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Sahitya Arpan - Pratik Prabhakar
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Pratik Prabhakar

'Stetho~n~ink'

I am MBBS intern. I write in many forms of hindi and English literature. Do follow me and read my all creations and also give suggestions so that can further improve my writings. Thanks

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  • Genre wise ranking

    Section Genre Rank
    कहानी हॉरर 4th
    सुविचार प्रेरक विचार 5th

    लेखआलेख, अन्य, समीक्षा

    नेताजी

    • Edited 2 years ago
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    • 62
    • 7 Mins Read

    विधानसभा चुनाव होने में एक महीने बाकी है ।नेताजी ने भाषणों की एक पुस्तिका ही बना ली थी ।टाइम टेबल निर्धारित हो गए ।हेलीकॉप्टरों की उड़ान शुरू हो गई ।हेलीपैड बनकर तैयार हुए, भले ही हरे फसलों को
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    नेताजी,<span>आलेख</span>, <span>अन्य</span>, <span>समीक्षा</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    बच्चा

    • Edited 2 years ago
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    • 101
    • 4 Mins Read

    एक बच्चा , मन का सच्चा
    निकला साइकिल से अपने
    पैडल पर मारे पैर
    लगाता जोड़
    सोच रहा खरीदेगा कुछ
    इस बार मेले में
    ढोल बजाता बन्दर
    या भालू भारी भरकम
    या मिठाई , सोनपापड़ी
    चाट पकौड़े या फिर समोसे
    या ले देगा बहन
    Read More

    बच्चा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जय छठी माता

    • Edited 2 years ago
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    • 67
    • 4 Mins Read

    आप सभी को 🌞 महापर्व छठ की ढेरों💐💐शुभकामनाएं।



    एक गीत   " जय छठी माता"


    जय छठी  माता, जय दीनानाथ
    खड़ी व्रती जल में ,अर्ध्य है हाथ।।

    प्रियंवद मालिनि ने संतान पाया
    पांडवों ने भी राज्यधन है पाया
    आप से
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    जय छठी माता,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    लौ का अंत

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 109
    • 3 Mins Read

    एक दीये की झिलमिल लौ
    निहित ताक़त कि जलाये सौ
    चाहें हवा का रुख़ ही बदले
    फिर भी लौ, रहती है संभले।।

    तेल के हर कतरे का उपयोग
    बस यही तो उस लौ की सोंच
    मिटाना तिमिर स्व के अंत तक
    गाथा रहे न रहे अमर अनंत तक

    बस
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    लौ का अंत,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 2 years ago

    वाह वाह

    लेखसमीक्षा

    मालगुडी डेज (समीक्षा)

    • Edited 2 years ago
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    • 86
    • 6 Mins Read

    "मालगुडी डेज"
    (समीक्षा)

    हाल में ही अंग्रेजी साहित्य के भारतीय ध्रुवतारा आर. के. नारायण जी का जन्मदिन था। अंग्रेजी साहित्य के प्रसंशक हों या दूरदर्शन पर सीरियल्स के शौक़ीन कोई ऐसा न होगा जो उन्हें
    Read More

    मालगुडी डेज (समीक्षा),<span>समीक्षा</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 8 months ago

    '' मालगुडी डेज़ '' वास्तव में बहुत लोकप्रिय पुस्तक और सिरीज़ रही है..

    कहानीसामाजिक, अन्य, लघुकथा

    जुगनू

    • Edited 2 years ago
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    • 201
    • 12 Mins Read

    जुगनू

    दो-तीन दिन की बारिश के बाद पेड़ों में मानो नई जान सी आ गयी थी, पत्तियाँ हरी भरी हो गयी थीं ।ये इसीलिए भी हुआ था कि पेड़ों के पास में जो कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था उससे निकले धूल को बारिश की बूंदों
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    जुगनू,<span>सामाजिक</span>, <span>अन्य</span>, <span>लघुकथा</span>
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    कहानीसस्पेंस और थ्रिलर, हॉरर

    मौत दिखाती आँखें

    • Edited 3 years ago
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    • 111
    • 12 Mins Read

    "मौत दिखाती आँखें"

    "डॉक्टर साहब,मैं परेशान हूँ ।" कहते हुए रमेश डॉ.संभव के समक्ष प्रस्तुत हुआ।

    डॉ. संभव ने पूछा "क्या समस्या है?"

    रमेश ने कहना शुरू किया , " डॉक्टर, बात दो महीने पहले की है जब मेरी आँखों
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    मौत दिखाती आँखें,<span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>, <span>हॉरर</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    बेचो डिग्रियाँ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 178
    • 3 Mins Read

    बेच डालो डिग्रियाँ
    खरीदारों की कमी नहीं
    वो आँख क्या हँसते
    जिनमें होती नमी नहीं।।


    बेच डाला ही खुद को
    अब जमीर भी तो मर गया ।
    बताओ शिक्षा के ठेकेदार
    गढ़ोगे क्या किरदार नया।।


    मोहपाश में लिपटे हो
    एक
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    बेचो डिग्रियाँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब यह लिखना भी जरूरी है। 👌🏻 बेबाक लेखन जगाने के लिए जरूरी हो जाता है बहुत बार

    Pratik Prabhakar3 years ago

    जी बहुत आभार

    कवितालयबद्ध कविता

    अलविदा बीस

    • Edited 3 years ago
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    • 93
    • 3 Mins Read

    "अलविदा बीस"

    तुम बताओ बीस
    क्या इक्कीस में भोर होगा
    या तुम्हारे जैसे
    ही फिर वर्ष घनघोर होगा।।


    क्या फिर लोग
    घरों में डरे- सहमे ही रहेंगे
    या पाएँगे नभ खुद के
    अब न कोई भय को सहेंगे।।



    बताओ बीस मुझे
    क्योंकर
    Read More

    अलविदा बीस,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Bandana Singh

    Bandana Singh 3 years ago

    बधाई हो आदरणीय सुन्दर सृजन के लिए

    कहानीसंस्मरण

    आई लव यू

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 153
    • 13 Mins Read

    "आई लव यू "


    आकर्षण और प्रेम में रत्ती भर का अंतर है । आकर्षण अगर दिमाग की उत्पत्ति है तो प्रेम हृदय की। आजकल तो गर्लफ्रेंड ,बॉयफ्रेंड बनना बनाना कॉमन बात है। पर एक दशक पहले ऐसा बिल्कुल भी ना था । यह
    Read More

    आई लव यू,<span>संस्मरण</span>
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    कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक

    किसी के सांता बनिए

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 243
    • 6 Mins Read

    अच्छा ये बताओ इन बच्चों का क्या भविष्य है?" शिवम ने अपने दोस्त राकेश से पूछा।



    "भविष्य की ये चिंता नहीं करते बस वर्तमान में रहते हैं।" राकेश ने कहा।



    दोनों क्रिसमस की संध्या को चर्च में कार्यक्रम
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    किसी के सांता बनिए,<span>सामाजिक</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    मोटीवेशनल कहानी

    Pratik Prabhakar3 years ago

    जी शुक्रिया

    सुविचारअनमोल विचार, प्रेरक विचार

    वो कहेंगे

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 44
    • 1 Mins Read

    वो कहेंगे
    तुम सुनोगे।
    वो कहते रहेंगे
    तुम सुनते रहोगे।।
    तो अब सुनना है खुद को
    औरों को नहीं।

    वो कहेंगे,<span>अनमोल विचार</span>, <span>प्रेरक विचार</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    गुलाब

    • Edited 3 years ago
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    • 106
    • 1 Mins Read

    क्या देना चाहिए ?
    गुलाब ?
    काँटों में खिलता है
    फिर सूख कर मुरझा जाता है।
    लाल सुर्ख गुलाब
    दे किसी को
    लेकिन संभल कर
    अच्छा तो लगता है
    पर दे जाता है
    कभी कभी गहरे घाव
    हाथ में
    या दिल पर भी कभी कभी

    गुलाब,<span>अतुकांत कविता</span>
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    सुविचारप्रेरक विचार

    फिर फूल खिले

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 174
    • 6 Mins Read

    फिर फूल खिले ।

    कुछ दिन पहले देखा था मैंने ,मेरे हॉस्टल के आँगन में गमले में लगा गुलाब का फूल सूख गया है। जबकि कुछ ही दिन पहले की बात है जब सारा कॉलेज कैंपस गुलमोहर के फूल से भर गया था।पहले फूल पीले
    Read More

    फिर फूल खिले,<span>प्रेरक विचार</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    तुम मिले

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 98
    • 2 Mins Read

    पर्दे उठे,     पर्दे गिरे
    एकटक निहारता मैं
    सांसें बढ़ी ,सांसे थमीं
    भीतर से  सिहरता मैं



    हथेली की लकीरें देखीं
    बारबार लगातार मैंने
    पलकें उठी नजरे गिरीं
    डाले फिर हथियार मैंने



    मुस्कुराती  नजरों  
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    तुम मिले,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    नया ख़्वाब

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 95
    • 3 Mins Read

    आज   से ,    अभी   से
    काहे  का    रोना      है? 
    घुटने  तक   पहुँचा    मैं।
    अब उठ  खड़ा  होना  है।

    दाग लगे   जो  दामन  पर
    कौंधता कुछ जो   सीने में 
    कलुषित  जो   वक़्त   था  
    नीर से   उसको   धोना है।

    तुमने जो सुलाया
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    नया ख़्वाब,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक

    घरौंदा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 94
    • 8 Mins Read

    1

    "अरे, दूर जाकर खेलो तुमसब कुच्छो दिखाई नहीं देता क्या?"
    यह कहते हुए उसने दूर से दौड़ कर आते हुए लड़के को गुस्से से देखा। वो लड़के गिल्ली डंडा खेल रहे थे और गिल्ली आकार मिट्टी के ढेर में गिर गयी थी।


    यह
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    घरौंदा,<span>सामाजिक</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    कहानीसामाजिक, अन्य

    बेड नंबर 74

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 125
    • 10 Mins Read

    "बेड नंबर 74"

    "ये मरीज कहाँ गयी?" मैंने सिस्टर (नर्स) से पूछा । मैं बेड नंबर 74 की पेशेंट के बारे में पूछ रहा था। पिछले शनिवार को मैंने उस पेशेंट को देखा था वार्ड स्टडी के दरम्यान।वार्ड स्टडी काफी कुछ सिखाती
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    बेड नंबर 74,<span>सामाजिक</span>, <span>अन्य</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    अच्छी कोशिश है

    Pratik Prabhakar3 years ago

    जी शुक्रिया

    लेखआलेख, अन्य

    वैशाली

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 158
    • 8 Mins Read

    अच्छा बताइये, विश्व के पहले गणतंत्र का नाम क्या था???
    "वैशाली " जी हां ।
    कभी गये वहाँ ?
    ""नहीं।""

    तो मैं ले चलता हूँ। राजा विशाल की नगरी वैशाली प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध रही है।हो भी क्यू न जब इसने भगवान
    Read More

    वैशाली,<span>आलेख</span>, <span>अन्य</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    अच्छा वर्णन किया है।

    Gita Parihar3 years ago

    अवश्य

    Pratik Prabhakar3 years ago

    जी बहुत आभार, मेरी अन्य रचनाओं को भी पढ़ें।

    कवितालयबद्ध कविता

    इश्क़ जताऊं कैसे

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 134
    • 3 Mins Read

    आज तक था अकेला ही

    लगेगा दिलों का मेला भी

    दिखा मुझे वह पहली बार

    बताऊं दिल क्या झेला जी।।



    हंसती खिलाती मोरनी सी

    हसरते उससे जोड़नी थी

    क्या कह दे इश्क है तुमसे

    खत्म करें मन का झमेला ही।।





    पहली
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    इश्क़ जताऊं कैसे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत बढ़िया। #इठलाती

    Pratik Prabhakar3 years ago

    जी शुक्रिया

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    Pratik Prabhakar3 years ago

    जी धन्यवाद

    कविताअतुकांत कविता

    मुर्दे की चाह

    • Edited 3 years ago
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    • 230
    • 6 Mins Read

    प्रेम एवं ध्यान से मुझे सहेजो क्योंकि पूरी जिंदगी
    मैंने इसकी प्रतीक्षा की है
    मैं इतना गरीब था कि
    ना जमींदोज किया गया
    ना ही दाह कर्म
    मेरे परीक्षण कक्ष में
    पड़े रहने का एकमात्र कारण

    तुम मुझे चिरोगे
    Read More

    मुर्दे की चाह,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत ही बढ़िया

    Pratik Prabhakar3 years ago

    जी शुक्रिया