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रचयिता का धर्म - Anil Makariya (Sahitya Arpan)

कहानीप्रेरणादायक

रचयिता का धर्म

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रचयिता का धर्म◆

एक बच्चे ने जन्म लेते ही देखा कि 8-10 दानवाकार आकृतियां नवजात बच्चों के दिमाग में भावनाएं भर रही है।
उसने तुरंत रचियता से सवाल किया ।
"यह दानवाकार आकृतियां कौन है ? पहले तो अपने बच्चों के दिमाग में संतुलित भावनाएं डालने का काम आपका था न ?"
बच्चे का सवाल सुन रचयिता मुस्कुराया और बोला।
"इन आकृतियों को इंसान 'धर्म' कहता है। इन्हें इंसान ने ही बनाया है । अब बच्चों में भावनाएं यही आकृतियां डालती है । जब से ये आकृतियां मनुष्य ने बनाई है, मनुष्य मुझे भूल चुका है।
जिस समूह के इंसानो द्वारा जो आकृति बनाई गई है, उसी समूह के इंसान द्वारा ईजाद भावनाओं का फार्मूला उस समूह में पैदा हुए बच्चे के दिमाग में डाला जा रहा है।"
इतना बोल रचयिता मौन हो गया ।

"फिर तो मैं किसी धर्म के पास नही जाऊंगा "
नवजात शिशु ने अपने रचयिता से कहा ।

"जैसी तुम्हारी इच्छा"
रचयिता ने आशीर्वाद दिया ।
जब उन आकृतियों ने उस शिशु को देखा तो भिन्न-भिन्न स्वर उनके मुंह से निकलने लगे ।
"......"
"अदिस्ट"
"मुल्हिद"
"नास्तिक"
"......."

#Anil_Makariya
Jalgaon (Maharashtra)

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Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

वाह भैया ... अति उत्तम रचना..!

दादी की परी
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