कवितागजल
है ऐसा कोई।
तुम जैसा कोई।
नींदों में जैसे ,
सुकून रँवा कोई।
आंखों की नजरें ,
तुम जरिया कोई।
लफ़्ज़ों की गलती,
तुम लहजा कोई।
सवेरे की बातें ,
मन पहला कोई।
ज़िन्दगी की हलचल,
तुम दरिया कोई।
ढेरों है कद्रदान,
तुम फरिश्ता कोई।
बढ़ी एक धड़कन,
के धक धड़का कोई।
कोई होगा 'मनी',
रब जैसा कोई।
शिवम राव मणि