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London is the capital city of England.
कविताअतुकांत कविता
प्रकृति हमारी धरोहर
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प्रभु की निर्मित धरा हिमालय,प्रभु का ये उपहार।
हर्षित पुलकित मन हो जाता अद्भुत छंटा निहार।
स्वर्णिम सूरज की किरणें चहुं ओर बेखेरे आभा।
लगता है कि प्रकृति दुलारी कर
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कविताभजन
आप सभी भाई बहनों को सरस्वती पूजा एवं बसंत आगमन की ढेरों शुभ कामनाएं ----
माँ सरस्वती को समर्पित मेरी चन्द पंक्तियाँ ====
हे शारदे माँ --- हे शारदे माँ ....
तेरा बालक हूँ नादाँ संभालो मुझे माँ
सुन्दर,स्वक्छ
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कवितागीत
आया।बसंत जग हर्षाए।
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खड़ी है गोरी आस लगाए कर सोलह श्रृंगार।
नवल बृंद पर खिले हैं अद्भुत किसलय नवल बहार।
पीत चुनरिया ओढ़ धरा दुल्हन बन कर हर्षाए।
प्रकृति कुदरत का फ़िर उपहार लिए घर आई।
कुहू
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कविताअतुकांत कविता
" प्रेम 'समर्पण ''
तन समर्पित,मन समर्पित ,....
प्रिये तुझे जीवन समर्पित ....
चाहती हूँ कर दूँ तुझ पर ..
मैं अपना यौवन समर्पित ..
भूल जाऊँ कैसे प्रियतम ..
वो मिलन का क्षण अलौकिक ..
नेह का प्यारा वो बंधन ...
स्नेह
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कविताअतुकांत कविता
नमन साहित्य अर्पण
दिनांक_ 23/12021
सुबाष चंद्र बोष की जयंती पर
उन्हें शत शत नमन ....
''तुम हमें खून दो हम तुम्हे आज़ादी देंगे'''
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जो खून बहा भारत के लिए ..
उसकी कीमत सबने जानी ..
जिस दिन शुभाष नें बर्मा में ..
सबसे
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कविताअतुकांत कविता
बाक़ी हो आज भी तुम मुझमें
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कब पूरी होती हैं दिल की ख्वाहिशें ??
बस हम चलते रहते हैं,
वीरान राहों के मुसाफिर की तरह
अधूरी तमन्नाओं का बोझ लिए
हम गुज़ार देते है अपनी उम्र।
दफ़न कर लेते हैं उन
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कवितालयबद्ध कविता
नमन मंच साहित्य अर्पण
आप सभी को नव वर्ष 2021की बहुत बहुत हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं-----
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हे नवल वर्ष तेरा अभिनंदन--
मंगल दीप सजा थाली में चली कामिनी कर श्रंगार।
नव सपने नव रंग सजाये नवल वर्ष
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कवितालयबद्ध कविता
नमन मंच साहित्य अर्पण
अलविदा 2020
चला साल हो के अब सबसे विदा
नहीं दोस्त होना तू मुझसे जुदा।
तुझे भूल जाना अब मुमकिन नहीं
रहे उम्र भर बन के दिल में खुदा।
मिटा देना दिल के तुम रंजिश सभी।
कभी तुम न कहना
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लेखअन्य
बच्चों की ख़ूबसूरत यादें।
बेहद खूबसूरत यादगार----
बात क़रीब २२ वर्ष पहले की है जब हमारे तीनों बच्चे छोटे छोटे ही थे। बड़ी बेटी सात वर्ष के लगभग बेटा पांच वर्ष का और सबसे छोटी बेटी ढाई वर्ष।
बेटा का शौक
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भावपूर्ण स्मृतियाँ. अभी पुनः पढ़ा तो लगा कि बच्चों का 'बाल-मन' कितना डर गया होगा..!
कविताअतुकांत कविता
मां अहोई की वंदना
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अहोई अष्टमी का त्योहार।
सूखी रहे सबका संतान।
हाथ जोड़ विनती करूं मैया।
कृपा करना अपरम्पार।
सबकी गोदी भरी रहे।
सब मैया तेरे संतान।
बेटा बेटी एक समान।
कोई न संतति से वंचित
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कविताअतुकांत कविता
विधा_ छंद मुक्त कविता
विषय_ आंखो का तारा
हां वो है मेरी आंखो का तारा
मेरा प्यारा दुलारा मेरा अंश
जिसने।दिया।मुझे
खुशियों का।अनमोल तोहफ़ा।
जिसने दिया मुझे जीने का हौसला।
ना जाने कितनी मन्नतों
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सुंदर कविता
जी शुक्रिया
जी शुक्रिया
कविताअतुकांत कविता
--स्त्री का अस्तित्व --
हाँ मैं एक नारी हूँ!! मेरा भी अस्तित्व है!
मैं प्रकृति की वो अनमोल वरदान हूँ,
जिसके ''अस्तित्व'' के बिना,कभी कोई ''अस्तित्व'' नहीं होता,
हाँ ये शाश्वत सत्य है....
तो फिर जो नारी सृष्टि
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बढ़िया
जी सादर आभार
जी सादर आभार