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Start Date 19-Jan-21
End Date 25-Jan-21
Writer | Rank | Certificate |
---|---|---|
Yasmeen 1877 | Certificate | |
Priyanka priya Mishra | Certificate | |
Kamlesh Vajpeyi | Certificate |
Competition Information/Details
सभी साहित्यिक स्वजनों को नमस्कार...??
मौसम के तेवर आजकल सब को सताये है हर कोई ठंड से बचने के लिये अलाव जला कर बैठा है या रजाई में छिप कर लेटा है। बच्चों के साथ बड़े भी नहाने से बच रहे है।
कहीं अपनी रजाई में बैठे रेवाड़ी गज्जक मूंगफली का आनंद लेते लोग नज़र आ रहे है तो कहीँ फुटपाथ पर एक पतली सी चादर में खुद को सिकोड़ता गरीब की लाचारी दिख रही है।
अपने अनुभव साँझा कीजिये हमारी आज की प्रतियोगिता का हिस्सा बन कर जिसका विषय है जनवरी की ठंड!
जनवरी की कड़कड़ाती इस ठंड में आप सभी आदरणीय जनों की अलाव रूपी लेखनी की अपेक्षा है..!
लेखन सम्बंधित विस्तृत जानकारी इस प्रकार है..
दिनाँक - 19 जनवरी से 25 जनवरी2021
विषय - जनवरी की ठंड
विधा - मुक्त (किसी भी विधा मे)
लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-
1. पोस्ट वेबसाइट पर ही मान्य.! वेबसाइट पर पोस्ट करने के दौरान यदि किसी को कोई परेशानी आ रही है तो website होम पेज पर जाकर मैसेज बॉक्स में मैसेज छोड़ सकते हैं।
2. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।
3. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।
4. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक समूह में पोस्ट कर सकते है।
5. रचना में टैग ऐड करना न भूले। टैग ऐड करने के लिए आपको नीचे वाले ऐड आ टैग वाले ऑप्शन का इस्तेमाल करना है जिसमें आपको टैग #19-1-2021कृप्या तारीख केवल अंग्रेजी गिनती में ही लिखें बिना स्पेस दिये।
6. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।
आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....
भूमिका संयोजन
पूनम बागड़िया
धन्यवाद
साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।
लेखआलेख
जनवरी का महीना
सर्दी का मौसम भी विचित्र है. जब जनवरी महीने में बहुत अधिक सर्दी होती है. कई, कई दिन सूर्य भगवान के दर्शन नहीं होते हैं,लोग अपने लिहाफ़ में दुबकना पसन्द करते हैं तब लगता है. जल्दी से
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कविताअतुकांत कविता
वो सर्दी का आना और मौसम का बदलता मिजाज़,
कभी गुनगुनी धूप ,कभी बिछ जाना कोहरे की चादर,
पत्तियों पर शबनम की चमकती बूंदे बिखरी चांदी जैसे,
बर्फीली फिज़ाओं से सज-संवर निखर जाना पहाड़ों का,
मनभावन
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कवितानज़्म
जब कोई बात दिल में घर कर जाती है
सच मानिये हालत को दर-ब-दर कर जाती है
बहुत कच्ची होती हैं ये विश्वास की डोरिया
जब टूटती है तो ज़िन्दगी जर्जर कर जाती है
सुनिये कभी किसी टूटे हुए दिल की सिसकियां
अच्छे
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कवितादोहा
जनवरी महीने के दोहै(शीत के दोहे)
सारा आँगन खिल उठा,बदला ऋतु ने रूप,
लगती है मनभावनी, जाड़े की यह धूप।
कुहरा-सा जीवन हुआ, किन्तु धूप-सी आस
लगती प्रिय-सी गुनगुनी,नित्य बुझाती प्यास
तन-मन चंगा हो गया,
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कविताअन्य
जनवरी की ठंड
कड़ाके की ठंड आ गई
देखो जनवरी की माह आ गई
अब गरम - गरम चाय पीने की
चुसकी की जोरदार बारी आ गई।
देखो बारह महीना
खत्म करके
फिर से कड़ाके वाली
ठंड जनवरी आ गई।
मौसम की सुहानी
ठंडे की रूबानी
गरम
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कविताअतुकांत कविता
बालिका दिवस स्पेशल
कल को छोडो़ चलो आज को आज बनाते है,
भुला के सारे गलफत को एक नया अंदाज बनाते है,
अब तक बहुत हुआ सोहर इन बेटों के जन्म पर
हो बेटी के जन्म पर सोहर ऐसा रिवाज बनाते है!
क्या बेटो से कम
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कविताअतुकांत कविता
जनवरी की ठंड बहुत सताती है
जब माँ तेरी याद आती है
विद्यालय से आने के बाद
अपने हाथों से धूप में तू खाना खिलाती थी
ठंड ज्यादा होने पर हमें
शॉल में अपनी छुपाती थी
माँ जनवरी की ठंड बहुत सताती है
नहलाकर
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बहुत सुन्दर रचना..! माँ के आंचल की गर्मी से ठंड भाग जाती है.
धन्यवाद अंकल जी
कहानीलघुकथा
कड़ाके की ठंड और कुहासे की वजह से आगे का कोई भी दृश्य आँखों से दिखाई नहीं दे रहा था। ठंड से ठिठुरता दीनानाथ खुद से अनगिनत प्रश्न करते हुए अपने कदमों को खेत की ओर बढ़ाये जा रहा था। किटकिटाती ठंड , बढती
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कवितालयबद्ध कविता
#जनवरी की ठंड
कोहरा,पाला,गिरना बर्फ का ,है सर्दियों की सौगात
देखी अबकी जनवरी में हमने संग इनके मूसलाधार बरसात
जनवरी की ठंड में किटकिटाते दांत और सुन्न होते मेरे हाथ
ख्वाहिश यही बैठ जाऊं लिहाफ में
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आदरणीया जब आप रचना एडिट करती हैं और विभिन्न विकल्प का चुनाव करती हैं तो उन्ही विकल्प में एक विकल्प ऐड a टैग का ऑप्शन रहता है। आप वहां पर जनवरी की ठंड लिख दीजिये टैग ऐड हो जाएगा।