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गीत है संगीत है - राजेश्वरी जोशी (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

गीत है संगीत है

  • 123
  • 4 Min Read

गीत है संगीत है

ढोल की थाप पर, नाच रहा है मन,
कोयल की कूक सा,गा उठा है मन.
आनंद मग्न हुआ, नाच रहा है मन,
ढोल की थाप पर नाच रहा मन।

गीत है संगीत है, रीत है, प्रीत है,
गौरियों के मन बसा, सपनों का मीत है.
सपनों के देश में, जा रहा है मन.
ढोल की थाप पर, नाच रहा मन.

बालों में फूल है, आँखें कजरिया,
अंग -अंग नाच रहा, जैसे बिजुरिया.
पैरों की ताल पर, नाच रहा है मन,
ढोल की थाप पर ,नाच रहा मन

वाद है विवाद है, हर्ष है विषाद है,
प्राणों में है भरा, कैसा निनाद है.
नृत्य में पीड़ाओं को, बहा रहा मन.
ढोल की थाप पर, नाच रहा मन.

सुर है ताल है, घुँघरुओं की झनकार है,
महुआ की गंध लिए, स्वप्निल संसार है.
ताड़ी सा फेनिल, हुआ जा रहा मन,
ढोल की थाप पर ,नाच रहा मन.

राजेश्वरी जोशी
उत्तराखंड

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राजेश्वरी जोशी

राजेश्वरी जोशी 3 years ago

आदरणीय इसे प्रतियोगिता में शामिल करने का कष्ट करे।

नेहा शर्मा3 years ago

आदरणीया अभी तो कोई प्रतियोगिता नही चल रही है ?

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