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Start Date 31-Mar-21
End Date 05-Apr-21
Writer | Rank | Certificate |
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पं. संजीव शुक्ल 'सचिन' | Certificate | |
Pallavi Rani | Certificate | |
Yasmeen 1877 | Certificate |
Competition Information/Details
सा रे गा मा संगीत उत्सव 2021
अंतिम भाग
मन ही मन वो परेशान रहती कि कार्तिक ने ऐसा क्यूँ किया ,
वो कहाँ गया ,वो आया क्यूँ नहीं ।
और फिर एक दिन उसकी माँ ने एक अच्छा लड़का मिलते ही सौम्या की शादी करा दी । सब कुछ अच्छा था मगर पहले प्यार,पहले स्पर्श ,और पहले दर्द को कोई कैसे अलग कर सकता है । वो अंदर ही अंदर घुटने लगी ,परेशान रहती मगर किसी से कुछ कह नहीं पाती ।
और फिर एक दिन वो अपने पति के साथ मूवी जा रही थी कि उसने अचानक कार्तिक को देखा ,फटे पुराने कपड़े,बिखरे बाल ,और ऐसा लग रहा था जैसे मानों उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी । वो कार्तिक की और दौड़ी बहुत तेज़ी से ---
कार्तिक अपने होश में नहीं था कुछ बावला सा ,कुछ गुम सा बिना यहां वहां देखे बस सड़क पर चलता जा रहा और कुछ बढ़बढ़ा रहा था । सौम्या बहुत जो़र से आवाज़ लगाते हुए कार्तिक की और दौड़ी जा रही थी कि तभी दोनों और से आते हुए अलग अलग ट्रक दोनों को रोंदते हुए आगे बढ़ गए ।
और ये इश्क़ अधूरा रह गया ।
अब आपकी बारी है इसके अंत पर गीत लिखने की। जल्दी से लिख भेजिये।
रचनाकार
भावना सागर बत्रा
कवितागीत
लो आज़ पूरी हो गई हमारी अधूरी कहानी...
कभी सोचा न था ...
यूं बिखरे पलों को,
समेटेंगें हम दोनों इस जहां में,
कुछ इस तंरह...
लो आज....
मौत भी शायराना सी लगने लगी,
थाम लिया जो सारे जज़्बातों को हमने,
यूं जिंदगी
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कवितागीत
अपना तो है रूह से रूह का मिलन
जिस्मों से थी , अपनी सांसे जुड़ी
मांगा है तुमको ही सातो जनम
ना होगी कभी दिल से दिल की बेरुखी
अपना तो है ....
तुमसे जुदाई, दिल सह ना सका
अश्कों ने भी दामन,ना छोरा मेरा
दिल
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कवितागीत
बेवफा हम नहीं
तू मेरा ना हुआ, मैं तेरी ना हुई।
एक मुकम्मल कहानी शुरू ना हुई।
खता क्या थी मेरी,
बताते तो तुम।
वादा भी करके
ना घर आये हो तुम।
हसरतों की कली ये जवां ना हुई।
तू मेरा......
तुम
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जी आपका ये गीत बहुत मार्मिक है कहानी में दर्शायी स्थिति कि तरह
हार्दिक आभार महोदया