वह भी कोशिश
    क़दम से क़दम मिलाने की....
    एक ही नावं
    Read More

    साज़िशें बहुत की उसने मुझे ढाने की,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    समाज में कुछ लोग किसी को आगे बढ़ता देख,पीठ पीछे वार करने से नहीं चूकते

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    उत्तम

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब उम्दा रचना

    Yasmeen 18773 years ago

    Thank u so much neha jii

    लेखआलेख

    जानें कहाँ गए वो दिन

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 218
    • 6 Mins Read

    #25अगस्त२०२०
    वार-मंगलवार


    शीर्षक- जाने कहाँ गए वो दिन
    गाँव का घर,मिट्टी का आँगन,नीम की छाँव,और गर्मी की शाम, सब बच्चे दादी माँ को मधुमक्खी के छत्ते जैसा घेर लेते।फिर खुलता दादीमाँ की पहेलियों,परियों,राजा-रानी
    Read More

    जानें कहाँ गए वो दिन,<span>आलेख</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    जीवन के रंग अनेक

    • Edited 3 years ago
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    • 179
    • 6 Mins Read

    #24 अगस्त2020
    # वार- सोमवार
    # महल और झोपड़ी
    एक दिन जो निकला बनकर मैं यायावर
    फिरता रहा कभी इस डगर-कभी उस डगर.....
    देखे जीवन के कई आयाम, विविध रंग- रूप
    जगमगाती सड़कों पर बने भव्य आलिशान भवन
    बयां कर रहे वर्चस्व
    Read More

    जीवन के रंग अनेक,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कहानीप्रेरणादायक

    शिक्षा का महत्व

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 420
    • 10 Mins Read

    #23अगस्त
    शीर्षक- शिक्षा का महत्व
    ठाकुर-"अरे काम में मन नहीं लगता तेरा! जल्दी-जल्दी हाथ चला, शाम तक पूरा न किया तो आधी ध्याड़ी ही मिलेगी । "
    दीना- मालिक आपके रहम से तो चूल्हा जलता है हमारा बस कुछ समय और........
    Read More

    शिक्षा का महत्व,<span>प्रेरणादायक</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत सुन्दर और प्रेरणादायी रचना..!

    कविताअतुकांत कविता

    कविता-ख़्वाब देखा करो

    • Edited 3 years ago
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    • 122
    • 4 Mins Read

    ख़्वाब देखा करो
    ख़ामोशी अच्छी नहीं, ख़्वाब देखा करो.......
    है चार दिन की ज़िन्दगी अपने अरमानों को हासिल कर लो,
    दिल ही दिल में यूँ न बंद रखो ख्वाहिशें,सपनों कीउड़ानभरलो,
    मंज़िल है दूर, मुश्किल
    Read More

    कविता-ख़्वाब देखा करो,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर रचना

    Yasmeen 18773 years ago

    Thank u very much neha ji❤