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Competition | Rank | Certificate |
---|---|---|
मेरा शहर | Certificate | |
चित्राक्षरी आयोजन फरवरी 2021 | Certificate |
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Section | Genre | Rank |
---|---|---|
कविता | लयबद्ध कविता | 4th |
London is the capital city of England.
कवितालयबद्ध कविता
कब तक
कब तक बाँधोगे बाँध,
मन की नदिया के धारों पर.
टूट जायेंगी सभी दीवारें,
नदिया को तो बहना है.
कब तक रोकोगे तुम,
रोशनी को चिनी दीवारों से.
मन के रोशनदान खुलेंगे,
उजालों को तो झरना है.
कब तक दोगे पहरे
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कवितालयबद्ध कविता
तेरे मेरे सपने
काश वो दिन फिर लौट आये,
हम-तुम मिलकर सपनों के।
फिर से सुंदर महल बनाये,
हम तुम मिलकर इसे सजाये।
कबूतरों की तरह गुटरगूं करें हम,
मैं तुम और तुम मैं हो जाएं।
तेरे मेरे सारे सपने सच हो
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कवितालयबद्ध कविता
तेरे मेरे सपने
काश वो दिन फिर लौट आये,
हम-तुम मिलकर सपनों के।
फिर से सुंदर महल बनाये,
हम तुम मिलकर इसे सजाये।
कबूतरों की तरह गुटरगूं करें हम,
मैं तुम और तुम मैं हो जाएं।
तेरे मेरे सारे सपने सच हो
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कवितालयबद्ध कविता
फुर्सत तो मिली
कोरोना के डर से ही चलो,
जिंदगी में हमें फुर्सत तो मिली।
सबके संग वक्त गुजारने की,
चलो कुछ मोहलत तो मिली ।
सड़को को कुछ राहत मिली,
घर की कुछ रौनकें तो बढ़ी।
बहुत समय बाद घर साथ बैठा,
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कवितालयबद्ध कविता
यादों के धागे
सपनो के फूल चुनकर मैंने ,
यादों के धागे में है पिरोये।
जतन से फिर गजरा बनाया,
उसे बालों में अपने सजाया .
वक्त को है गीठा से बाँधा ,
लम्हों को फूलों में बाँधा ।
तितली से कुछ रंग चुराये,
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कवितालयबद्ध कविता
यादों के धागे
सपनो के फूल चुनकर मैंने ,
यादों के धागे में है पिरोये।
जतन से फिर गजरा बनाया,
उसे बालों में अपने सजाया .
वक्त को है गीठा से बाँधा ,
लम्हों को फूलों में बाँधा ।
तितली से कुछ रंग चुराये,
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कवितालयबद्ध कविता
बहुत घुटन है
बहुत घुटन है जीवन में,
मन के सब कपाट खोल दो.
आने दो स्वच्छ हवाओं को,
मन के सब गवाक्ष खोल दो.
मन के अंधियारे को मेरे,
मन की कोठरी से बहने दो.
आशा की ज्योती को फिर ,
आँखों में मेरी बसने दो.
भीगने
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कवितालयबद्ध कविता
हे कृष्ण ! कितना आसान है
हे कृष्ण!कितना,आसान है तेरा कहना,
कि सब कुछ , मुझ पे छोड़ दो।
जो हो रहा है , इस जगत में उसका,
संताप करना , तुम छोड़ दो।
पर कितना कठिन है, उनको भूलना,
हमारे प्रिय जिन्होंने, साथ
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कवितालयबद्ध कविता
फिर मन करता है
इस शहर की तंग गलियों से,
मुझे बहुत डर लगता है।
यहाँ की हवाओं में जहर ,
कोरोना का हरदम उड़ता है।
इन तन्हाइयों, सन्नाटो में ,
मेरा मन बहुत ही घुटता है।
गुमनाम सी हो गयी जिंदगी,
मुझे इससे
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कविताअतुकांत कविता
पहली बारिश की बूंदों सी
पहली बारिश की बूंदों जैसी,
संगीत सी बजती वो लड़की।
मन की धरती पर सौंधी खुशबू सी,
महकती जाती वो लड़की।
रुनझुन करती पायल बजाती,
नाचती गाती वो लड़की।
बारिश में भीगती गाती,
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कवितालयबद्ध कविता
कभी भी नही मरूंगी मैं
कभी भी नही मरुँगी मैं ,
सूरज की किरणों में मिल जाऊँगी।
समुद्र की भाप में उठकर,
आसमान के गले लग जाऊँगी।
रिमझिम बारिश की बूंदों में बरसकर,
मैं रोज पृथ्वी में मिलने आऊँगी।
हरा
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कवितालयबद्ध कविता
कभी भी नही मरूंगी मैं
कभी भी नही मरुँगी मैं ,
सूरज की किरणों में मिल जाऊँगी।
समुद्र की भाप में उठकर,
आसमान के गले लग जाऊँगी।
रिमझिम बारिश की बूंदों में बरसकर,
मैं रोज पृथ्वी में मिलने आऊँगी।
हरा
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कवितालयबद्ध कविता
लो आ गया बसंत
लो आ गया बसंत,
धूप भी आज मुसकायी है.
कोहरे से लिपटी धरती ने,
ठंड से मुक्ति पायी है.
बसंत का वंदन करने,
दसो दिशाएँ आयी है.
बसंत का अभिनंदन करने,
उल्लास का चंदन लायी है.
पीली चुनर ओढ़ सरसों
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कवितालयबद्ध कविता
#चित्र प्रतियोगिता
बचपन के वो दिन
बचपन के वो दिन कितने अच्छे थे,
बेफ्रिकी के वो दिन कितने अच्छे थे ।
ना था कोई डर ,ना खतरे थे,
कितने खुश थे, जब हम बच्चे थे ।
इतने भारी भी कब, हमारे बस्ते थे,
लड्डू भी
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कवितालयबद्ध कविता
#चित्र प्रतियोगिता
मुहब्बत की पाक सुराही में
मौहब्बत की पाक सुराही में, रूहों के शर्बत मिलाये.
दिल के प्याले में भरकर, आओ इक जाम बनाये.
उम्र से कुछ कतरे मांगे, कुछ वक़्त की चासनी मिलाए.
कुछ गमों
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कहानीलघुकथा
लघु कथा
प्यार की भाषा
रेखा अपने स्कूल में बाहर बरामदे में बैठकर अपना रजिस्टर भर रही थी। उसका स्कूल बस्ती के बाहर खेतों से घिरा था। इसलिए वृक्ष व पेड़_पौधों के कारण चारों ओर हरियाली थी। रेखा
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अच्छी रचना किंतु इसे लघु कथा कहना ज्यादा उचित होगा
धन्यवाद आदरणीय🙏🙏
कवितालयबद्ध कविता
# प्रतियोगिता
एक दिया शहीदों के नाम
शहीदों की याद में आओ ,
हम सब एक दिया जलाएं ।
उनकी यादों को चिंगारी बनाये,
देशभक्ति की हम मशाल जलाये।
आओ गणतंत्र दिवस मनाये।
कुछ पुष्प हम उनपर चढ़ाये,
उन्हें आगे
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कवितालयबद्ध कविता
एकाकीपन युवा
था मैं एकाकी बहुत,
रोज अपने से लड़ता था।
अपने मन में ही अकेला,
एकाकी सपने बुनता था।
खुद में ही खोया रहता,
जीवन से में डरता था।
अकेला ही रहता हरदम,
मन ही मन घुटता था।
एक दिन दीपक को,
मैं
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कवितालयबद्ध कविता
# प्रतियोगिता
# अलविदा 2020
अलविदा 2020
अलविदा साल 2020 को करते हैं,
ऐसा साल फिर ना लौट कर आये,
2021 में हम सब करोना से मुक्त,
होकर पहले सा हँसे और मुस्कुराये।
2021 में फिर से हम सब सपनों के,
मिलकर सुखद,सुंदर महल
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कवितालयबद्ध कविता
ये कैसा विकास है
बचपन पूछता हमसे,
ये कैसा विकास है।
21वी सदी में भी मेरा,
ऐसा क्यों हाल है।
बचपन पूछता सवाल है_
फटे कपड़ो में लिपटा बचपन,
भूखा प्यासा सो रहा ।
धरती बनी बिछौना इसका,
आसमान ओढ़े पड़ा
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दुखद है, सभ्य समाज में बच्चों पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
🙏🙏
देश में बच्चों की वर्तमान दशा का वास्तविक चित्रण.
धन्यवाद 🤝🙏🙏
बढ़िया
🙏🙏धन्यवाद आदरणीया
??
कवितालयबद्ध कविता
नदी की अभिलाषा
हे मानव! मैं स्वच्छ,नदी ही रहकर,
इस धरा पर बहना चाहती हूँ।
शिशु की निर्दोष हँसी सी मैं भी,
हरदम निर्मल रहना चाहती हूँ।
सूखे निराश खड़े पेड़ों को मैं ,
फिर से हरियाना चाहती हूँ।
थके
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#में चित्रकविता लिखना भूल गए हो आप निर्णायक मंडल के सर्च में नही आ पाएगी रचना।
कवितालयबद्ध कविता
मन रे क्यों
मन रे क्यों पीड़ा पहुँचाते,मन रे क्यों,
अकेलेपन का अहसास मुझे कराते।
जीवन के अंधेरों से क्यों मुझे डराते,
मन रे क्यों पीड़ा पहुँचाते, मन रे क्यों।
सुख- दुःख तो आना-जाना है,
जीवन कुछ खोना
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कवितालयबद्ध कविता
मेरी अभिलाषा
ना चाहती हूँ ,बनना हिंदू ,
ना बनना, मुसलमान.
ना बनना, सिक्ख ही,
ना बनना, क्रिस्तान.
मेरी अभिलाषा है मैं बनूँ,
ऐसा इक इंसान.
दिल में धड़कता हो जिसके,
बस हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान.
दिल में
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कवितालयबद्ध कविता
दिल जब
दिल जब दर्द से बहुत, भर जाता है,
गम का प्याला जब, छलक जाता है।
होंठ मौन रहते है, शब्द खो जाता है,
आँखों से दो बूंद नीर छलक जाता है।
मन की कितनी व्यथाएँ, पीड़ाएं सब,
मन को उम्र भर बहुत तड़फाती है।
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दोहरी जिंदगी जीने की मजबूरी और व्यथा को बखूबी उजागर किया है।
??
कवितालयबद्ध कविता
मन रे क्यों
मन रे क्यों पीड़ा पहुँचाते,मन रे क्यों,
अकेलेपन का अहसास मुझे कराते।
जीवन के अंधेरों से क्यों मुझे डराते,
मन रे क्यों पीड़ा पहुँचाते, मन रे क्यों।
सुख- दुःख तो आना-जाना है,
जीवन कुछ खोना
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कवितालयबद्ध कविता
जब राम नही बन सकते
जब राम नही बन सकते हो तुम,
तो फिर सीता को क्यों चाहते हो।
क्यों हर बात पर तुम उसपर,
यूँ ही हरदम कलंक लगाते हो।
क्यों लेते हो हर युग में अग्निपरीक्षा,
क्यों धोबी की बातों में आते
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मौन की भाषा कौन पढ़े ? आशा रहनी ही चाहिए,कोई तो ऐसा होगा जो आंखों की भाषा पढ़ सके। बहुत सुंदर सृजन।
कवितालयबद्ध कविता
गीत है संगीत है
ढोल की थाप पर, नाच रहा है मन,
कोयल की कूक सा,गा उठा है मन.
आनंद मग्न हुआ, नाच रहा है मन,
ढोल की थाप पर नाच रहा मन।
गीत है संगीत है, रीत है, प्रीत है,
गौरियों के मन बसा, सपनों का मीत है.
सपनों
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आदरणीय इसे प्रतियोगिता में शामिल करने का कष्ट करे।
आदरणीया अभी तो कोई प्रतियोगिता नही चल रही है ?
कवितालयबद्ध कविता
गीत है संगीत है
ढोल की थाप पर, नाच रहा है मन,
कोयल की कूक सा,गा उठा है मन.
आनंद मग्न हुआ, नाच रहा है मन,
ढोल की थाप पर नाच रहा मन।
गीत है संगीत है, रीत है, प्रीत है,
गौरियों के मन बसा, सपनों का मीत है.
सपनों
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कविताअतुकांत कविता
तुमने मुझे
जब मैं पैदा हुई थी,
तो सिर्फ इंसान थी।
दुनिया ने मुझे फिर,
कई टुकड़ों में, कई,
हिस्सों में बाँट दिया।
किसी ने कहा हिंदू,
किसी ने मुसलमान ,
किसी ने कहा सिक्ख,
किसी ने ईसाई मुझको,
तुमने मुझे
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कवितालयबद्ध कविता
जीना पड़ता है
जीवन कितना कठिन हो,
फिर भी जीना पढ़ता है।
जीवन में मिले गरल तो,
खुद ही पीना पड़ता है।
पथ के काँटों को चुनकर,
खुद आगे बढ़ना पढ़ता है।
चाहे चुभन हो पैरों में,
फिर भी हँसना पढ़ता है।
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कवितालयबद्ध कविता
जिंदगी मुट्ठी में बंद रेत सी
जिंदगी मुट्ठी में बंद रेत सी रिसती जाती है,
जिंदगी पत्तों में पड़ी ओस सी झड़ती जाती है.
जिंदगी सुख दु:ख के धागों में उलझाती है,
नीम सी कड़वाती, कभी काॅफी सी महकाती है
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