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आओ अपने गौरवशाली इतिहास को जाने - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

कहानीऐतिहासिक

आओ अपने गौरवशाली इतिहास को जाने

  • 199
  • 24 Min Read

बच्चो,आज हम महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी हासिल करेंगे।

एक बार जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे । तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि,हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए ? तब माँ का जवाब मिला”उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना, जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ।”

"क्या उन्होंने सचमुच ऐसा किया ,चाचू ?" अर्जित ने पूछा।

"बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था |

बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘ किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं |"

"कितने गर्व की बात है कि हमारे देश के वीर पुरुष अन्य देशों के महापुरुषों के लिए भी प्रेरणा स्रोत रहे हैं ,सम्मान का पात्र रहे हैं।"गौरव ने कहा।

"बच्चो, महाराणा प्रताप कितने बलवान थे, इसका अनुमान इस बात से तुम सहज ही लगा सकते हो, कि उनके भाले का वजन 80 किलोग्राम और कवच का वजन 80 किलोग्राम था|इस प्रकार कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था। इतने वजन के साथ युद्ध करना कल्पना शक्ति जवाब दे जाती है।"

"चाचाजी, क्या यह अतिशयोक्ति तो नहीं? कमलेश ने जानना चाहा।

"इस बात में कतिपय अतिशयोक्ति नहीं है।आज भी महाराणा प्रताप की तलवार, कवच उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |"

"महाराणा प्रताप का खुद का कितना वजन था?" मानवेंद्र ने पूछा।

"महाराणा प्रताप का वजन 210 किलो और लम्बाई 7’5” थी।वे दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे।

आप सब ने महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में तो सुना ही होगा,उनका एक हाथी भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद। उसके बारे में आपको कुछ बाते बताता हूं।"

"चाचा जी,रामप्रसाद हाथी का उल्लेख तो कभी शायद किसी पाठ्यपुस्तक में भी नहीं हुआ है।"राजेंद्र ने कहा।

"रामप्रसाद हाथी का उल्लेख अल- बदायुनी, जो मुगलों की ओर से हल्दीघाटी के युद्ध में लड़ा था उसने अपने संस्मरण में लिखा है कि,

जब महाराणा प्रताप पर अकबर ने चढाई की थी, तब उसने दो चीजो को ही बंदी बनाने की मांग की थी । एक तो खुद महाराणा और दूसरा उनका हाथी रामप्रसाद। क्योंकि वह हाथी इतना समझदार व ताकतवर था कि उसने हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही अकबर के 13 हाथियों को मार गिराया था ।

उस हाथी को पकड़ने के लिए सात बड़े हाथियों का एक

चक्रव्यूह बनाया गया और उन पर चौदह महावतों को बिठाया गया तब कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये।"

"उसे बंदी बनाने के बाद अकबर ने उसके साथ क्या किया?"उज्जवल ने पूछा।

"उसे अकबर के समक्ष पेश किया गया ।अकबर ने उसका नाम पीरप्रसाद रखा। उसके सामने गन्ने रखे गए और पानी रखा गया किंतु उसने 18 दिनों तक न पानी पिया न कुछ खाया और अपने प्राण त्याग दिए इस पर अकबर ने कहा, जब मैं राणा प्रताप के हाथी को नहीं झुका पाया तो राणा प्रताप को क्या झुका पाऊंगा !"

"इसको सुनकर सीना गर्व से चौड़ा हो गया , चाचाजी!"श्रीकांत ने गर्व से कहा।

"यह निस्संदेह गर्व का विषय है महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार नहीं किया। हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20,000 सैनिकों के साथ अकबर की 85,000 सैनिकों की सेना पर टूट पड़े।"

"युद्ध कौशल की इतनी दक्षता उन्होंने अल्पायु में ही सीख ली थी। कितने कमाल की बात है !यह सब कैसे हुआ होगा? यतींद्र ने जानना चाहा।

"महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा श्री जैमल मेड़तिया जी ने दी थी, जो 8,000 राजपूत वीरों को लेकर 60,000 मुसलमानों से लड़े थे। उस युद्ध में 48,000 मारे गए थे । जिनमे 8,000 राजपूत और 40,000 मुग़ल थे |

मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने महाराणा का साथ दिया और हल्दी घाटी मेंअकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला।वे महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे।आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं, तो दूसरी तरफ भील।महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया। तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा की फौज के लिए तलवारें बनाईं | इसी समाज को आज गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार कहा जाता है|हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई।

आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था।"

"चाचाजी ,कुछ आप महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के विषय में भी बताएं।"कात्यायन ने कहा।

"महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक भी एक असामान्य रूप से बहादुर घोड़ा था। एक टांग टूटने के बाद भी वह २६ फीट का दरिया पार कर गया।

जहां वह घायल हुआ ,वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है।जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |

दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए चेतक के मुंह के आगे हाथी की सूंड लगाई जाती थी। महाराणा प्रताप के पास पास हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे|"

"क्या महाराणा प्रताप अपना राज्य पुनः प्राप्त करने में सफल हो गए थे ,चाचा जी?"मनीषा ने पूछा।

"मृत्यु से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था ।महलों मे रहने वाले राणा प्रताप ने 20 साल मेवाड़ के जंगलो में कांटे उन्होंने और उनके परिवार ने घास की रोटियां खाई।"

"नमन है, शत-शत नमन है ऐसे वीरों को।"सभी बच्चों ने नतमस्तक होकर कहा।

"नमन है बच्चों, इन वीरों को सच्ची श्रद्धांजलि हमारी यही होगी कि हम अपने देश की रक्षा के लिए सर्वस्व बलिदान करने मे कभी न हिचकिचायें।"

"आज यहीं चर्चा समाप्त होती है, कल फिर मिलेंगे। धन्यवाद ।"

"धन्यवाद ,चाचा जी, नमस्ते।"

गीता परिहार

अयोध्या (फैजाबाद)

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत अच्छी जानकारी

Gita Parihar3 years ago

बहुत बहुत आभार

दादी की परी
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