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Sahitya Arpan Competition - चित्राक्षरी आयोजन फरवरी 2021
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चित्राक्षरी आयोजन फरवरी 2021

Competition Stats

  • #Entries 9

  • #Likes 4

  • Start Date 01-Feb-21

  • End Date 05-Feb-21

  • Competition Information/Details

    सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार..!

    हर चित्र हमारे मन मे छिपे भाव को दर्शाता है। चित्रआधारित प्रतियोगिता में आज का चित्र आपके किस मनोभाव को स्पष्ट कर रहा है कीजिये अपने शब्दों में व्यक्त। तो लिख भेजिये इस चित्र के भाव अपनी कलम से। लेखन सम्बंधित विस्तृत जानकारी इस प्रकार है..

    दिनाँक - 1फरवरी से 5 फरवरी 2021
    विषय - चित्र-आधारित
    विधा - मुक्त (किसी भी विधा मे)

    लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-

    1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।

    2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।

    3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।

    4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।

    5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।

    आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
    सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....


    भूमिका संयोजन
    पूनम बागड़िया

    धन्यवाद
    साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।

    कहानीसामाजिक

    वह वृक्ष

    • Edited 3 years ago
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    साहित्य अर्पण,एक पहल
    चित्राक्षरी आयोजन फरवरी
    वह वृक्ष
    गाँव से सटकर बहती थी‌ नदी और फिर थी खुली जमीन और उस जमीन पर था एक विशाल इमली का वृक्ष। वह वृक्ष भी बहुत ही विशाल था। मेरे सारे दोस्तों को अपने
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    कहानीलघुकथा

    हरे हरे नोट

    • Edited 3 years ago
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    दादी तिलमिलाते हुए अपने घर के बरामदे में आई और कोने में पड़ा एक लाठी उठाकर, बाहर लगे पेड़ पर चढ़े बच्चों पर चिल्ला उठी

    ' अरे ओ नालायकों अभी के अभी मेरे पैड़ पर से नीचे उतरो नहीं तो किसी की खैर नहीं
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    वाह, बहुत अच्छी रचना

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया मेम

    कविताअतुकांत कविता

    #बचपन के पल...

    • Edited 3 years ago
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    #बचपन के पल....

    वह बापू के झूले....
    जिनके आगे फिंके है सब झूले।

    वह माँ का हाथों से खिलाना
    कहाँ पाते हैं अब....

    वो पहली बार साइकिल
    सीखते हुए गिरना और
    भाई का सँभाल लेना....
    कहाँ पाते हैं प्यार!
    उनका उम्र
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    कविताबाल कविता, लयबद्ध कविता, अन्य

    बचपन -एक जमाना

    • Edited 3 years ago
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    भर दोपहरी नंगे पाँव
    तितलियों के पीछे भागना..
    झरबेरी के खट्टे मीठे बेर
    चुन चुन कर लाना..
    गांव की पगडंडियों पर
    दौड़ लगा जाना..
    साँझ होते ही मंदिर में
    आरती को जाना..
    रातें छतों पर तारे
    गिन गिन कर बिताना..
    लूडो
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    Screenshot_20210202_180722_1612421071.jpg
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    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    सुंदर रचना

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    कविताअतुकांत कविता

    बचपन की एक बात

    • Edited 3 years ago
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    बचपन की एक बात
    बचपन की एक बात बहुत अच्छी लगी मुझको...बचपन की वो बात कि बचपन में सब अच्छा था,

    कहाँ थे तुम जो आज तुम हो कहाँ था मैं जो आज मैं हूँ, तब तुम भी बच्चे थे और मैं भी बच्चा था और मौहल्ले में जो हमारे
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बढ़िया

    Naresh Gurjar3 years ago

    बहुत धन्यवाद मैम

    कविताअतुकांत कविता

    मुझे कुछ कहना है

    • Edited 3 years ago
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    # चित्राक्षरी प्रतियोगिता
    30,1,21
    * मुझे कुछ कहना है*

    जनम जनम का सदा ही साथ है हमारा तुम्हारा
    प्रियतम तुम मेरे, कुछ बोलते क्यूँ नहीं ?
    कल तुम्हें जाना है प्रिये सरहद के उस पार
    ये आठों प्रहर लिखे दिए हैं
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    Mamta Gupta

    Mamta Gupta 3 years ago

    बहुत खूब👌👌👌

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बढ़िया 👌🏻

    कविताबाल कविता, अन्य

    बचपन -एक जमाना

    • Edited 3 years ago
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    भर दोपहरी नंगे पाँव
    तितलियों के पीछे भागना..
    झरबेरी के खट्टे मीठे
    बेर चुन चुन कर लाना..
    गांव की पगडंडियों पर
    दौड़ लगा जाना..
    साँझ होते ही मंदिर में
    आरती को जाना..
    रातें छतों पर तारे
    गिन गिन कर बिताना..
    लूडो
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    Priyanka Gahalaut3 years ago

    अनंत धन्यवाद neha ji

    Priyanka Gahalaut3 years ago

    अनंत धन्यवाद neha ji

    कहानीलघुकथा

    किलकारी

    • Edited 3 years ago
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    #चित्राक्षरी प्रतियोगिता फरवरी 2021
    *किलकारियां*

    झुग्गी झोपड़ी जिनका आशियाना है, उनका भी मन हुलसता है खेलने कूदने के लिए। बालमन नई नई तिकड़मों का जुगाड़ करने में सबसे आगे रहता है। चम्पू, गुड्डू, झुमकी
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत अच्छी रचना

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत अच्छी रचना

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    अच्छी लघुकथा

    कवितालयबद्ध कविता

    #चित्र प्रतियोगिता (बचपन के वो दिन)

    • Edited 3 years ago
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    #चित्र प्रतियोगिता
    बचपन के वो दिन
    बचपन के वो दिन कितने अच्छे थे,
    बेफ्रिकी के वो दिन कितने अच्छे थे ।
    ना था कोई डर ,ना खतरे थे,
    कितने खुश थे, जब हम बच्चे थे ।

    इतने भारी भी कब, हमारे बस्ते थे,
    लड्डू भी
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बधाई हो