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सियासत जरूरी है। - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितागजल

सियासत जरूरी है।

  • 312
  • 4 Min Read

जब कभी किसी परिवार में दुर्भाग्य पूर्ण जायदाद को लेकर बहस होती है। तो अक्सर भाई , बहन और रिश्ते दारों के बीच विरोध की भावना पैदा हो जाती है।बस उसी को ध्यान में रखकर यह गज़ल लिखी गयी है, जिसे थोड़ा मजाकीया रूप देने की कोशिश की है।

कुछ अपनी भी हिफाज़त जरूरी है।
परिवार में भी सियासत जरूरी है।

कोई मार ना दे कभी ईंट पत्थर,
तो चुप रहने की आदत जरूरी है।

जरा सी बात पे जब उबलने लगें,
तब धीरे से रूखसत जरूरी है।

कहने दो किसीको, वो जो कहता है,
मगर उनकी भी नसीहत जरूरी है।

कहाँ मांगा मैंने सब खातिर अपने,
कुछ मैं,कुछ तुम, ये नीयत जरूरी है।

पर ना समझें तो कह दिया हमने,
उठाओ तो हाथ, हिम्मत जरूरी है।

फिर क्या हुआ, कैसे बतायें 'मनी',
साँस भर के लिए अब हरकत जरूरी है।

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर

शिवम राव मणि3 years ago

शुक्रिया

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

ख़ूबसूरत रचना..!

शिवम राव मणि3 years ago

धन्यवाद सर

प्रपोजल
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