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थम गए - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितागीत

थम गए

  • 130
  • 3 Min Read

ज़िन्दगी में यूँ अचानक
कैसी हुई ये आहट
कि दो राह में…. थम गए।

ये कदम ना जाने क्यों,
सांसे ना जाने क्यों।
एहसासों से लिपटकर
होश को भुलाकर
दो राह में… थम गए।

एक रोज अनजान यूँ,
आ गए सामने तुम।
समय के कांटो पे चलकर
मेरे ख्यालों से उतरकर
दो राह में… थम गए।

काश ये सितम,
कि यूँ ना मिलते हम।
ना होते कभी जुदा-
ना होता ये आलम।

अतीत को मोड़ यूँ,
धड़कन करें गुफ्तगू।
कि कई सवालों के
कई जवाब लिए
दो राह में…. थम गए।

शिवम राव मणि

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Nutan Garg

Nutan Garg 3 years ago

सुंदर

शिवम राव मणि3 years ago

शुक्रिया आपका

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