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Start Date 28-Jan-21
End Date 31-Jan-21
Writer | Rank | Certificate |
---|---|---|
Champa Yadav | Certificate | |
Arvind Singh | Certificate | |
Naresh Gurjar | Certificate |
Competition Information/Details
सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार..!
आज की प्रतियोगिता चित्रआधारित है।
और हर चित्र कुछ कहता हैं इस चित्र की खामोश जुबां को आप कितना सुन पाते है आज हम ये जानेंगे..!
तो लिख भेजिये इस चित्र की कहानी अपनी जुबानी।
लेखन सम्बंधित विस्तृत जानकारी इस प्रकार है..
दिनाँक - 28 जनवरी से 31 जनवरी2021
विषय - चित्र-आधारित
विधा - मुक्त (किसी भी विधा मे)
लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-
1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।
2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।
3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।
4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में कॉम्पिटिशन का चुनाव करना न भूले।
5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।
आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा... सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....
भूमिका संयोजन
पूनम बागड़िया
धन्यवाद
साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।
कवितालयबद्ध कविता
एक दूसरे के पूरक हैं हम, बात इतनी सी तू समझना,
एक दूसरे के ऐबों को अपनाना है हमें, बन कर अम्बर उन्हें है ढकना।
सुख दुःख को मिल कर है बाँटना, एक दूजे का दर्द है समझना,
ग़म की बारिश को साथ है सहना, छतरी बन
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कविताअतुकांत कविता
#तुम षुरष हो.....
हालाँकि हक नहीं है पुरुषों को
कमजोर पड़ने का.....
बचपन से तालीम दी जाती है तुम्हें!
कभी कमजोर मत पढ़ना।
"क्योंकि तुम मर्द हो,
तुम रो नहीं सकते।
समाज हँसेंगे तुम पर...."
और वही तालीम
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कविताअतुकांत कविता
# चित्राक्षरी प्रतियोगिता
28,1,21
* मुझे कुछ कहना है*
जनम जनम का सदा ही साथ है हमारा तुम्हारा
प्रियतम तुम मेरे, कुछ बोलते क्यूँ नहीं ?
कल तुम्हें जाना है प्रिये सरहद के उस पार
ये आठों प्रहर लिखे दिए हैं
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कवितालयबद्ध कविता
#चित्राक्षरी_प्रतियोगिता
तुम और मैं
तुम मुझमें और मैं तुझमें ऐसे समायी।
जैसे नदी - सागर के आगोश में आयी।।
एक-दूसरे के पूरक दो जिस्म एक जान।
धड़कन- धड़कन को दे रही है सुनायी।।
हो रहा रूह से रूह का
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कविताअतुकांत कविता, बाल कविता
बेटे!
रो मत!
मेरे लाडले तू नहीं जानता है
पापा कभी भी अपने लाडले से दूर नहीं जाते हैं
पापा मृत्युपरांत भी
आते-जाते रहते हैं बेटे की मुस्कान में
हर छोटी-छोटी बात में।।
बेटे!
रो मत!
मैं भी चाहता था
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कविताअन्य
चित्रआधारित प्रतियोगिता हेतु
विधा - मुक्त
ए-माँ तुम खुदा की भी खुदा लगी हमको
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बिन तेरे माँ ये ज़िंदगी सजा लगी हमको
मजे में भी ज़िंदगानी बे-मजा लगी हमको
निभाए सबने यहाँ स्वार्थ की ख़ातिर
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कवितालयबद्ध कविता
#चित्र प्रतियोगिता
मुहब्बत की पाक सुराही में
मौहब्बत की पाक सुराही में, रूहों के शर्बत मिलाये.
दिल के प्याले में भरकर, आओ इक जाम बनाये.
उम्र से कुछ कतरे मांगे, कुछ वक़्त की चासनी मिलाए.
कुछ गमों
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कवितागजल
तेरे इश्क में डूबे डूबे से हम हैं
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दो जिस्म और एक जान हैं
मुझमें तुम हो, तुझमे हम है
फरिश्तो से मांगा तुझे हम हैं
मोहब्बत को निभाया हम है
तेरी चाहत का कायल हम हैं
तेरे
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कवितानज़्म
अल्प में भी पूर्ण का वरदान देती हूँ
मैं प्रकृति अपने बच्चों पर बड़ा ध्यान देती हूँ
मुझसे ही बने हैं ये पशु प्राणी सब लोग
सेहत मेरी बिगाड़ रहे जिनको रखती हूँ निरोग
काटते हैं जड़े मेरी मेरे ही जनमें
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