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"अपने"
कविता
सफर जारी रखो
अपने सपने
बिना स्वार्थ के सारथी बनो
धुंधलापन ------------------------ इस रात के घने अंधेरे में मैं देखना चाहता हूँ चारों ओर इस दुनियाँ का रंग रूप पर कुछ दिखता नहीं पर मन में एक रोशनी सी दिखती है | बस हर तरफ से नजरें हारकर बस उसकी तरफ मुड़ जाती है दिखती है वह दूर से आती हुई पर उस
दिल के सांचे में अश्क ढलता है
मन की वे खेल खिलौने
जो अपने है उनको पराया ना कर
अन्नदाता
*प्यार अपने आप से कर.....*
यात्री गण अपने सामान का खुद ध्यान रखें
अपने सपनो के लिए
यात्री गण अपने सामान का खुद ध्यान रखें
घर की बात बशर रखा कर घर मेंअपने
अपने आज की हिफ़ाज़त कर
छुपाकर अपने ग़म रखिए
तुमअपने सपने बशर जिस ज़बान में देखो
कुछ कम अपने अहबाब रख
भूल सकता नहीं अपने मां -बाप को
सुकून थोड़ातो अपने लिएभी बचाकर रख बशर
जीने के अहसासात गुजारे हमने गाँवमें अपने
*साथ बशर अपने ला नहीं सकता*
*बशर अपने रास्ते बदलता रहा*
*अपने तो बस नाम के होते हैं*
अपने -अपने रस्ते हो लिए
कोई अपने मां-बाप से बड़ा नहीं हो सकता
*क्यूं कोसते हो अपने आज को*
अपने ही घर में थे
*हम तो अपने इरादे जानें*
रौशनाई के भी अपने उसूल ओ अदब हुआ करते हैं
*जिंदा अपने उसूल हैं*
खुदसे सुनना चाहता हूँ
जन्नत को भी ला सकता है क़रीब अपने
जद अपनी "बशर" अपने दस्तरस में नहीं
हम भी तो देखें दिल उसका अपने सीने में डालकर
नुक़ूश-ए-दर्द अपने छोड़ चला
सबने अपने-अपने देखे
मुस्तक़बिल के अपने खुद ही खुदा होंगे हम
मुस्तक़बिल के अपने खुद ही खुदा होंगे हम
नुस्खे बे-हिसाब रखते हैं
राज -ए -दिल अपने खोलना नहीं
कहे अश्आर तमाम मग़र अपनेही शिफ़ा-ए-मर्ज़ पर
अपने बैठेहैं अपनों से दूर
अपने आप पर ए'तिमाद ओ एहतराम की इब्तिदा करें!
अपने हमसफ़र भी हम हैं
सेवा अपने मां-बाप की
भीतर अपने तलाश कर
जीना ना मरना अपने हाथ
लोग अपने ऐब जिंदा रखते हैं
बंदपड़े अपने घटके पट खोल
जंग जीत सकते हो अपने किरदार से
अपने तेरे तुझको जगाने नहीं आए
समझौता मत करो अपने वक़ार से
लम्हे जो जी लिए अपने नाम चाहिए
खुशियाँ अपने पास नहीं आती
अपने दिल की आवाज सुनी
कहानी
मुझे सुसाइड नहीं करना था
पीतांबर बालम
प्रेम की बूँदे भाग 2
कन्या पूजन दूसरा भाग
"बाबा यहाँ ना छोड़ो मुझे..अपने साथ ले चलो।
माँ की सीख
आओ अपने गौरवशाली इतिहास को जाने
#इकरार शीर्षक : अपने अपने दायरे
"अपनेपन की खुशबू"
सपने अपने अपने
अपने घर
"मैंने जो कुछ अपने दादाजी से सीखा " 🍁🍁
लेख
अपने पापा के नाम एक ख़त
कभी भी अपने लक्षय को छोड़ना बिलकुल भी नहीं चाहिए
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