कहानीप्रेरणादायक
कुन फाया कुन
उसे सिर्फ इतना याद है कि वह छह दिन में अपनी रचना मुक़म्मल करने के बाद आराम करने चला गया था और उस दिन के बाद वह आज नींद से जागा है।
वह कुछ उनींदा-सा अपनी आँखें मलता हुआ हजारों साल पहले बनाई अपनी रचना को ढूँढ रहा है ।
चाँद, तारे और सूरज सब उसे अपनी जगह पर यथावत मिल गए लेकिन उसकी बनाई धरती कुछ अलग दिख रही थी।
जिसके लिए उसने धरती बनाई थी, वही इंसान उस वसुंधरा को नष्ट करने पर आमादा था इसलिए जब बाढ़, भूकम्प और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के रूप में भेजी चेतावनी से भी बात न बनी तो धरती का प्रतिक्रिया तंत्र, ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना का अस्तित्व धरती से खत्म करने के लिए मजबूर हो गया था।
ऐसी ही किसी भयंकर प्राकृतिक आपदा से उजड़े घर में बैठा एक पिता अपने नवजात शिशु को संभालता हुआ अपनी पत्नी से बोला, "इंसान के इस धरती पर पैदा होने से अब तक, ईश्वर ने ही तो हमारी रक्षा की है और अब भी वही रक्षा करेंगे।"
नवजात की नज़रें, आँखें मलते हुए उनींदे से ईश्वर की ओर उठी और वह शिशु खिलखिलाकर हँस दिया ।
ईश्वर ने उँगली अपने होंठों पर रखी और शिशु से कहा "श..श्श्श्श"
#Anil_Makariya
Jalgaon (Maharashtra)