कविताअतुकांत कविता
२०२०
तुमसे शिकायतें हैं लोगों की बहुत
पर मैं तुमसे शिकायतें नहीं करूंगा
हाँ, तुमने सिखलाया है बहुत कुछ
हाँ, तुमने सिखलाया है हमें
वक्त बदलते देर नहीं लगती है
वक्त जब बदलता है करवटें
तब सबकुछ बदल जाता है।।
२०२०
तुमने सिखलाया है हम सबको
रिश्तों की कीमत है बहुत
हम देते हैं यदि महत्व और समय
रिश्तों को, तो रिश्ते भी हमारा
जीवन भर देते हैं ख़ुशियों से।।
२०२०
तुमने सबक दिया है धनवानों को भी
जो समझ बैठे थे ख़ुद को सर्वश्रेष्ठ
खुद को सर्वश्रेष्ठ व दूसरों को तुच्छ
समझने वालों को भी
तुम्हारे समक्ष झुकना ही पड़ा
हाँ, तुमने धनवानों के जीवन में भी
दर्द,दुख देकर यह दर्शाया कि
धन से सबकुछ क्रय नहीं किया जा सकता है।।
२०२०
तुमसे सब शिकायतें तो कर रहे हैं
पर तुमने आगमन से अब तक
जो सीख दी है संपूर्ण जगत को
सब उसे नजरअंदाज कर रहे हैं
हाँ, सीख दी है तुमने
प्रकृति व मात-पिता के संग
दुर्व्यवहार करने की सजा
ईश्वर देते हैं निश्चित ही इक दिन।।
२०२०
तुम्हारे जाने का गम नहीं है
तुमने मेरे भी जीवन में
मेरे परिजनों के जीवन में भी
दिया है दर्द अत्यंत
पर इस बात के लिए
मैं तुम्हें ज़िम्मेदार नहीं ठहराना चाहता
जो है भाग्य में लिखा
उसे ईश्वर भी कहाँ बदल पाते हैं
मैं तुमसे कोई शिकायतें
नहीं करना चाहता।।
सुनो न २०२०..
एक बात कहना चाहता हूँ तुमसे
जरा कह देना अपने दोस्त २०२१ से
कि संपूर्ण जगत में शांति स्थापित कर दे
धर्म, मजहब के नाम पर कोई न लड़े आपस में
ऐसा कोई चमत्कार कर दे
दीन दुखियों के जीवन से
दुख, दर्द दूर हो जाए सर्वदा के लिए
ऐसा कोई चमत्कार कर दे
हाँ, जो हैं परिश्रमी,मेहनती
उन सबको सफलता का वरदान दे।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित
जाने वाले वर्ष 2020.. का उचित आकलन और 2021 में आशा की किरण..
धन्यवाद सर