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सपने में पापा आए - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविताबाल कविता

सपने में पापा आए

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  • 5 Min Read

बेटे!

रो मत!

मेरे लाडले तू नहीं जानता है

पापा कभी भी अपने लाडले से दूर नहीं जाते हैं

पापा मृत्युपरांत भी

आते-जाते रहते हैं बेटे की मुस्कान में

हर छोटी-छोटी बात में।।



बेटे!

रो मत!

मैं भी चाहता था तुम संग गुजारना कुछ और पल

पर, क्या करूं लाडले?

जिसने भी है जन्म लिया

उसका इक दिन जगत से जाना तय है

चाहे वक्त से या बेवक्त

हाँ, मुझे अफ़सोस है बस बात की

कि मैं आ गया ईश्वर की शरण में असमय

न गुजार सका तुम संग कुछ और पल।।



बेटे!

रो मत!

मैं तुम्हारे पास था,हूँ और रहूंगा भी सर्वदा

मेरी काया की मृत्यु हुई है

पर, बेटे मैं अब भी ज़िंदा हूँ

मैं तुम्हारे अंदर हूँ

और तुम मेरे अंदर

मेरा आशीर्वाद सदा रहेगा तुम संग।।



बेटे!

मेरे लाडले

जीवन के किसी भी मोड़ पर

मायूस मत होना

हारना मत!

डटकर सामना करना

मेरे लाडले

मुश्किलों का

तेरे पापा रहेंगे तुम संग हरदम।।



सपने में आज फिर पापा आए

निद्रा हुई भंग जब

बेटे के मुख से निकला



"हे ईश्वर!

सपने में ही सही

पापा से मिलने का अवसर

कुछ क्षण और तो देते

कुछ बातें और थीं

जो पापा से कर न सका।।"



©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

अत्यंत भावपूर्ण और ह्रदयस्पर्शी..!

प्रपोजल
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