कहानीसस्पेंस और थ्रिलर
22 march एक ऐसा दिन जब भारत के किसी भी पुलिस स्टेशन में एक भी रिपोर्ट दर्ज नही हुई लेकिन कनकड़खाता ऐसा गांव जहां के पुलिस स्टेशन जितनी जल्दी रिपोर्ट दर्ज हुई उसे उतनी ही जल्दी मिटा भी दिया गया।
3 दोस्त गोपाल राम और सुक्खी। तीनो अपने अल्हड़पन के लिए पूरे गांव में मशहूर थे पहला दोस्त गोपाल जिसके पापा एक प्राइवेट कम्पनी में काम कर अपने परिवार का पेट पालते। गोपाल से उम्मीद थी कि वह एक जिम्मेदार बेटा बने पर वह तो अपनी जिम्मेदारी को रोजबरोज धुएं में उड़ाता गया।
दूसरा दोस्त राम, जो अपने परिवार का चश्मोचिराग। घर में एक छोटी बहन के अलावा एक बड़ा भाई जो पहली ही अलग हो चुका था। ये तो अच्छा हुआ कि माता पिता कुछ हुनरमंद थे वरना राम कब की नया डूबा चुका था।
तीसरा दोस्त सुक्खी जो एक पंजाबी घर से नाता रखता। पैसों की कोई कमी नही, कई एकड़ खेत भी थे। पर सुक्खी ने एक दो बार के अलावा कभी भी खेत में कदम तक नही रखा। बस माता पिता ही थे जो थे।
तीनो बस सुबह से शाम घूमते और आखिर में अपनी दहलीज पर जा धमकते। तीनो के घर पास पास भी थे। कमाने धमाने का किसी ने सोचा नही इसलिए कभी घर से कभी अपने यार से पैसे मांगकर रोज के एक आध नशे की पूड़ियों का काम चल जाता।
एक दिन सुक्खी के पास एक ठेकेदार आया जो खनन में अपने ट्रक और ट्रेक्टर चलवाता था। उसे एक ड्राइवर की जरूरत थी। उसने सुक्खी से खनन में ट्रक चलाने के लिए पूछा तो सुक्खी ने हां कर दी। इसी लालच में कि घर से ज्यादा देर तक दूर रहना पड़ता। भला नालायक, कामचोर के ताने बार बार कोन सुनता। उसने राम और गोपाल को भी ये बात बताई। पर माल ढुलाई का काम रात में चुपके चुपके करना था। वे दोनों भी साथ में चलने को तैयार हो गए। अब जहां मस्ती दिन में हुआ करती थी अब वो रात में होने लगी। जहां पहले पूड़ियाँ खुलती और धुएं हवा में उड़ते अब वहां बोतलें खुलने लगी। वेसे देखें तो तीनों की जिंदगी बहुत ही मजे में गुजर रही थी।
पर एक दिन मालिक ने सुक्खी को अपने पास ट्रक लेकर बुलाया। राम और गोपाल भी उसके साथ थे। जब तीनों पहुंचे तो वहां पहले से ही एक jcb और कुछ लोगों के साथ मालिक खड़े थे। सुक्खी ने मालिक को पुकारा और मालिक ने उन्हें देखकर तुरंत एक ब्रांडेड व्हिस्की की मांग कर दी और अपने बाइक की चाबी उन्ही थमा दी। उन तीनों के जाते ही मालिक ने jcb ऑन करने को कहा।
कुछ देर के बाद सुक्खी ओर समान लेकर आ गए। सुक्खी ने बुलाने की वजह पूछी तो मालिक ने समान की ओर इशारा करके बात को टाल दिया और खैरियत पूछते हुए उन्हें वहां से जाने के लिए कहा। तीनों वापस खनन की ओर जा ही रहे थे की टायर के पंक्चर की आवाज़ ने उनकी गति को वहीं रोक दिया। तीनों ने उतरकर देखा तो टायर की बुरी हालत। रात का वक्त, कोई ठीक करने वाला भी नही। तब मदिरा के होशोहवास में सुक्खी ने एक सुझाव दिया
सुक्खी- डम्पर में एक ओर टायर रखा है, उसे उतारकर लगा देते है।
गोपाल- लगाएगा कोन? पहले इसीको तो खोल के दिखाओ।
सुक्खी- नही , करना तो पड़ेगा वरना मालिक जान ले लेगा अगर समय पर माल ढुलाई नही की तो।
राम- तो फिर ठीक है, खोलने का समान है ना तेरे पास।
सुक्खी- हाँ है दोस्तो।
सुक्खी ड्राइवर सीट पर गया और डम्पर उठाने लगा। जैसे ही टायर नीचे गिरा तो टायर के साथ एकाएक गिरती किसी आदमी की लाश ने राम और गोपाल के होश उड़ा दिए। सुक्खी को बुलाया तो उसकी ज़ुबान ए मदिरा लड़खड़ाते हुए वापस अपने मूल स्वर में लौट आई। मालिक को फोन मिलाया गया-
‘ हेलो ठेकेदार जी बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी है। डम्पर में लाश मिली है। कहीं आपने…
‘ वाह , तो तुम तीनों को पता चल ही गया। चलो ठीक है ऐसे नही तो वेसे ही सही।जैसा जैसा में कहूँ वैसा वैसा करो’
‘ मतलब ये लाश आपने ही डाली’
‘ ज्यादा बातों की गहराई में मत जाओ वरना पुलिस को बताकर तुम तीनों को पूरी उम्र के लिए जेल में डलवा सकता हूँ। इसलिए जैसा मैं कहूँ तुम सब वैसा करो।’
सुक्खी ने राम और गोपाल की तरफ देखा। तीनों बहुत डरे हुए थे, कुछ समझ नही आ रहा था इसलिए तीनो ने हां कर दी
‘ ठीक है'
सुक्खी से बात कर ठेकेदार फोन रखता है और कुछ कदम आगे चलकर फिर एक और फोन मिलाता है
‘हेलो भूपेंद्र कैसे हो मैं ठेकेदार अखिल बात कर रहा हूँ’
‘हां ठेकेदार जी कहिये इतनी रात को कैसे याद करना हुआ।’
‘ बस आपको बताना था कि हमारे रास्ते का पत्थर समझो साफ हो ही गया।’
‘ अच्छा, लेकिन ये तो हम कल करने वाले थे ना।’
‘ हां लेकिन कल पूरे भारत में एक दिन का लोकडाउन लग रहा है। तुम्हे तो इसकी जानकारी होगी।’
‘ नही नही मालूम है। तो फिर ठीक है आगे पुलिस का काम और कोई बात रहेगी तो वो मैं देख लूंगा।’
‘ शायद इसमे इतनी मेहनत ना करनी पड़े क्योंकि मेने पहले ही इसमे तीन लड़को को फसा दिया है। वो जल्द ही कंस्ट्रक्सन साइट पर पहुंचते होंगे, तुम तैयार रहो।’
‘ठीक है।’