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Sahitya Arpan - Anmol Bohra
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Anmol Bohra

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  • London

    London is the capital city of England.

    कविताअन्य

    ए-माँ तुम खुदा की भी खुदा लगी हमको

    • Edited 3 years ago
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    • 375
    • 5 Mins Read

    चित्रआधारित प्रतियोगिता हेतु
    विधा - मुक्त

    ए-माँ तुम खुदा की भी खुदा लगी हमको
    ___________________________

    बिन तेरे माँ ये ज़िंदगी सजा लगी हमको
    मजे में भी ज़िंदगानी बे-मजा लगी हमको

    निभाए सबने यहाँ स्वार्थ की ख़ातिर
    Read More

    ए-माँ तुम खुदा की भी खुदा लगी हमको ,<span>अन्य</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बेहतरीन रचना

    कवितागजल

    जब भी छुओगे मिलेगी नमी मुझमे

    • Edited 4 years ago
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    • 262
    • 6 Mins Read

    जब भी छुओगे मिलेगी नमी मुझमे
    ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

    बना लिया है घर तूने दाइमी मुझमे
    फिर भी कहती हो के है कमी मुझमे

    फ़सल आँसुओं की रोज काटता हूँ मैं
    बो गया है ये कैसी तू क़लमी मुझमे

    तूफानों में उजड़ा
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    जब भी छुओगे मिलेगी नमी मुझमे,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    नये दौर के बच्चों में नादानियाँ कहाँ रही

    • Edited 4 years ago
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    • 221
    • 6 Mins Read

    नये दौर के बच्चों में नादानियाँ कहाँ रही
    ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

    दादी - नानी की वो कहानियाँ कहाँ रही
    बची बुजुर्गों की वो निशानियाँ कहाँ रही

    मोबाइलों में इस कद्र क़ैद हुआ बचपन
    कागज़ की अब वो कश्तियाँ
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    नये दौर के बच्चों में नादानियाँ कहाँ रही,<span>गजल</span>
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 4 years ago

    सत्य

    Anmol Bohra4 years ago

    आपकी बेलौस मोहब्बतों बेपनाह नवाज़िशों और नजरे इनायत का बेहद शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीया Anujeet Iqbal जी

    कवितागजल

    माँ से जब भी मिला हूँ खुदको बिसरा हूँ

    • Edited 4 years ago
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    • 136
    • 5 Mins Read

    माँ से जब भी मिला हूँ खुदको बिसरा हूँ
    ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

    तड़पे पानी को जो सदा मैं ऐसा सहरा हूँ
    बिन तुम्हारे मरहला -ए-दर्द से गुज़रा हूँ

    आँसुओं की शक्ल में लहू मैं बहा देता हूँ
    जिंदा हूँ पर मर
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    माँ से जब भी मिला हूँ खुदको बिसरा हूँ,<span>गजल</span>
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 4 years ago

    वाह

    Anmol Bohra4 years ago

    आपकी बेलौस मोहब्बतों बेपनाह नवाज़िशों और नजरे इनायत का बेहद शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीया Anujeet Iqbal जी

    कविताअन्य

    द महत्व एंड द वैल्यू ऑफ़ राष्ट्रभाषा हिंदी

    • Edited 4 years ago
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    • 254
    • 8 Mins Read

    द महत्व एंड द वैल्यू ऑफ़ राष्ट्रभाषा हिंदी
    ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍✍️✍️✍✍
    हिंदी दिवस पर हिंदी के एक नामचीन कवि
    जिनके काव्य - कौशल के आगे हार गया रवि
    हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सभा में
    आयोजकों
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    द महत्व एंड द वैल्यू ऑफ़ राष्ट्रभाषा हिंदी,<span>अन्य</span>
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    कवितागजल

    क्या ? वो भी हमारी तरह बिखर जाते होंगे

    • Edited 4 years ago
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    • 154
    • 5 Mins Read

    क्या ? वो भी हमारी तरह बिखर जाते होंगे
    ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
    क्या ? उनको भी कभी हम याद आते होंगे
    क्या ? वो भी हमारी तरह बिखर जाते होंगे

    कुबूल कर ली है जिनकी आस्ताँबोसी हमने
    इश्क़ को हमारे क्या
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    क्या ? वो भी हमारी तरह बिखर जाते होंगे,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    दिल कुतरने का हुनर न सीख पाया मैं

    • Edited 4 years ago
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    • 310
    • 5 Mins Read

    दिल कुतरने का हुनर न सीख पाया मैं
    ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
    सिवा उनके दिल कुछ सोचता नहीं था
    भीतर दरिया था मगर मैं रोता नहीं था

    मैं छिपा ना पाया कभी चेहरे को अपने
    पास मेरे आपकी तरह मुखौटा नहीं था
    Read More

    दिल कुतरने का हुनर न सीख पाया मैं,<span>गजल</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बेहतरीन सुपर आपकी गजलें बहुत वाकई बेहतरीन होती है।

    कवितागजल

    हिंदी की कविता उर्दू का तराना बन जाता हूँ

    • Edited 4 years ago
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    • 212
    • 6 Mins Read

    हिंदी की कविता उर्दू का तराना बन जाता हूँ
    ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
    कभी दीवाना कभी मस्ताना बन जाता हूँ
    संग सयानों के मैं भी सयाना बन जाता हूँ
    बेटियां यूँ ही सदा खिलखिलाती रहे मेरी
    इसीलिए मैं
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    हिंदी की कविता उर्दू का तराना बन जाता हूँ,<span>गजल</span>
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    लेखअन्य

    वासना-प्रधान बनते चले जा रहे हैं विवाह

    • Edited 4 years ago
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    • 197
    • 19 Mins Read

    वासना-प्रधान बनते चले जा रहे हैं विवाह

    विवाह करने से पहले विवाह का सही अर्थ समझने की आवश्यकता है !
    _______________________________________________

    आजकल विवाह वासना-प्रधान बनते चले जा रहे हैं। रंग, रूप ,धन,एवं वेष-विन्यास के आकर्षण
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    वासना-प्रधान बनते चले जा रहे हैं विवाह,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    ह्यूमन सायकोलोजी

    • Edited 4 years ago
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    • 249
    • 9 Mins Read

    ह्यूमन सायकोलोजी
    -------------------------

    अभिप्राय --- (Opinion)
    (मेरे अपने विचार )
    आप पैदल कहीं जा रहे हैं भीषण गर्मी है और आप पसीने से तरबतर हो और प्यास से गला सूख रहा है और पानी भी कहीं नहीं मिल रहा है ऐसेमे आपको एक वृक्ष
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    ह्यूमन सायकोलोजी,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    हाँ माँ तुम ही तो हो

    • Edited 4 years ago
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    • 131
    • 4 Mins Read

    हाँ माँ तुम ही तो हो
    _______________

    हाँ माँ तुम ही तो हो
    सृष्टि की सर्वोत्तम कृति

    सृष्टि का हो सहज श्रृंगार
    मेरी सांसों का हो आधार
    प्रेम का प्रथम अध्याय तुम
    हाँ माँ तुम ही तो हो
    सृष्टि की सर्वोत्तम कृति

    हो
    Read More

    हाँ माँ तुम ही तो हो,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    मगर मै न था

    • Edited 4 years ago
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    • 107
    • 3 Mins Read

    मगर मै न था
    __________

    घर था दीवारें थी
    मगर मै न था

    बीवी थी बच्चे थे
    मगर मै न था

    रुतबा था दौलत थी
    मगर मै न था

    जिनके लिए जिया मरा
    उनके दिलों में मै न था

    किये ख्वाब पुरे जिनके
    उनकी आँखों में मै न था

    ताउम्र जिया
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    मगर मै न था,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    मै वेदनाओं में ही जलता रहा

    • Edited 4 years ago
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    • 147
    • 5 Mins Read

    विधा :- कविता

    मै वेदनाओं में ही जलता रहा

    संतोष से मै सदा अलिप्त रहा
    असंतोष के भावों से ग्रस्त रहा
    स्वयं से ही मै सदा त्रस्त रहा
    जीवन में सदा ही अतृप्त रहा II

    कौन छलता जग में मुझको
    स्वयं को ही सदा छलता
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    मै वेदनाओं में ही जलता रहा,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    आँसू कलम ने भी बेइंतहा बहाए है

    • Edited 4 years ago
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    • 230
    • 3 Mins Read

    आँसू कलम ने भी बेइंतहा बहाए है
    ______________________

    हमने खुदपर ही यूँ सितम ढाए है
    ये ग़म तेरे इश्क़ में हमने पाए है

    हम तेरी रूह के क़रीब रहे है सदा
    ये जो फ़ासले है तुम्हीने बढ़ाए हैं

    महक उट्ठा है गुलशन यका- यक
    वफ़ा
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    आँसू कलम ने भी बेइंतहा बहाए है,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    मुंबई शहर अलबेला है

    • Edited 4 years ago
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    • 165
    • 6 Mins Read

    मुंबई शहर अलबेला है
    ________________

    जो भी देखो है बेचैन यहाँ
    होती न कभी भी रैन यहाँ
    बढ़ता है खतरा रेलों में
    हालत खस्ता सब रेलों में
    रास्तों में ठेलमठेला है
    मुंबई शहर अलबेला है
    सब जगह टपोरी भकंस है
    धंधे
    Read More

    मुंबई शहर अलबेला है ,<span>अन्य</span>
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