Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
गुमानी एहसास - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

गुमानी एहसास

  • 224
  • 5 Min Read

कई एहसास बिन बताए ही
ख्वाबों में आकर,
गुफ्तगू करके चले गए।

थकी थकी पलकें
यूँ मुरझाई पलकें
ढक लेती हैं
जब जब आंखों को आहिस्ते से
तो ख्वाबों की दुनिया का
एक दरवाज़ा खुलता है
वो जहां अनजान लगता है
समुद्र का किनारा लगता है
दूर गगन का तारा लगता है

वो दुनिया कभी सुनहरी लगती है
कभी कभी रात अंधेरी लगती है
कभी डर के साये में
सपनों की दुनिया दिखती है
कभी किसी हूर के आगोश में
चंद लम्हों की उम्र गुज़रती है
कभी यहीं,
ख़ौफ़ज़दा होकर नज़रें मेरी
इधर उधर दौड़ती हैं
ना जाने किस से डरती हैं
किस से खुद को बचाती हैं

जिनसे मीले हुए बरस बित गए
अचानक ही वो करीब आ जाता है
साथ अपने अतीत की सुराही ले आता है
उसमे से कुछ यादों को निकाल
वो ख्वाबों को महका जाता है

मगर कुछ ख्वाब ऐसे भी हैं
जो आये, रुके
थोड़ा परेशान किये
अपना ही गुमान किये
कुछ खुशी के वास्ते
कुछ हँसी के वास्ते
सवालों पे सवाल किये
और फिर अचानक ही
बीच राह में
भटके पथिक की तरह
मेरे मन के भीतर
एक टिस छोड़ गए।

कई एहसास बिन बताए ही
ख्वाबों में आकर
गुफ्तगू करके चले गए।

शिवम राव मणि

1623929783.jpg
user-image
Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

निहायत ख़ूबसूरत एहसास..!!

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg