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अनाथ भाग 4 - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कहानीसस्पेंस और थ्रिलरउपन्यास

अनाथ भाग 4

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शाम होते ही राज धीरज के घर पहुंचता है वह पहले से ग्रुप के तमाम मेम्बर मौजूद रहते हैं। वह सबसे मिलकर अनिल के पास जा बैठता है। अनिल धीरज के खासमखास में एक है जो राज़ की तरह उसके हर फैसले में शामिल होता है

'कैसे हो अनिल कई दिनों के बाद दिखाई दिए '
'हां..बस वो कुछ काम की चलते अपने गांव गया था तुम बताओ तुम कैसे हो? आजकल काफी चर्चा में हो ।'
'हां यूँ तो कई मर्डर किये है लेकिन पुलिस वालों को यह मर्डर इतना खटक क्यों रहा है मालूम नहीं'
' यह बात तो है, आमिर की ऐसी कोई रेपुटेशन भी नहीं थी कि उसके लिए कोई आगे आए और पता चला कि इसमें कोई शशि इंस्पेक्टर है जो काफी दिलचस्पी ले रहा है ,उसी के रहते पुलिस खेमे में हलचल है।'
' हममम, मुझे उसे जल्द ही शांत करना होगा और अगर शायद ऐसा हुआ तो यह मेरी आखिरी जिम्मेदारी होगी ग्रुप के लिए'
' आखिरी... मतलब?'
' मैं ग्रुप छोड़ना चाहता हूं'
' मगर क्यों?'
' मेरा मन नहीं रहा. मुझे अपनी फैमिली पर ध्यान देना चाहिए, सोच रहा हूं एक बच्चा अडॉप्ट करने की।'
' क्या तुमने धीरज से बात की?'
' नहीं अभी तो नहीं की, वैसे वो है कहां?'
' वॉशरूम गया है अभी आता होगा'

थोड़ी देर में धीरज अंदर से एक बैग लेकर चले आता है। वह राज से मिलता है और बैठने की लिए कहता है । वह एक कागज को जेब से निकालता है, पड़ता है और सबको सम्बोधित करते हुए बोलता है

'आज हम सब एक अनंत कामयाबी की ओर बढ़ रहे हैं ।एक ऐसी कामयाबी जो इस ब्रह्मांड को दूसरे ब्रह्मांड से जोड़ेगी। मेरा यह कथन आप सभी को बचकाना लग सकता है लेकिन यह ऑक्सीटोसिन का व्यापार ही एक दिन कई जिंदगीयों का जिम्मेदार बनेगा। आप सबके सामने एक सुनहरा भविष्य हैं बस इंतजार है तो एक बदलाव की, एक ऐसा बदलाव जो सब कुछ बदल देगा ,आपकी सोच भी।'
' हम कुछ समझे नहीं जरा ठीक से बताओगे' ग्रुप के एक सदस्य ने सवाल किया

' दरअसल मैं एक और ग्रुप का गठन करने जा रहा हूं । जैसे हमारे ग्रुप का नाम oxit ग्रुप है वैसे ही उस ग्रुप का नाम होगा एस्कॉर्ट ग्रुप।'

नए ग्रुप का नाम सुनते ही सभी में खलबली मची जाती है। सभी इस बात का विरोध करने लग जाते हैं तो धीरज अपनी बात पूरी करते हुए बोलता है

'आप की जगह कोई नहीं छीन रहा है, आप जहां है वहां सुरक्षित हैं।'
धीरज टेबल पर रखे एक डोकुमेंट को उठता है और पास में बैठे शख्स को थमा देता है

' मैंने और अनिल ने 12 बेघर बच्चो की सूची तैयार की है जो 14 वर्ष की आयु से कम हैं। यूं तो अनाथ को अपनाने के लिए अनाथ आश्रम होते हैं लेकिन इन्हें अपनाने वाला कोई नहीं। यह अक्सर इधर-उधर भीख मांगते और दूसरों के घरों में काम करते हुए मिल जाते हैं। इन्हें चाहिए तो बस दो वक्त का खाना और एक आरामदायक बिस्तर। बस इसी कमजोरी का फायदा उठा कर हमने उन्हें इकट्ठा किया है।'

' लेकिन हमें उनसे क्या फायदा। कहीं उनके जरिए ऑक्सीटोसिन का व्यापार तो नहीं करवाने वाले ।'

'थोड़ा-थोड़ा सही समझे बस कुछ वक्त और रुको सब समझ में आ जाएगा'

धीरज बोलते बोलते कुर्सी के पीछे जा खड़ा होता है और एक लंबी सांस भरकर गंभीर हो जाता है

'ऑक्सीटोसिन पर हमारे शोध ने और उस शोध के जरिये फैले इस व्यापार ने हमे बहुत कुछ दिया है। आप सब ने मेरी काफी इज़्ज़त की है और कई जिम्मेदारियों का एहसास भी करवाया है। मैं चाहता हूं कि अब इस जिम्मेदारी का एहसास किसी और को भी हो । मैं अभी से अपना स्थान त्याग रहा हूं, आपका हेड और oxit ग्रुप के बॉस का पद मैं किसी और को दे रहा हूं।'

यह सुनकर सभी चौक जाते हैं
'क्या ! लेकिन तुम अपना पद कैसे छोड़ सकते हो। यह तुम्हारा है तुम्ही ने इस ग्रुप को बनाया है।'

' आप सभी शांत हो जाए। हां माना मैंने ही इस ग्रुप को बनाया है लेकिन यहां पर कोई एक ऐसा वफादार भी है जो इस ग्रुप को पूरी तरह से संभाल सकता है और चिंता मत करें मैं इस ग्रुप को छोड़कर नहीं जा रहा हूं... बस जिम्मेदारियां ही सौंपी जा रही हैं, हक नहीं।'
' तो कौन है वो?'सभी ने सवाल किया


'राज तुम आज से oxit ग्रुप के नए बॉस हो'

अपना नाम सुनते ही राज की हवाईयां उड़ गई । कुछ वक्त पहले वह ग्रुप छोड़ना चाहता था और अब उसी ग्रुप का बॉस बन चुका था। उसके समझ में नहीं आ रहा था सभी उसको बधाइयां देने लगे ,राज परेशान होकर धीरज को एक तरफ ले जाता है

'तुमने बताया नही कि इस ग्रुप का मकसद किया है'
' ई न्तज़ार करो। वक्त आने पर सब कुछ मालूम हो जाएगा। अभी मेने सिर्फ इसका खांका तैयार किया है, हमे जल्द ही ऐसी जगह और पुलिस वालों से ऐसे कनेक्सन बनाने होंगे कि बच्चे महफूज़ रहें।'
'कहीं तुम बच्चों से कोई बड़ा गुनाह तो नही करवाने वाले?'
'तो आज तक को सा हमने अच्छा काम किया है । और वेसे भी तुम तो हर गुनाह के चश्मदीद रहे हो, तुम्हे तो मालूम है।'

राज़ बैचेन हो जाता है और अपनी मन की बात तुरन्त ज़ाहिर कर देता है

'धीरज मुझे तुमसे एक बात करनी है'
' हां कहो ना राज'
' मैं ग्रुप छोड़ना चाहता हूं'
' क्या! ऐसा नहीं हो सकता'
' हां ऐसा हो रहा है धीरज। मुझे अपने परिवार को देखना है मेरा अब मन नहीं रहा।'
' क्या मतलब मन नही रहा । तुम ये ग्रुप छोड़ नही सकते और याद रखो कि पुलिस निखिल के 'कातिल' को ढूंढ रही है। उन्हें इस ग्रुप से कोई मतलब नहीं इसलिए जब तक तुम हमारे साथ हो तब तक तुम सुरक्षित हो।'
'नहीं मुझे यह ग्रुप छोड़ना ही होगा'
' बगावत मत करो राज मैंने विश्वास किया है, भरोसा किया है तुम पर ।एक बात जरुर, मैंने इस ग्रुप की बागडोर तुम्हें सौंपी है लेकिन इसका मालिक अभी भी मैं ही हूं।'

दोनों में बातों की गहमागहमी बढ़ने लगती है। अनिल यह सब देख कर बीच बचाव के लिए आ जाता है
' अरे अरे क्या बात है, दोनों में अभी से डिस्कशन होने लगी चलो थोड़ा सेलिब्रेट कर लें'

अनिल धीरज को वहां से ले जाता है। राज को धीरे-धीरे षड्यंत्र की बू आने लगती है । धीरज सभी को रोककर अपनी बात को पूरा करने के लिए कहता है
'मैं आप सब को कुछ देना चाहता हूं जिसके बिना हमारा नया एस्कॉर्ट ग्रुप अधूरा है '

धीरज एक तरफ रखे बेग को उठाता है और उसकी चेन खोलकर उसमें से कई सफेद पावडर के पाउच बाहर निकाल टेबल पर बिखेर देता है
' यह आप सबके लिए एक नायाब तोहफा?'

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दादी की परी
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