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London is the capital city of England.
कविताअन्य
चित्रआधारित प्रतियोगिता हेतु
विधा - मुक्त
ए-माँ तुम खुदा की भी खुदा लगी हमको
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बिन तेरे माँ ये ज़िंदगी सजा लगी हमको
मजे में भी ज़िंदगानी बे-मजा लगी हमको
निभाए सबने यहाँ स्वार्थ की ख़ातिर
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कवितागजल
जब भी छुओगे मिलेगी नमी मुझमे
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बना लिया है घर तूने दाइमी मुझमे
फिर भी कहती हो के है कमी मुझमे
फ़सल आँसुओं की रोज काटता हूँ मैं
बो गया है ये कैसी तू क़लमी मुझमे
तूफानों में उजड़ा
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कवितागजल
नये दौर के बच्चों में नादानियाँ कहाँ रही
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दादी - नानी की वो कहानियाँ कहाँ रही
बची बुजुर्गों की वो निशानियाँ कहाँ रही
मोबाइलों में इस कद्र क़ैद हुआ बचपन
कागज़ की अब वो कश्तियाँ
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सत्य
आपकी बेलौस मोहब्बतों बेपनाह नवाज़िशों और नजरे इनायत का बेहद शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीया Anujeet Iqbal जी
कवितागजल
माँ से जब भी मिला हूँ खुदको बिसरा हूँ
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तड़पे पानी को जो सदा मैं ऐसा सहरा हूँ
बिन तुम्हारे मरहला -ए-दर्द से गुज़रा हूँ
आँसुओं की शक्ल में लहू मैं बहा देता हूँ
जिंदा हूँ पर मर
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वाह
आपकी बेलौस मोहब्बतों बेपनाह नवाज़िशों और नजरे इनायत का बेहद शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीया Anujeet Iqbal जी
कविताअन्य
द महत्व एंड द वैल्यू ऑफ़ राष्ट्रभाषा हिंदी
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हिंदी दिवस पर हिंदी के एक नामचीन कवि
जिनके काव्य - कौशल के आगे हार गया रवि
हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सभा में
आयोजकों
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कवितागजल
क्या ? वो भी हमारी तरह बिखर जाते होंगे
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क्या ? उनको भी कभी हम याद आते होंगे
क्या ? वो भी हमारी तरह बिखर जाते होंगे
कुबूल कर ली है जिनकी आस्ताँबोसी हमने
इश्क़ को हमारे क्या
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कवितागजल
दिल कुतरने का हुनर न सीख पाया मैं
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सिवा उनके दिल कुछ सोचता नहीं था
भीतर दरिया था मगर मैं रोता नहीं था
मैं छिपा ना पाया कभी चेहरे को अपने
पास मेरे आपकी तरह मुखौटा नहीं था
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कवितागजल
बदलता आपकी तरह रहा मेरा किरदार नहीं
कवितागजल
हिंदी की कविता उर्दू का तराना बन जाता हूँ
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कभी दीवाना कभी मस्ताना बन जाता हूँ
संग सयानों के मैं भी सयाना बन जाता हूँ
बेटियां यूँ ही सदा खिलखिलाती रहे मेरी
इसीलिए मैं
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कविताअन्य
हाँ इश्क़ में तेरी मेरी एक ही राशि है
लेखअन्य
वासना-प्रधान बनते चले जा रहे हैं विवाह
विवाह करने से पहले विवाह का सही अर्थ समझने की आवश्यकता है !
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आजकल विवाह वासना-प्रधान बनते चले जा रहे हैं। रंग, रूप ,धन,एवं वेष-विन्यास के आकर्षण
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लेखअन्य
ह्यूमन सायकोलोजी
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अभिप्राय --- (Opinion)
(मेरे अपने विचार )
आप पैदल कहीं जा रहे हैं भीषण गर्मी है और आप पसीने से तरबतर हो और प्यास से गला सूख रहा है और पानी भी कहीं नहीं मिल रहा है ऐसेमे आपको एक वृक्ष
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कविताअन्य
हाँ माँ तुम ही तो हो
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हाँ माँ तुम ही तो हो
सृष्टि की सर्वोत्तम कृति
सृष्टि का हो सहज श्रृंगार
मेरी सांसों का हो आधार
प्रेम का प्रथम अध्याय तुम
हाँ माँ तुम ही तो हो
सृष्टि की सर्वोत्तम कृति
हो
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कविताअन्य
मगर मै न था
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घर था दीवारें थी
मगर मै न था
बीवी थी बच्चे थे
मगर मै न था
रुतबा था दौलत थी
मगर मै न था
जिनके लिए जिया मरा
उनके दिलों में मै न था
किये ख्वाब पुरे जिनके
उनकी आँखों में मै न था
ताउम्र जिया
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कविताअन्य
विधा :- कविता
मै वेदनाओं में ही जलता रहा
संतोष से मै सदा अलिप्त रहा
असंतोष के भावों से ग्रस्त रहा
स्वयं से ही मै सदा त्रस्त रहा
जीवन में सदा ही अतृप्त रहा II
कौन छलता जग में मुझको
स्वयं को ही सदा छलता
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कविताअन्य
आँसू कलम ने भी बेइंतहा बहाए है
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हमने खुदपर ही यूँ सितम ढाए है
ये ग़म तेरे इश्क़ में हमने पाए है
हम तेरी रूह के क़रीब रहे है सदा
ये जो फ़ासले है तुम्हीने बढ़ाए हैं
महक उट्ठा है गुलशन यका- यक
वफ़ा
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कविताअन्य
मुंबई शहर अलबेला है
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जो भी देखो है बेचैन यहाँ
होती न कभी भी रैन यहाँ
बढ़ता है खतरा रेलों में
हालत खस्ता सब रेलों में
रास्तों में ठेलमठेला है
मुंबई शहर अलबेला है
सब जगह टपोरी भकंस है
धंधे
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