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पीतांबर बालम - Ankita Bhargava (Sahitya Arpan)

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पीतांबर बालम

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  • 4 Min Read

जब भी बारिश की बूंदें धरती पर सरगम की तरह बजती हैं। रिया अपने प्यार से मिलने को बेचैन हो उठती है। आज भी मेघराग बजते ही रिया का दिल धड़कने लगा है। जब उसकी बेकरारी बरदाश्त के बाहर हो जाती है तो स्कूटी की चाबी उठा वह चल पड़ती है, अपने प्रिय से मिलने। वह जानती है उसका प्रिय उसे कहां मिलेगा। बारिश के बावजूद सड़क सूनी नहीं है रंगबिरंगे टू व्हीलर्स का मेला सा लगा है। उसकी हम उम्र और भी लड़कियां है जो अपने अपने टू व्हीलर्स पर 'व्हाई शुड ब्वायज़ हैव आल द फ़न' की तर्ज़ पर भीगे मौसम का मज़ा लेने निकल पड़ी हैं। रिया उन्हें देख मुस्कुरा दी। कुछ ही देर की राइड के बाद ही वे सभी शहर की इकलौती झील के किनारे पहुंच गए। वह वहीं है। उसे देख रिया उत्साह से भर उठी है। वह उसकी ओर दौड़ पड़ी और...और बोली, "भैया! एक भुट्टा देना।"

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

Ankita Bhargava3 years ago

आभार सर

Nidhi Gharti Bhandari

Nidhi Gharti Bhandari 3 years ago

प्यारी सी रचना...

Ankita Bhargava3 years ago

शुक्रिया

Anil Makariya

Anil Makariya 3 years ago

सहज, सरल प्रवाही रचना । मजा आया पढ़कर ।

Ankita Bhargava3 years ago

आभार सर

Sushma Tiwari

Sushma Tiwari 3 years ago

वाह, बहुत ही प्यारी रचना.. भीगी बारिश की सोंधी खुशबु लिए हुए

Ankita Bhargava3 years ago

शुक्रिया

दादी की परी
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