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वृद्ध - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

वृद्ध

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एक वक्त के बाद
हमारे घर के बड़े
हमारी आँखों में देखना चाहते हैं
अपने लिए फिक्र के दो आँसू
अकेलेपन की नदी में
डूबने से बचने के लिए
हमारे घर के बड़े
चाहते हैं कि हम उनकी उंगली
थामकर उनका सहारा बनें
हमें थाम लेना चाहिए उनका हाथ
आखिर हम भी एक दिन
हो जाएंगे बूढ़े।

©®कुमार संदीप

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शिवम राव मणि 3 years ago

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