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दिल ही तो जाने है - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

दिल ही तो जाने है

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दिल की जो बाते हैं,
दिल ही तो जाने हैं।
उरूज़ पे चाहत है-
अफ़साने अफ़साने हैं।

ख्वाबों में, यादों में,
अधूरे ज़ज़्बातों में।
हम तुम्हे ढूंढते हैं-
अनजानी राहों में।

आंखों की कनखी से,
मोहब्बत की खिड़की से।
तुम्हे ही देखते हैं-
रूबरू नज़दीकी से।

एक दूजे के बाहों में,
जुगनू सी खुशियों में।
कहीं गुम हो जाते हैं-
पल पल की मुलाकातों में।

© शिवम राव मणि

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