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Sahitya Arpan - Anil Makariya
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Anil Makariya

'#Anil_Makariya'

अगर आप मेरा लेखन समझ पाते हैं, तो यकीन मानिए आपसे बेहतर मुझे कोई नही जानता ।
अगर आप मेरा लेखन नही समझ पाते हैं, तो आप खुद को बेहतर जानते हैं और मुझे जानने की आपको आवश्यकता नही है ।

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  • Genre wise ranking

    Section Genre Rank
    कहानी हॉरर First
    कहानी हास्य व्यंग्य Second
    कहानी प्रेरणादायक Third
    कहानी सस्पेंस और थ्रिलर 4th
    कहानी सामाजिक 5th

    कहानीसामाजिक, सस्पेंस और थ्रिलर, प्रेरणादायक, लघुकथा

    अविष्कार

    • Edited 3 years ago
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    • 387
    • 6 Mins Read

    अविष्कार

    अजीब बात है! उसका कहना है कि मैंने उसे बनाया है जबकि मेरा मानना है कि उसीने मेरा अविष्कार किया है।
    करतार को पूरा यकीन था कि उसके खेत बाढ़ की आपदा से बच जाएंगे इस यकीन की वजह भी उसका मुझ पर
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    अविष्कार,<span>सामाजिक</span>, <span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>, <span>प्रेरणादायक</span>, <span>लघुकथा</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बेहतरीन..!

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    वाह बहुत बढ़िया लघुकथा

    Kanak Harlalka

    Kanak Harlalka 3 years ago

    लाजवाब कथा...

    कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक, लघुकथा

    रोटी और चंद सिक्के

    • Edited 3 years ago
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    • 489
    • 6 Mins Read

    रोटी और चंद सिक्के

    रोज सुबह रंगीन खड़िया और कटोरा लेकर फलक पर नया सूरज छापने निकल पड़ता हूँ। काले फलक पर अपने घुटने और कोहनियां छिलवाता मैं आखिरकार कुछ घंटों की मेहनत से एक नए सूरज की रचना कर ही लेता
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    रोटी और चंद सिक्के,<span>सामाजिक</span>, <span>प्रेरणादायक</span>, <span>लघुकथा</span>
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    Nidhi Gharti Bhandari

    Nidhi Gharti Bhandari 3 years ago

    निःशब्द👌👌👌

    Anil Makariya3 years ago

    जी धन्यवाद आपका

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    वाह..! बहुत ही खूबसूरत ...!👌👌

    Anil Makariya3 years ago

    आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ।

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब बेहतरीन रचना

    Anil Makariya3 years ago

    आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ।

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    आपकी रचनाओं की सराहना चंद शब्दों में व्यक्त करना सूर्य को दीपक दिखाने की भाँति ही है।

    Anil Makariya3 years ago

    यह आपकी ज़र्रानवाज़ी है । धन्यवाद आपका ।

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह बेहतरीन

    Anil Makariya3 years ago

    धन्यवाद आपका ।

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    यह लघुकथा निश्चित रूप से इस प्रतियोगिता की बेहतरीन प्रविष्टियों में से एक होगी

    Anil Makariya3 years ago

    बहुत-बहुत धन्यवाद आपका ।

    कहानीहास्य व्यंग्य

    प्रथम ग्रासे मूषक पात: (अंतिम भाग-3)

    • Edited 3 years ago
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    • 206
    • 24 Mins Read

    प्रथम ग्रासे मूषक पात:★ (अंतिम भाग-3)

    एक बात बेहद हैरान कर देने वाली थी, इस प्राणी ने कभी भी मेरे कपड़े,कागजात या कोई वस्तु कुतरकर मुझे नुकसान पहुंचाने की कोशिश नही की थी ।
    तब भी नही जब वह पूरा दिन भूखा
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    प्रथम ग्रासे मूषक पात: (अंतिम भाग-3),<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बहुत खूब भाई,तीनों भाग

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    तीनों भाग कमाल के हैं

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    तीनों भाग पढ़े जबरस्त लिखते हो।

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    bahot Sunder aur Dilchasp.. !!

    कहानीहास्य व्यंग्य

    प्रथम ग्रासे मूषक पातः (भाग-2)

    • Edited 3 years ago
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    • 254
    • 14 Mins Read

    प्रथम ग्रासे मूषक पातः ★ (भाग-2)

    बड़ी मुश्किल से किसी स्थायी नौकरी की आस बंधी थी और तिसपर यह अपशकुन!
    मेरी दादी कहती थी कि अगर गलती से कोई बिल्ली मार दी जाए, तो हरिद्वार में जाकर गंगास्नान करना पड़ता है
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    प्रथम ग्रासे मूषक पातः  (भाग-2),<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    कहानीहास्य व्यंग्य

    प्रथम ग्रासे मूषक पातः (भाग-1)

    • Edited 3 years ago
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    • 278
    • 15 Mins Read

    प्रथम ग्रासे मूषक पातः ★ (भाग-1)

    पिछले लगभग दो साल से यह एकमात्र कमरा ही मेरी दुनिया है ।
    अब अगर आप किसी पिछड़े हुए गांव के निवासी हो तो आपको जरूर बेहतर काम की तलाश में किसी पास के बड़े शहर में जाना पड़ता
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    प्रथम ग्रासे मूषक पातः  (भाग-1),<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    भुवनेश्वर चौरसिया भुनेश

    भुवनेश्वर चौरसिया भुनेश 3 years ago

    बहुत अच्छा है ।

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    मज़ेदार

    कहानीसामाजिक, हास्य व्यंग्य, प्रेरणादायक

    हैप्पी वाला बर्थडे

    • Edited 3 years ago
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    • 432
    • 6 Mins Read

    हैप्पी वाला बर्थडे

    नाम का बादशाह है और काम करता है मुम्बई की व्यस्त सड़कों पर जेबकतरी का,
    पहले शिकार को ताड़ना फिर दीवार से टिकी पीठ को दीवार से अलग कर तेजी से लहराकर चलते हुए शिकार को हल्की टक्कर
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    हैप्पी वाला बर्थडे,<span>सामाजिक</span>, <span>हास्य व्यंग्य</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    काश सभी जेबकट ऐसे ही होते

    Nidhi Gharti Bhandari

    Nidhi Gharti Bhandari 3 years ago

    वाह...बहुत रोचक

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    उम्द लघुकथा

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    ख़ूबसूरत..!

    Sushma Tiwari

    Sushma Tiwari 3 years ago

    बेहतरीन लघुकथा.. पढ़ने में उतनी ही मनोरंजक

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    अप्रतिम सृजन

    कहानीसामाजिक, प्रेम कहानियाँ, प्रेरणादायक

    अनुराग

    • Edited 3 years ago
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    • 649
    • 6 Mins Read

    अनुराग

    मेरे शरीर पर किसीने दिल का आकार बनाकर उसमें तीर घुसेड़ दिया और दिल के बीचोंबीच लिख दिया 'P' ।
    जब मैं छोटा था तो पास के बड़े शरीरों पर की गई यह क्रिया देखना मेरे लिए बड़ा कष्टदायी होता था लेकिन अब
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    अनुराग,<span>सामाजिक</span>, <span>प्रेम कहानियाँ</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर लेखन..!

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत ही सुंदर रचना...

    Sushma Tiwari

    Sushma Tiwari 3 years ago

    कितनी खूबसूरत रचना, प्रकृति के दर्द को बखूबी बयान करती हुई

    Lakshmi Mittal

    Lakshmi Mittal 3 years ago

    बेहतरीन रचना

    Anil Makariya3 years ago

    धन्यवाद

    Nidhi Gharti Bhandari

    Nidhi Gharti Bhandari 3 years ago

    निःशब्द....

    Anil Makariya3 years ago

    धन्यवाद

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बेहतरीन

    Anil Makariya3 years ago

    धन्यवाद

    कहानीसामाजिक, सस्पेंस और थ्रिलर, हॉरर, प्रेरणादायक

    चिट्टी चुड़ैल (भाग-2 अंतिम भाग)

    • Edited 3 years ago
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    • 242
    • 14 Mins Read

    चिट्टी चुड़ैल (भाग-2 अंतिम भाग)

    पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में बैसला की बहू को ही कातिल ठहराया और कोर्ट ने उसे तत्काल पागलपन में हुई हत्याएं करार देकर उसे पागलखाने भेज दिया ।

    गांव वाले अच्छी तरह जानते
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    चिट्टी चुड़ैल (भाग-2 अंतिम भाग),<span>सामाजिक</span>, <span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>, <span>हॉरर</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    Nidhi Gharti Bhandari

    Nidhi Gharti Bhandari 3 years ago

    वाह....बेहद दमदार...

    कहानीसामाजिक, सस्पेंस और थ्रिलर, हॉरर, प्रेरणादायक

    चिट्टी चुड़ैल (भाग 1)

    • Edited 3 years ago
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    • 446
    • 9 Mins Read

    चिट्टी चुड़ैल ■

    पूरे गांव में कोई भी जादू-टोने या करनी का शिकार ऐसा न था जिसका इलाज चिट्टी चुड़ैल ने किया हो और वह ठीक न हुआ हो ।

    अमूमन उस गांव में शादी-शुदा औरतें ही जकड़ी जाती थी क्योंकि मर्दों पर सारा
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    चिट्टी चुड़ैल (भाग 1),<span>सामाजिक</span>, <span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>, <span>हॉरर</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    Nidhi Gharti Bhandari

    Nidhi Gharti Bhandari 3 years ago

    ओह...काँसेप्ट बहुत रोचक लिया है आपने...

    कहानीसस्पेंस और थ्रिलर

    शब्दगंध

    • Edited 3 years ago
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    • 509
    • 18 Mins Read

    शब्द गंध●

    वो न सुगंध थी, न दुर्गन्ध, कुछ ऐसी गंध जिसे परिभाषित करना शिव के लिए नितांत कठिन था ।
    वैसे शिव जैसे लेखक के लिए किसी भी चीज को शब्दों में परिभाषित करना बिल्कुल ऐसा था, जैसे किसी पुष्प का
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    शब्दगंध,<span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अद्भुत स्रजन

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    जबरदस्त शब्दों से रचना की..👌👌

    Kanak Harlalka

    Kanak Harlalka 3 years ago

    बेमिसाल लेखन..। शिव और शक्ति का अपार्थिव मिलन जैसी ही अद्भुत हे यह कहानी..

    Nidhi Gharti Bhandari

    Nidhi Gharti Bhandari 3 years ago

    अद्भुत, निशब्द करता लेखन है लेखक का 👌👌

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बहुत उम्दा!

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बेहतरीन कथा

    कहानीप्रेरणादायक

    रचयिता का धर्म

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 433
    • 5 Mins Read

    रचयिता का धर्म◆

    एक बच्चे ने जन्म लेते ही देखा कि 8-10 दानवाकार आकृतियां नवजात बच्चों के दिमाग में भावनाएं भर रही है।
    उसने तुरंत रचियता से सवाल किया ।
    "यह दानवाकार आकृतियां कौन है ? पहले तो अपने बच्चों
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    रचयिता का धर्म,<span>प्रेरणादायक</span>
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    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    वाह भैया ... अति उत्तम रचना..!

    कहानीहास्य व्यंग्य

    भटियारे की प्रेमकथा

    • Edited 3 years ago
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    • 219
    • 18 Mins Read

    भटियारे की प्रेमकथा■

    वह शादियों में रोटियां बनाने का काम करता था ।
    क्योंकि बचपन से ही यही काम करता आया था, तो अब यह काम उसके लिए आदत बन गया था ।
    हर सुगंध की तुलना रोटियों की सुगंध से करना । हर शय के
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    भटियारे की प्रेमकथा,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    KHUBSURAT AUR DILCHASP ..!!

    कहानीप्रेरणादायक

    जन्नतनशीं

    • Edited 3 years ago
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    • 252
    • 3 Mins Read

    जन्नतनशीं★

    मृत्यु की घोड़ागाड़ी धर्मयुद्ध में शहीद विभिन्न धर्मों के जवानों की आत्माएं लिए नियत स्थान की ओर चल पड़ी ।

    जन्नतनशीं होने की उम्मीद में आत्माएं बेहद खुश थी।

    एक चौराहे पर गाड़ी रुकी
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    जन्नतनशीं,<span>प्रेरणादायक</span>
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    कहानीसामाजिक

    कातिल

    • Edited 3 years ago
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    • 213
    • 7 Mins Read

    "कातिल"

    कितना दबाव डाला था मैंने !
    शायद किसी दाब यंत्र की भांति जो किसी उठाव को उठने से पहले अपनी ताकत से नीचे दबा देता है ।
    अभी दसवीं में ही तो था वह और मैंने अपनी उम्मीदों का भारी गठ्ठर उसकी नाजुक
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    कातिल,<span>सामाजिक</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अत्यंत मर्मस्पर्शी..!

    Nidhi Gharti Bhandari

    Nidhi Gharti Bhandari 3 years ago

    उफ्फ.... सचमुच ये बोझ कभी कम नहीं होगा। बेहतरीन लिखा आपने।

    कहानीप्रेरणादायक

    कुन फाया कुन

    • Edited 3 years ago
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    • 190
    • 5 Mins Read

    कुन फाया कुन

    उसे सिर्फ इतना याद है कि वह छह दिन में अपनी रचना मुक़म्मल करने के बाद आराम करने चला गया था और उस दिन के बाद वह आज नींद से जागा है।
    वह कुछ उनींदा-सा अपनी आँखें मलता हुआ हजारों साल पहले बनाई
    Read More

    कुन फाया कुन,<span>प्रेरणादायक</span>
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    कहानीसामाजिक

    मर्द

    • Edited 3 years ago
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    • 428
    • 11 Mins Read

    मर्द
    ------

    आज हमेशा के मुकाबले ट्रेन में कम भीड़ थी ।
    सुरेखा ने खाली जगह पर अपना ऑफिस बैग रखा और खुद बाजू में बैठ गई ।
    पुरे डिब्बे में कुछ मर्दों के अलावा सिर्फ सुरेखा थी। रात का समय था तो सब उनींदे से
    Read More

    मर्द,<span>सामाजिक</span>
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    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    बहुत बेहतरीन

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    ASLEE MARD..!!

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    उम्दा लेखन

    Anil Makariya3 years ago

    धन्यवाद आपका

    कहानीसामाजिक

    आसान शिकार

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 575
    • 3 Mins Read

    आसान शिकार

    मुझे कुत्तों से डर लगता था किंतु जब से मुझे पता लगा है, कि कुत्ते डर को सूंघ लेते है और उसी पर हमला करते है जो उनसे डरता है।
    तब से मैं कुत्तों से भागने की अपेक्षा अपने डर को वश में करके निर्भय
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    आसान शिकार,<span>सामाजिक</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    sandeep pillai

    sandeep pillai 3 years ago

    Nice

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    पाशविक क्रत्य

    Anil Makariya3 years ago

    धन्यवाद

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बेहतरीन लघुकथा

    Anil Makariya3 years ago

    धन्यवाद

    Nidhi Gharti Bhandari

    Nidhi Gharti Bhandari 3 years ago

    बेहतरीन लघुकथा, उम्दा लेखन

    Anil Makariya3 years ago

    धन्यवाफ

    Sushma Tiwari

    Sushma Tiwari 3 years ago

    उत्कृष्ट लघुकथा

    Anil Makariya3 years ago

    धन्यवाद