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चिट्टी चुड़ैल ■
पूरे गांव में कोई भी जादू-टोने या करनी का शिकार ऐसा न था जिसका इलाज चिट्टी चुड़ैल ने किया हो और वह ठीक न हुआ हो ।
अमूमन उस गांव में शादी-शुदा औरतें ही जकड़ी जाती थी क्योंकि मर्दों पर सारा दिन शराब सवार रहती और आत्माएं पहले से नशे के कब्जाए शरीर पर कब्जा करना वर्जित मानती थी ।
चुड़ैल की प्रचिलत मान्यताओं के विपरीत चिट्टी चुड़ैल बेहद साफ-सुथरी और खूबसूरत थी कहते है कि चिट्टी चुड़ैल ने अक्षुण्ण सौंदर्य काढ़ा पी रखा था ।
उसकी कोठी कई किताबों से भरी पड़ी थी पर आज तक किसी गांव वाले कि हिम्मत उस कोठी के अंदर झांकने की नही हुई थी ।
केवल कब्जाया व्यक्ति ही अंदर जाता था वह भी चुड़ैल की मर्जी हो तो ।
चुड़ैल के इलाज से ठीक हुई कुछ महिलाओं के कथन से भी इस तथ्य की पुष्टि हुई थी कि चिट्टी चुड़ैल की कोई निजी लाइब्रेरी थी पर किताबें किस भाषा या विषय की थी ये कोई जान न पाया था ।
गांव वालों ने दो जोड़ दो मतलब चार की तरह परिणाम निकाल लिया था कि तंत्र-मंत्र और काले जादू की किताबें चुड़ैल ने घोंटकर पी रखी है ।
नकटे बनिये की बहू हो या असलु लोहार की शादीशुदा बेटी चिट्टी चुड़ैल ने सालों से जकड़े शरीर को अपने मंत्र की फुसफुसाहट से किसी को कुछ घंटो में किसी को कुछ दिनों में निजात दिलाई थी ।
कहते हैं कि चिट्टी चुड़ैल किसी बड़े शहर की खूब पढ़ी-लिखी लड़की थी जोकि कई साल पहले बैसला जमींदार के इकलौते बेटे से ब्याहकर इस पिछड़े गांव में आई थी ।
शादी के बाद कुछ ही महीनों में वह गांव के पुराने पेड़ पर रहने वाले हक्कू पिशाच के कब्जे में आ गई थी ।
कई हफ्ते बैसला की कोठी से सिर्फ चीखों-पुकार सुनाई देती रही ।
जिस दिन अंदर से चीखों-पुकार बंद हुई तो बाहर रोना-धोना शुरू हो गया जब बैसला और उसकी बीवी के मृत शरीर बाहर निकले थे।
क्रमश:
दूसरा भाग (अंतिम भाग ) भी इस वेबसाइट पर उपलब्ध है।
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