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London is the capital city of England.
कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक
‘अदृश्य प्यार'
‘इतनी सुविधाओं के बावजूद भी इतने कम मार्क्स! मैं तुम्हारी जगह होता तो चुल्लू भर पानी में डूब मरता।’ पिता की कठोर वाणी से निकले कठोर शब्द प्रशांत को किसी कंटीले बाण से कम न लगे थे
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मां की ममता
ji हार्दिक आभार आपका आदरणीय ?
बस एक बात मन में रह गयी सुरेंद्र वाली कहानी बीच में आई और अदृश्य हो गयी। वह थोड़ा स्पष्ट हो जाती यह सही रहता। क्योंकि जिक्र हुआ और फिर पता नही लगा कि क्या हुआ
सुरेन्द्र के मार्क्स अधिक आने पर भी वह संतुष्ट नहीं था इसीलिए उसने आत्महत्या जैसा कदम उठाया उसका मैंने हल्का सा जिक्र किया ताकि मुख्य पात्र जिसके मार्क्स कम आए, की कहानी को पूर्णतया उजागर किया जा सके। हार्दिक आभार नेहा जी आपका
बहुत सुंदर। आत्महत्या से बड़ा पाप कुछ नही। कहानी बहुत सुंदर बन पड़ी है।
सराहना हेतु हार्दिक आभार
कविताअतुकांत कविता
प्रवासी मजदूर
जिस आदमी के बदन से
कोसों दूर से दुर्गंध आती हो
जिसके वस्त्र फटे, मैले कुचैले हों
कई दिनों से नहाया न हो
चिलचिलाती धूप में सिककर,
जिसका रंग तवे सा स्याह हो गया हो
होठों पर सुर्ख, रक्त-पपड़िया
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लेखआलेख
बालक को चींटी मारते देख दादी ने उसे टोका और बताया कि चींटी में भी हम इंसानों की भांति जान होती है,, उसे मारना पाप है।
बालक हंसा और फिर उसने दादी की बात की परवाह किए बिना, अपनी नन्ही हथेली से दो बार और
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कहानीसामाजिक, व्यंग्य
लघुकथा
सत्ता हस्तांतरण
"क्या किटी-पार्टी अगले महीने नहीं रख सकते?"
"पार्टी तो फिक्स हो गई है। पिछले महीने भी मुझे, ऑफिस में आवश्यक काम के चलते पार्टी कैंसिल करनी पड़ी थी और अब.. फिर से डेट फिक्स कर,
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पति पत्नी का रिश्ता समझदारी का रिश्ता होता है, पति के स्वाभिमान को आहत कर के एक पत्नी खुश नहीं रह सकती।
संवेदनशील कहानी. लेकिन हदे तब पार होती जब शुरुआत से ही आप किसी के वश में ऐसे रहते हो. इतना पति गैर गुजरा हो गया जो नौकर बन गया.
इस सत्ता का भी अपना ही मजा है.....
धन्यवाद आपका☺️
लक्ष्मी!बेहतरीन लिखती हो ....शुभाशीष
मैम, दिल से आभार आपका
भावपूर्ण रचना..!
जी हार्दिक आभार आपका आदरणीय।
कड़वा है लेकिन आज का सत्य है यह। उम्दा लेखन
बहुत धन्यवाद ☺️
कहानीप्रेम कहानियाँ, अन्य
बस नंबर 703 दूसरा (अंतिम भाग)
"चलो भई, अब कितनी सवारी और भरोगे?" भीड़ में से बुजुर्ग आवाज़ से मैं दुनियादारी में वापस लौटा।
'अभी तलक आई क्यों नहीं??.. अगर यह बस चल पड़ी तो!!..'
"अरे भाई साहब! सीट पर बैठ जाइए..
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उफ़्फ़, कंडक्टर साहब की तो बस छूट गई। ख़ैर मजाक एक तरफ़ लेकिन वाकई बहुत अच्छे से बाँधे रखे थी आपकी कहानी मुझे इसके अंत तक।
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद सखी ❤️
मज़ेदार लगी कहानी अनजानी का नाम भी न जान सके बेचारे कंडक्टर साहब...।
सराहना हेतु धन्यवाद सखी
कहानीप्रेम कहानियाँ, अन्य
बस नंबर 703 (भाग 1)
जिंदगी की कच्ची-पक्की सड़कों पर कभी-कभी कई ऐसे अनजाने मिल जाते हैं जिनसे आपको एक अनजाना सा लगाव हो जाता है और वे अनजाने, अनजाने होकर भी, अनजाने नहीं रहते ।
वो भी, उन्हीं में से थी.. ' अनजानी
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कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक
क्रोधित होती नीलिमा को देख, स्त्री कभी गोद में उठाए बच्चे को अपने सीने से चिपका लेती तो कभी तीनों लड़कियों को अपने आंचल में ढांपने की नाकाम कोशिश करने लगी।
कुछ क्षण पश्चात, नीलिमा की प्रश्नसूचक
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कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक
कुर्सी के चारों ओर बेतरतीबी से फैले, मुड़े-तुड़े, अधलिखे पन्नों को देख कोई भी बता सकता था कि अपनी किताब के लिए कहानी लिखने बैठी नीलिमा का ध्यान, कहानी लिखने में केंद्रित नहीं हो पा रहा है।
"न जाने
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कहानीसामाजिक, प्रेम कहानियाँ, अन्य, प्रेरणादायक
"मैडम , एक कप चाय और मिलेगी क्या?" अखबार के पन्ने पलटते हुए राधेश्याम जी ने अपनी पत्नी नीलिमा को आवाज लगाई और फिर से पेपर पढ़ने में व्यस्त हो गए।
नीलिमा जी ने तनिक गुस्साई नजरों से अपने पति की ओर देखा
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