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Start Date 01-Feb-21
End Date 05-Feb-21
Writer | Rank | Certificate |
---|---|---|
शिवम राव मणि | Certificate | |
राजेश्वरी जोशी | Certificate | |
Gita Parihar | Certificate |
Competition Information/Details
सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार..!
हर चित्र हमारे मन मे छिपे भाव को दर्शाता है। चित्रआधारित प्रतियोगिता में आज का चित्र आपके किस मनोभाव को स्पष्ट कर रहा है कीजिये अपने शब्दों में व्यक्त। तो लिख भेजिये इस चित्र के भाव अपनी कलम से। लेखन सम्बंधित विस्तृत जानकारी इस प्रकार है..
दिनाँक - 1फरवरी से 5 फरवरी 2021
विषय - चित्र-आधारित
विधा - मुक्त (किसी भी विधा मे)
लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-
1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।
2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।
3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।
4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।
5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।
आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....
भूमिका संयोजन
पूनम बागड़िया
धन्यवाद
साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।
कहानीलघुकथा
दादी तिलमिलाते हुए अपने घर के बरामदे में आई और कोने में पड़ा एक लाठी उठाकर, बाहर लगे पेड़ पर चढ़े बच्चों पर चिल्ला उठी
' अरे ओ नालायकों अभी के अभी मेरे पैड़ पर से नीचे उतरो नहीं तो किसी की खैर नहीं
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कविताअतुकांत कविता
#बचपन के पल....
वह बापू के झूले....
जिनके आगे फिंके है सब झूले।
वह माँ का हाथों से खिलाना
कहाँ पाते हैं अब....
वो पहली बार साइकिल
सीखते हुए गिरना और
भाई का सँभाल लेना....
कहाँ पाते हैं प्यार!
उनका उम्र
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कविताबाल कविता, लयबद्ध कविता, अन्य
भर दोपहरी नंगे पाँव
तितलियों के पीछे भागना..
झरबेरी के खट्टे मीठे बेर
चुन चुन कर लाना..
गांव की पगडंडियों पर
दौड़ लगा जाना..
साँझ होते ही मंदिर में
आरती को जाना..
रातें छतों पर तारे
गिन गिन कर बिताना..
लूडो
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कविताअतुकांत कविता
बचपन की एक बात
बचपन की एक बात बहुत अच्छी लगी मुझको...बचपन की वो बात कि बचपन में सब अच्छा था,
कहाँ थे तुम जो आज तुम हो कहाँ था मैं जो आज मैं हूँ, तब तुम भी बच्चे थे और मैं भी बच्चा था और मौहल्ले में जो हमारे
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कविताअतुकांत कविता
# चित्राक्षरी प्रतियोगिता
30,1,21
* मुझे कुछ कहना है*
जनम जनम का सदा ही साथ है हमारा तुम्हारा
प्रियतम तुम मेरे, कुछ बोलते क्यूँ नहीं ?
कल तुम्हें जाना है प्रिये सरहद के उस पार
ये आठों प्रहर लिखे दिए हैं
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कविताबाल कविता, अन्य
भर दोपहरी नंगे पाँव
तितलियों के पीछे भागना..
झरबेरी के खट्टे मीठे
बेर चुन चुन कर लाना..
गांव की पगडंडियों पर
दौड़ लगा जाना..
साँझ होते ही मंदिर में
आरती को जाना..
रातें छतों पर तारे
गिन गिन कर बिताना..
लूडो
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बहुत खूब
अनंत धन्यवाद neha ji
अनंत धन्यवाद neha ji
कवितालयबद्ध कविता
#चित्र प्रतियोगिता
बचपन के वो दिन
बचपन के वो दिन कितने अच्छे थे,
बेफ्रिकी के वो दिन कितने अच्छे थे ।
ना था कोई डर ,ना खतरे थे,
कितने खुश थे, जब हम बच्चे थे ।
इतने भारी भी कब, हमारे बस्ते थे,
लड्डू भी
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