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भटियारे की प्रेमकथा - Anil Makariya (Sahitya Arpan)

कहानीहास्य व्यंग्य

भटियारे की प्रेमकथा

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  • 18 Min Read

भटियारे की प्रेमकथा■

वह शादियों में रोटियां बनाने का काम करता था ।
क्योंकि बचपन से ही यही काम करता आया था, तो अब यह काम उसके लिए आदत बन गया था ।
हर सुगंध की तुलना रोटियों की सुगंध से करना । हर शय के आकार-प्रकार ,लंबाई-चौड़ाई ,रंग-रूप का आकलन, कल्पना सब रोटियों से ही करना जमील भटियारे की सनक बन चुकी थी ।
अब उम्र शादी के लायक हुई तो जमील के वालिद ने जमील के मामू को पैगाम भेजा ।
जमील के मामू की तीन बेटियां थी वैसे तो तीनों शादी के लायक थी पर मामू पहले बड़ी बेटी को रुखसत करना चाहते थे लेकिन इसमें एक पेच ये था कि बड़ी लड़की राशिदा, जमील से एक साल बड़ी थी और जमील के घरवालों को उनकी दूसरी बेटी सईदा पसंद थी जोकी जमील की हमउम्र थी तिसपर भी तुर्रा ये की मामू की तीसरी और सबसे छोटी बेटी आयशा मन-ही-मन जमील को पसंद करती थी और उससे शादी करना चाहती थी ।
अब इस पूरे मसले का लब्बोलुआब ये है कि जमील की पसंद से किसीको कुछ लेना-देना नही है क्योंकि सबको पता है कि जमील भटियारे की पसंद केवल रोटियां है ।
मामू ने पैगाम तो स्वीकार कर लिया पर लड़की दिखाने के मामले में चाल खेल गए ।
तय तो यह हुआ था कि जमील और उसके परिवार को मामू की तीनों लड़कियां दिखाई जाएगी फिर वे तय करेंगे कि जमील का निकाह किस लड़की से हो ? अब मामू को तो राशिदा का निकाह ही पहले पढ़वाना था तो,
चाल ये थी कि मामू ने अपनी बेटियों को सख्त ताकीद दे दी कि कोई भी राशिदा से ज्यादा खूबसूरत और गोरी दिखने की कोशिश नही करेगी ताकि जमील आये और राशिदा को ही पसंद करके जाए ।
इन उम्मीदवारों में वैसे तो राशिदा ही अपनी माँ के समान गोरी थी और सईदा अपने बाप के जैसी तीखे नैन-नक्श वाली, लेकिन काली जैसे 'जिंदा तिलस्माती सुरमा' बाकी बची आयशा अपने माँ-बाप का मिलाजुला रूप लिए हुए गेंहुए रंग की थी ।
फील्डिंग लग चुकी थी और मामू को अपनी रणनीति और राशिदा के गोरे रंग पर पूरा भरोसा था ।
तय समय के मुताबिक जमील, उसके वालिद, वालिदा और जमील की बुआ मामू के घर पहुंच गए ।
जमील के अब्बा और अम्मी साफ तौर से सईदा के तरफ जमील की तवज्जो ले जाना चाहते थे जबकि मामू राशिदा की खूबसूरती की टेर लगाए बैठे थे , आयशा की तरफ से बोलने वाला कोई न था ।
इसी बीच बुआ ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की गरज से बेसाख्ता सवाल किया ।
"बस खुद की ही हांकते रहोगे या कोई दूल्हे से भी पूछेगा की उसे किस के साथ जिंदगी बसर करनी है ?"
कुछ पल के लिए तो दोनो परिवारों के फड़फड़ाते अरमान शिथिल से पड़ गए ।
फिर जवाब जमील की अम्मी ने दिया ।
"जमील हमसे बाहर थोड़ी न है, हम जो तय करेंगे वही जमील का मुकद्दर होगा ।
क्यों जमील ?"
मानो काफी देर से तवे पर रखी रोटी में उभार दिखाई दिया ।
जमील ने बिना मुंह खोले सख्ती से 'ना' में गर्दन हिलाई ।
मामू की बांछे खिल गई, उसकी चाल का चौका जमील ने छक्के में बदल दिया था।
"मैं तो अपने भांजे को शुरू से ही अपना खूबसूरत नगीना देना चाहता था क्यों जमील ?
राशिदा ही पसंद है न तुझे ?"
जमील कुछ बोले उससे पहले ही उसके अब्बू बोल बैठे ।
"अरे जमील भटियारे! सईदा जैसी रोटियां ये राशिदा नही बना पाती है"
मामू जानता था जमील की रोटियों वाली सनक को और जमील के बाप ने 'रोटी' बीच मे लाकर उसकी चाल की दाल पतली कर दी थी ।
"राशिदा और सईदा दोनों का निकाह जमील से पढ़वा दो तुम लोग, पर उसे बोलने मत दो"
बुआ का लहजा इसबार सख्त हो चला था ।
अब सभी की नजरें जमील की ओर लगी थी ।
जमील ये देख सकपका गया जैसे उसकी घिग्गी बंध गई हो ।
ये देख मामू ने आखिरी दांव खेलते हुए पूछा।
"र..राशिदा?"
"कच्ची है अभी"
जमील ने धीरे से बोला ।

ये सुनकर जमील की अम्मी ने बिना देर किए पूछा ।
"सईदा ..सईदा ?"
"कुछ ज्यादा ही जल गई है"
जमील अब खुलकर बताना चाहता था ।
दूसरा अब कुछ पूछे इससे पहले ही पर्दे की आड़ से आयशा की आवाज कौंधी ।
"आ ..आयशा?"
आवाज सुनते ही जमील उठ खड़ा हुआ और नारा लगा दिया ।
"कुबूल है..कुबूल है..कुबूल है"

दोनो समधी अपने सिर पर हाथ दिए बैठे थे और 'जमील भटियारे' के रोटी प्रेम ने उसे मंजिल दिखा दी थी ।

#Anil_Makariya
Jalgaon (Maharashtra)

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

KHUBSURAT AUR DILCHASP ..!!

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