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Sahitya Arpan - राजेश्वरी जोशी

कविताबाल कविता

चंदा मामा

  • Added 6 months ago
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  • 19
  • 7 Mins Read

मैडम एक स्कूल बना दो

मैडम एक स्कूल बना दो,
जिसमे चार पहिए लगा दो।
जिस के बारे में हो पढ़ना ,
उसको सामने दिखा दो।

जब गर्मी मुझे सताये तो,
स्कूल पेड़ो के नीचे ले जाऊँ।
पेड़ो की ठंडी छाँव में बैठकर ,
मन
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चंदा मामा,<span>बाल कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

आखिर कब तक

  • Edited 2 years ago
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  • 67
  • 3 Mins Read

कब तक
कब तक बाँधोगे बाँध,
मन की नदिया के धारों पर.
टूट जायेंगी सभी दीवारें,
नदिया को तो बहना है.

कब तक रोकोगे तुम,
रोशनी को चिनी दीवारों से.
मन के रोशनदान खुलेंगे,
उजालों को तो झरना है.

कब तक दोगे पहरे
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आखिर कब तक,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

बहुत सुन्दर रचना

कवितालयबद्ध कविता

# तेरे मेरे सपने (प्रतियोगिता)

  • Edited 2 years ago
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  • 352
  • 6 Mins Read

तेरे मेरे सपने
काश वो दिन फिर लौट आये,
हम-तुम मिलकर सपनों के।
फिर से सुंदर महल बनाये,
हम तुम मिलकर इसे सजाये।

कबूतरों की तरह गुटरगूं करें हम,
मैं तुम और तुम मैं हो जाएं।
तेरे मेरे सारे सपने सच हो
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# तेरे मेरे सपने (प्रतियोगिता) ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना

कवितालयबद्ध कविता

#तेरे मेरे सपने(प्रतियोगिता हेतु)

  • Edited 2 years ago
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  • 114
  • 6 Mins Read

तेरे मेरे सपने
काश वो दिन फिर लौट आये,
हम-तुम मिलकर सपनों के।
फिर से सुंदर महल बनाये,
हम तुम मिलकर इसे सजाये।

कबूतरों की तरह गुटरगूं करें हम,
मैं तुम और तुम मैं हो जाएं।
तेरे मेरे सारे सपने सच हो
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#तेरे मेरे सपने(प्रतियोगिता हेतु) ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

फुर्सत तो मिली

  • Edited 2 years ago
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  • 166
  • 5 Mins Read

फुर्सत तो मिली

कोरोना के डर से ही चलो,
जिंदगी में हमें फुर्सत तो मिली।
सबके संग वक्त गुजारने की,
चलो कुछ मोहलत तो मिली ।

सड़को को कुछ राहत मिली,
घर की कुछ रौनकें तो बढ़ी।
बहुत समय बाद घर साथ बैठा,
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फुर्सत तो मिली,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

यादों के धागे में

  • Edited 2 years ago
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  • 409
  • 3 Mins Read

यादों के धागे
सपनो के फूल चुनकर मैंने ,
यादों के धागे में है पिरोये।
जतन से फिर गजरा बनाया,
उसे बालों में अपने सजाया .

वक्त को है गीठा से बाँधा ,
लम्हों को फूलों में बाँधा ।
तितली से कुछ रंग चुराये,
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यादों के धागे में,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

यादों के धागे में

  • Edited 2 years ago
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  • 163
  • 3 Mins Read

यादों के धागे
सपनो के फूल चुनकर मैंने ,
यादों के धागे में है पिरोये।
जतन से फिर गजरा बनाया,
उसे बालों में अपने सजाया .

वक्त को है गीठा से बाँधा ,
लम्हों को फूलों में बाँधा ।
तितली से कुछ रंग चुराये,
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यादों के धागे में,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

# बहुत घुटन है

  • Edited 2 years ago
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  • 223
  • 3 Mins Read

बहुत घुटन है

बहुत घुटन है जीवन में,
मन के सब कपाट खोल दो.
आने दो स्वच्छ हवाओं को,
मन के सब गवाक्ष खोल दो.

मन के अंधियारे को मेरे,
मन की कोठरी से बहने दो.
आशा की ज्योती को फिर ,
आँखों में मेरी बसने दो.

भीगने
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# बहुत घुटन है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

बहुत अच्छी रचना

कवितालयबद्ध कविता

हे कृष्ण! कितना आसान है

  • Edited 2 years ago
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  • 322
  • 12 Mins Read

हे कृष्ण ! कितना आसान है

हे कृष्ण!कितना,आसान है तेरा कहना,
कि सब कुछ , मुझ पे छोड़ दो।
जो हो रहा है , इस जगत में उसका,
संताप करना , तुम छोड़ दो।

पर कितना कठिन है, उनको भूलना,
हमारे प्रिय जिन्होंने, साथ
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हे कृष्ण! कितना आसान है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

फिर मन करता है

  • Edited 2 years ago
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  • 140
  • 5 Mins Read

फिर मन करता है

इस शहर की तंग गलियों से,
मुझे बहुत डर लगता है।
यहाँ की हवाओं में जहर ,
कोरोना का हरदम उड़ता है।

इन तन्हाइयों, सन्नाटो में ,
मेरा मन बहुत ही घुटता है।
गुमनाम सी हो गयी जिंदगी,
मुझे इससे
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फिर मन करता है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

बहुत अच्छी रचना

कविताअतुकांत कविता

पहली बारिश की बूंदों सी

  • Edited 2 years ago
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  • 461
  • 4 Mins Read

पहली बारिश की बूंदों सी

पहली बारिश की बूंदों जैसी,
संगीत सी बजती वो लड़की।
मन की धरती पर सौंधी खुशबू सी,
महकती जाती वो लड़की।

रुनझुन करती पायल बजाती,
नाचती गाती वो लड़की।
बारिश में भीगती गाती,
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पहली बारिश की बूंदों सी,<span>अतुकांत कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

सुन्दर रचना..!

कवितालयबद्ध कविता

कभी नही मरूँगी मैं

  • Edited 3 years ago
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  • 239
  • 5 Mins Read

कभी भी नही मरूंगी मैं

कभी भी नही मरुँगी मैं ,
सूरज की किरणों में मिल जाऊँगी।
समुद्र की भाप में उठकर,
आसमान के गले लग जाऊँगी।

रिमझिम बारिश की बूंदों में बरसकर,
मैं रोज पृथ्वी में मिलने आऊँगी।
हरा
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कभी नही मरूँगी मैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण

कवितालयबद्ध कविता

कभी नही मरुँगी। मैं

  • Edited 3 years ago
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  • 102
  • 5 Mins Read

कभी भी नही मरूंगी मैं

कभी भी नही मरुँगी मैं ,
सूरज की किरणों में मिल जाऊँगी।
समुद्र की भाप में उठकर,
आसमान के गले लग जाऊँगी।

रिमझिम बारिश की बूंदों में बरसकर,
मैं रोज पृथ्वी में मिलने आऊँगी।
हरा
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कभी नही मरुँगी। मैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

लो आ गया बसंत

  • Edited 3 years ago
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  • 251
  • 6 Mins Read

लो आ गया बसंत

लो आ गया बसंत,
धूप भी आज मुसकायी है.
कोहरे से लिपटी धरती ने,
ठंड से मुक्ति पायी है.

बसंत का वंदन करने,
दसो दिशाएँ आयी है.
बसंत का अभिनंदन करने,
उल्लास का चंदन लायी है.

पीली चुनर ओढ़ सरसों
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लो आ गया बसंत,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

वाह,अनुपम स्वागत बसंत आगमन का!!

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

कवितालयबद्ध कविता

#चित्र प्रतियोगिता (बचपन के वो दिन)

  • Edited 3 years ago
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  • 403
  • 10 Mins Read

#चित्र प्रतियोगिता
बचपन के वो दिन
बचपन के वो दिन कितने अच्छे थे,
बेफ्रिकी के वो दिन कितने अच्छे थे ।
ना था कोई डर ,ना खतरे थे,
कितने खुश थे, जब हम बच्चे थे ।

इतने भारी भी कब, हमारे बस्ते थे,
लड्डू भी
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#चित्र प्रतियोगिता (बचपन के वो दिन) ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बधाई हो

कवितालयबद्ध कविता

#चित्र प्रतियोगिता

  • Edited 3 years ago
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  • 243
  • 4 Mins Read

#चित्र प्रतियोगिता

मुहब्बत की पाक सुराही में

मौहब्बत की पाक सुराही में, रूहों के शर्बत मिलाये.
दिल के प्याले में भरकर, आओ इक जाम बनाये.

उम्र से कुछ कतरे मांगे, कुछ वक़्त की चासनी मिलाए.
कुछ गमों
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#चित्र प्रतियोगिता,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Dipti Sharma

Dipti Sharma 3 years ago

बहुत खूब

राजेश्वरी जोशी3 years ago

धन्यवाद आदरणीय

Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत ही सराहनीय अभिव्यक्ति है!

राजेश्वरी जोशी3 years ago

धन्यवाद आदरणीया

कहानीलघुकथा

प्यार की भाषा

  • Edited 3 years ago
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  • 490
  • 13 Mins Read

लघु कथा
प्यार की भाषा
रेखा अपने स्कूल में बाहर बरामदे में बैठकर अपना रजिस्टर भर रही थी। उसका स्कूल बस्ती के बाहर खेतों से घिरा था। इसलिए वृक्ष व पेड़_पौधों के कारण चारों ओर हरियाली थी। रेखा
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प्यार की भाषा,<span>लघुकथा</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

अच्छी रचना किंतु इसे लघु कथा कहना ज्यादा उचित होगा

राजेश्वरी जोशी3 years ago

धन्यवाद आदरणीय🙏🙏

कवितालयबद्ध कविता

# शहीदों की याद में एक दिया जलाये

  • Edited 3 years ago
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  • 280
  • 7 Mins Read

# प्रतियोगिता
एक दिया शहीदों के नाम

शहीदों की याद में आओ ,
हम सब एक दिया जलाएं ।
उनकी यादों को चिंगारी बनाये,
देशभक्ति की हम मशाल जलाये।
आओ गणतंत्र दिवस मनाये।

कुछ पुष्प हम उनपर चढ़ाये,
उन्हें आगे
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# शहीदों की याद में एक दिया जलाये,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Vinay Kumar Gautam

Vinay Kumar Gautam 3 years ago

बहुत खूब

कवितालयबद्ध कविता

# इकरार

  • Edited 3 years ago
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  • 354
  • 6 Mins Read

चित्र प्रतियोगिता
# इकरार
आँखों आँखों में इकरार करें हम,
कुछ आपस में प्यार करें हम।
भूल जाये हम मन का गुस्सा,
दिल से दिल की बात करें कुछ।

आओ सपनों का महल बनाये,
हम तुम मिलकर इसे सजाये।
कबूतरों
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# इकरार,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Vinay Kumar Gautam

Vinay Kumar Gautam 3 years ago

खूबसूरत सृजन

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर

राजेश्वरी जोशी3 years ago

धन्यवाद आदरणीया 🙏🙏

कवितालयबद्ध कविता

एकाकी युवा

  • Edited 3 years ago
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  • 268
  • 7 Mins Read

एकाकीपन युवा
था मैं एकाकी बहुत,
रोज अपने से लड़ता था।
अपने मन में ही अकेला,
एकाकी सपने बुनता था।

खुद में ही खोया रहता,
जीवन से में डरता था।
अकेला ही रहता हरदम,
मन ही मन घुटता था।

एक दिन दीपक को,
मैं
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एकाकी युवा,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

खूबसूरत

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर

राजेश्वरी जोशी3 years ago

धन्यवाद आदरणीया 🙏🙏

कवितालयबद्ध कविता

#शहर

  • Edited 3 years ago
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  • 248
  • 5 Mins Read

# शहर

कितना अजनबी सा ,हो गया है ये शहर.
जैसे किसी को जानता, ही नही है शहर.
मिलने को तो, मिलते है रोज सबसे.
किसी को लेकिन, पहचानता नही है शहर.

यूँ तो रात - दिन, चलता रहता है शहर.
रोशनी, हंगामों से, मचलता रहता
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#शहर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत सुन्दर

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

वाह वाह !!! आपका शहर

कवितालयबद्ध कविता

#अलविदा 2020

  • Edited 3 years ago
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  • 158
  • 6 Mins Read

# प्रतियोगिता
# अलविदा 2020
अलविदा 2020
अलविदा साल 2020 को करते हैं,
ऐसा साल फिर ना लौट कर आये,
2021 में हम सब करोना से मुक्त,
होकर पहले सा हँसे और मुस्कुराये।

2021 में फिर से हम सब सपनों के,
मिलकर सुखद,सुंदर महल
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#अलविदा 2020,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

पूछता बचपन

  • Edited 3 years ago
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  • 166
  • 4 Mins Read

ये कैसा विकास है
बचपन पूछता हमसे,
ये कैसा विकास है।
21वी सदी में भी मेरा,
ऐसा क्यों हाल है।

बचपन पूछता सवाल है_

फटे कपड़ो में लिपटा बचपन,
भूखा प्यासा सो रहा ।
धरती बनी बिछौना इसका,
आसमान ओढ़े पड़ा
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पूछता बचपन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

दुखद है, सभ्य समाज में बच्चों पर अधिक ध्यान दिया जाता है।

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

देश में बच्चों की वर्तमान दशा का वास्तविक चित्रण.

राजेश्वरी जोशी3 years ago

धन्यवाद 🤝🙏🙏

कवितालयबद्ध कविता

ये आग

  • Edited 3 years ago
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  • 219
  • 6 Mins Read

आग

ये आग जो मुझ ,में बह रही है,
ये आग जो तुझ ,में बह रही है।
मेरे शब्दों की आग, तेरे ये सुरीले राग,
मेरे ख्वाबों की बात, तेरे मन के जज्बात।

मेरे मन की आवाज,
तेरे मन के साज।
ये आग जो भर दी है मैंने ,
वक्त
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ये आग,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बढ़िया

राजेश्वरी जोशी3 years ago

🙏🙏धन्यवाद आदरणीया

राजेश्वरी जोशी

राजेश्वरी जोशी 3 years ago

मेरी रचना "ये आग"

कवितालयबद्ध कविता

माँ आओ

  • Edited 3 years ago
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  • 122
  • 7 Mins Read

माँ आओ
द्रौपदी आज फिर, दु:शासनों से घिरी खड़ी है,
भरी सभा में आज फिर ,जार- जार रो रही है।
मेरी क्या है गलती, वो गांधारी से पूछ रही है,
हाथ जोड़कर गांधारी से , निवेदन कर रही है।

माँ तुम जरा कौरवों की , सभा
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माँ आओ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

नदी की अभिलाषा

  • Edited 3 years ago
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  • 462
  • 5 Mins Read

नदी की अभिलाषा
हे मानव! मैं स्वच्छ,नदी ही रहकर,
इस धरा पर बहना चाहती हूँ।
शिशु की निर्दोष हँसी सी मैं भी,
हरदम निर्मल रहना चाहती हूँ।

सूखे निराश खड़े पेड़ों को मैं ,
फिर से हरियाना चाहती हूँ।
थके
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नदी की अभिलाषा,<span>लयबद्ध कविता</span>
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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बढ़िया

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

राजेश्वरी जोशी3 years ago

??धन्यवाद आदरणीय

कवितालयबद्ध कविता

किसान

  • Edited 3 years ago
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  • 101
  • 5 Mins Read

किसान

कठिन परिश्रम से भी जो,
कभी नही धबराया था.
खेत का सीना चीरकर उसने,
बंजर में अन्न उगाया था.

तूफानों में भी उसने,
कभी नही विश्राम किया.
बड़े सवेरे जगकर उसने,
सारा दिन है काम किया.

सारा दिन धूप में
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किसान,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

शब्द

  • Edited 3 years ago
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  • 146
  • 6 Mins Read

# चित्रकविता
शब्द

शब्द नही चाहते सिर्फ,
पुस्तकों में बॅधकर रहना.
चाहते है पंछियों की तरह,
दूर- दूर तक उड़ना.

शब्द बनना चाहते है,
उन लोगों के मधुर गान.
जो तपती धूप में बोते है,
खेतों में धान.

शब्द बनना
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शब्द,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

शब्द

  • Edited 3 years ago
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  • 135
  • 6 Mins Read

शब्द
शब्द नही चाहते सिर्फ,
पुस्तकों में बॅधकर रहना.
चाहते है पंछियों की तरह,
दूर- दूर तक उड़ना.

शब्द बनना चाहते है,
उन लोगों के मधुर गान.
जो तपती धूप में बोते है,
खेतों में धान.

शब्द बनना चाहते है,
उन
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शब्द,<span>लयबद्ध कविता</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

#में चित्रकविता लिखना भूल गए हो आप निर्णायक मंडल के सर्च में नही आ पाएगी रचना।

कवितालयबद्ध कविता

मन रे क्यों

  • Edited 3 years ago
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  • 207
  • 4 Mins Read

मन रे क्यों
मन रे क्यों पीड़ा पहुँचाते,मन रे क्यों,
अकेलेपन का अहसास मुझे कराते।
जीवन के अंधेरों से क्यों मुझे डराते,
मन रे क्यों पीड़ा पहुँचाते, मन रे क्यों।

सुख- दुःख तो आना-जाना है,
जीवन कुछ खोना
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मन रे क्यों,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

खूब

कवितालयबद्ध कविता

मेरी अभिलाषा

  • Edited 3 years ago
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  • 214
  • 3 Mins Read

मेरी अभिलाषा
ना चाहती हूँ ,बनना हिंदू ,
ना बनना, मुसलमान.
ना बनना, सिक्ख ही,
ना बनना, क्रिस्तान.

मेरी अभिलाषा है मैं बनूँ,
ऐसा इक इंसान.
दिल में धड़कता हो जिसके,
बस हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान.

दिल में
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मेरी अभिलाषा,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

वाह ज्

कहानीसंस्मरण

भुलक्कड़

  • Edited 3 years ago
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  • 312
  • 4 Mins Read

संस्मरण
भुलक्कड़
#कहानी/किस्से
उम्र कुछ ढल सी रही है लेकिन अध्यापिका होने के कारण अक्सर पेन, चश्मा खो जाता है। फिर उसको ढूँढने में बहुत समय बर्बाद हो जाता है। वैसे तो मैंने हर चीज की एक जगह निश्चित
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भुलक्कड़,<span>संस्मरण</span>
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कवितालयबद्ध कविता

दिल दर्द से भर जाता है

  • Edited 3 years ago
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  • 303
  • 4 Mins Read

दिल जब
दिल जब दर्द से बहुत, भर जाता है,
गम का प्याला जब, छलक जाता है।
होंठ मौन रहते है, शब्द खो जाता है,
आँखों से दो बूंद नीर छलक जाता है।

मन की कितनी व्यथाएँ, पीड़ाएं सब,
मन को उम्र भर बहुत तड़फाती है।
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दिल दर्द से भर जाता है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

दोहरी जिंदगी जीने की मजबूरी और व्यथा को बखूबी उजागर किया है।

कवितालयबद्ध कविता

मन रे क्यों

  • Edited 3 years ago
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  • 294
  • 4 Mins Read

मन रे क्यों
मन रे क्यों पीड़ा पहुँचाते,मन रे क्यों,
अकेलेपन का अहसास मुझे कराते।
जीवन के अंधेरों से क्यों मुझे डराते,
मन रे क्यों पीड़ा पहुँचाते, मन रे क्यों।

सुख- दुःख तो आना-जाना है,
जीवन कुछ खोना
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मन रे क्यों,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

जब राम नही बन सकते

  • Edited 3 years ago
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  • 532
  • 5 Mins Read

जब राम नही बन सकते

जब राम नही बन सकते हो तुम,
तो फिर सीता को क्यों चाहते हो।
क्यों हर बात पर तुम उसपर,
यूँ ही हरदम कलंक लगाते हो।

क्यों लेते हो हर युग में अग्निपरीक्षा,
क्यों धोबी की बातों में आते
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जब राम नही बन सकते,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

कसौटी पर स्त्री को ही खरा उतरना होता है।यह परीक्षा अनवरत चलती रहती है।

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

कवितालयबद्ध कविता

सुन लो ना

  • Edited 3 years ago
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  • 397
  • 3 Mins Read

सुन लो मेरी मन की बातों को

सुन लो मेरी मन की बातों को,
जो मैं तुम्हें सुनाना चाहती हूँ ।
पढ़ लो मेरी आँखों की भाषा को,
जो तुमसे कुछ कहना चाहती हैं।

समझ लो तुम मेरे मौन की भाषा ,
जो तुमको कुछ बताना
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सुन लो ना,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

मौन की भाषा कौन पढ़े ? आशा रहनी ही चाहिए,कोई तो ऐसा होगा जो आंखों की भाषा पढ़ सके। बहुत सुंदर सृजन।

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

प्यारी रचना

कवितालयबद्ध कविता

गीत है संगीत है

  • Edited 3 years ago
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  • 122
  • 4 Mins Read

गीत है संगीत है

ढोल की थाप पर, नाच रहा है मन,
कोयल की कूक सा,गा उठा है मन.
आनंद मग्न हुआ, नाच रहा है मन,
ढोल की थाप पर नाच रहा मन।

गीत है संगीत है, रीत है, प्रीत है,
गौरियों के मन बसा, सपनों का मीत है.
सपनों
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गीत है संगीत है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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राजेश्वरी जोशी

राजेश्वरी जोशी 3 years ago

आदरणीय इसे प्रतियोगिता में शामिल करने का कष्ट करे।

नेहा शर्मा3 years ago

आदरणीया अभी तो कोई प्रतियोगिता नही चल रही है ?

कवितालयबद्ध कविता

ढोल की थाप पर

  • Edited 3 years ago
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  • 462
  • 4 Mins Read

गीत है संगीत है

ढोल की थाप पर, नाच रहा है मन,
कोयल की कूक सा,गा उठा है मन.
आनंद मग्न हुआ, नाच रहा है मन,
ढोल की थाप पर नाच रहा मन।

गीत है संगीत है, रीत है, प्रीत है,
गौरियों के मन बसा, सपनों का मीत है.
सपनों
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ढोल की थाप पर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत सुंदर आदरणीय

राजेश्वरी जोशी3 years ago

धन्यवाद आदरणीय

कवितालयबद्ध कविता

माँ- बेटी

  • Edited 3 years ago
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  • 222
  • 2 Mins Read

माँ
माँ की रूह बेटी में,
यूँ घुली रहती है।
जैसे फूलों में बसी,
महक होती है।

माँ बेटी का ये रिश्ता ,
दुनिया से जुदा होता है।
लब चुप रहते हैं दोनों के,
आँखों से नेह बरसता है।

मन से मन का रिश्ता,
माँ
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माँ- बेटी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

कविताअतुकांत कविता

तुमने मुझे

  • Edited 3 years ago
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  • 320
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तुमने मुझे
जब मैं पैदा हुई थी,
तो सिर्फ इंसान थी।
दुनिया ने मुझे फिर,
कई टुकड़ों में, कई,
हिस्सों में बाँट दिया।

किसी ने कहा हिंदू,
किसी ने मुसलमान ,
किसी ने कहा सिक्ख,
किसी ने ईसाई मुझको,
तुमने मुझे
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तुमने मुझे,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

स्त्री

  • Edited 3 years ago
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स्त्री
स्त्री मात्र एक तन नही,
एक मन भी है।
जिसकी आँखों में,
सीपी से समाये,
मोती से सपने है।
जिसके मन में हसरतों का,
समंदर मचलता है।
जिसमें मछलियों की,
तरह रंग- बिरंगा सा,
सपना तैरता है।
जिसके आँचल
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       स्त्री  ,<span>अतुकांत कविता</span>
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Neelima Tigga

Neelima Tigga 3 years ago

सुंदर रचना

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत सुंदर परिचय

राजेश्वरी जोशी3 years ago

धन्यवाद

कवितालयबद्ध कविता

जीना पड़ता है

  • Edited 3 years ago
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जीना पड़ता है

जीवन कितना कठिन हो,
फिर भी जीना पढ़ता है।
जीवन में मिले गरल तो,
खुद ही पीना पड़ता है।

पथ के काँटों को चुनकर,
खुद आगे बढ़ना पढ़ता है।
चाहे चुभन हो पैरों में,
फिर भी हँसना पढ़ता है।
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जीना पड़ता है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

जिंदगी मुट्ठी में बंद रेत सी

  • Edited 3 years ago
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जिंदगी मुट्ठी में बंद रेत सी

जिंदगी मुट्ठी में बंद रेत सी रिसती जाती है,
जिंदगी पत्तों में पड़ी ओस सी झड़ती जाती है.
जिंदगी सुख दु:ख के धागों में उलझाती है,
नीम सी कड़वाती, कभी काॅफी सी महकाती है
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जिंदगी मुट्ठी में बंद रेत सी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर