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Sahitya Arpan Competition - चित्राक्षरी
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चित्राक्षरी

Competition Stats

  • #Entries 12

  • #Likes 2

  • Start Date 28-Jan-21

  • End Date 31-Jan-21

  • Competition Winners

    Writer Rank Certificate
    Champa Yadav First Certificate
    Arvind Singh Second Certificate
    Naresh Gurjar Third Certificate

    Competition Information/Details

    सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार..!

    आज की प्रतियोगिता चित्रआधारित है।
    और हर चित्र कुछ कहता हैं इस चित्र की खामोश जुबां को आप कितना सुन पाते है आज हम ये जानेंगे..!
    तो लिख भेजिये इस चित्र की कहानी अपनी जुबानी।

    लेखन सम्बंधित विस्तृत जानकारी इस प्रकार है..

    दिनाँक - 28 जनवरी से 31 जनवरी2021
    विषय - चित्र-आधारित
    विधा - मुक्त (किसी भी विधा मे)

    लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-

    1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।

    2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।

    3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।

    4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में कॉम्पिटिशन का चुनाव करना न भूले।

    5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।

    आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा... सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....

    भूमिका संयोजन
    पूनम बागड़िया

    धन्यवाद
    साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।

    कवितालयबद्ध कविता

    एक दूसरे के पूरक है हम

    • Edited 3 years ago
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    एक दूसरे के पूरक हैं हम, बात इतनी सी तू समझना,
    एक दूसरे के ऐबों को अपनाना है हमें, बन कर अम्बर उन्हें है ढकना।

    सुख दुःख को मिल कर है बाँटना, एक दूजे का दर्द है समझना,
    ग़म की बारिश को साथ है सहना, छतरी बन
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    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    बहुत खूब

    Shadabi Naz3 years ago

    धन्यवाद

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Shadabi Naz3 years ago

    🙏

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    Shadabi Naz3 years ago

    धन्यवाद

    कविताअतुकांत कविता

    चेहरा

    • Edited 3 years ago
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    # चेहरा

    अक्सर एक सवाल उठता है कि क्यों होता है ऐसा?
    कभी इंसानों के चेहरे,कभी चेहरों के पीछे इंसान बदल जाते हैं।

    जो दिखते हैं मासूम चेहरे ,वो मौक़े पे फिर जाते हैं,
    एक चेहरे पे कई चेहरे लगा, वो
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    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    शानदार

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    कविताअतुकांत कविता

    #तुम पुरूष हो....

    • Edited 3 years ago
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    #तुम षुरष हो.....

    हालाँकि हक नहीं है पुरुषों को
    कमजोर पड़ने का.....

    बचपन से तालीम दी जाती है तुम्हें!
    कभी कमजोर मत पढ़ना।

    "क्योंकि तुम मर्द हो,
    तुम रो नहीं सकते।
    समाज हँसेंगे तुम पर...."

    और वही तालीम
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    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    बहुत शानदार

    Champa Yadav3 years ago

    जी....शुक्रिया...आपका।

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    जी....धन्यवाद....

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    सही कहा

    कविताअतुकांत कविता

    मुझे कुछ कहना है

    • Edited 3 years ago
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    # चित्राक्षरी प्रतियोगिता
    28,1,21

    * मुझे कुछ कहना है*

    जनम जनम का सदा ही साथ है हमारा तुम्हारा
    प्रियतम तुम मेरे, कुछ बोलते क्यूँ नहीं ?
    कल तुम्हें जाना है प्रिये सरहद के उस पार
    ये आठों प्रहर लिखे दिए हैं
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    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    बेहतरीन

    कविताछंद

    तड़पती हूँ

    • Edited 3 years ago
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    नमन-------साहित्य अर्पण एक पहल
    आयोजन----चित्राधारित प्रतियोगिता
    तिथि----------------30/01/2021
    वार-------------------------शनिवार
    विधा-----------विधाता छन्द में गीत
    मापनी-1222 1222 1222 1222

    #तड़पती_हूँ

    लगी हूँ आज छाती से,मुहब्बत में तड़पती
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    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    खूबसूरत

    कवितालयबद्ध कविता

    तुम और मैं

    • Edited 3 years ago
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    #चित्राक्षरी_प्रतियोगिता

    तुम और मैं

    तुम मुझमें और मैं तुझमें ऐसे समायी।
    जैसे नदी - सागर के आगोश में आयी।।

    एक-दूसरे के पूरक दो जिस्म एक जान।
    धड़कन- धड़कन को दे रही है सुनायी।।

    हो रहा रूह से रूह का
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    कविताअतुकांत कविता, बाल कविता

    सपने में पापा आए

    • Edited 3 years ago
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    बेटे!

    रो मत!

    मेरे लाडले तू नहीं जानता है

    पापा कभी भी अपने लाडले से दूर नहीं जाते हैं

    पापा मृत्युपरांत भी

    आते-जाते रहते हैं बेटे की मुस्कान में

    हर छोटी-छोटी बात में।।



    बेटे!

    रो मत!

    मैं भी चाहता था
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    अत्यंत भावपूर्ण और ह्रदयस्पर्शी..!

    कविताअन्य

    ए-माँ तुम खुदा की भी खुदा लगी हमको

    • Edited 3 years ago
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    चित्रआधारित प्रतियोगिता हेतु
    विधा - मुक्त

    ए-माँ तुम खुदा की भी खुदा लगी हमको
    ___________________________

    बिन तेरे माँ ये ज़िंदगी सजा लगी हमको
    मजे में भी ज़िंदगानी बे-मजा लगी हमको

    निभाए सबने यहाँ स्वार्थ की ख़ातिर
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बेहतरीन रचना

    कविताअतुकांत कविता

    जीवनसाथी

    • Edited 3 years ago
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    # जीवनसाथी

    हमसफर हमें साथ चलना है।
    जल रहे दीया और बाती जैसे हमें भी जलना है।

    यदि तुम अर्धांगिनी हो मैं भी व टुकड़ा आधा।
    दुख के साथी हर पथ पर खड़ा रहूंगा है ये वादा।

    तुम से ही हर अभिलाषा अब हर उन्मेश
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    कवितालयबद्ध कविता

    #चित्र प्रतियोगिता

    • Edited 3 years ago
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    #चित्र प्रतियोगिता

    मुहब्बत की पाक सुराही में

    मौहब्बत की पाक सुराही में, रूहों के शर्बत मिलाये.
    दिल के प्याले में भरकर, आओ इक जाम बनाये.

    उम्र से कुछ कतरे मांगे, कुछ वक़्त की चासनी मिलाए.
    कुछ गमों
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    Dipti Sharma

    Dipti Sharma 3 years ago

    बहुत खूब

    राजेश्वरी जोशी3 years ago

    धन्यवाद आदरणीय

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बहुत ही सराहनीय अभिव्यक्ति है!

    राजेश्वरी जोशी3 years ago

    धन्यवाद आदरणीया

    कवितागजल

    तेरे इश्क में डूबे डूबे से हम हैं

    • Edited 3 years ago
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    तेरे इश्क में डूबे डूबे से हम हैं
    ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
    दो जिस्म और एक जान हैं
    मुझमें तुम हो, तुझमे हम है

    फरिश्तो से मांगा तुझे हम हैं
    मोहब्बत को निभाया हम है

    तेरी चाहत का कायल हम हैं
    तेरे
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    Babita Kumari

    Babita Kumari 3 years ago

    👌👌

    कवितानज़्म

    मैं प्रकृति हूँ

    • Edited 3 years ago
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    अल्प में भी पूर्ण का वरदान देती हूँ
    मैं प्रकृति अपने बच्चों पर बड़ा ध्यान देती हूँ

    मुझसे ही बने हैं ये पशु प्राणी सब लोग
    सेहत मेरी बिगाड़ रहे जिनको रखती हूँ निरोग

    काटते हैं जड़े मेरी मेरे ही जनमें
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    Naresh Gurjar3 years ago

    धन्यवाद मैम