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ज़िन्दगी भी क्या है - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

ज़िन्दगी भी क्या है

  • 272
  • 3 Min Read

ज़िन्दगी भी क्या है
जरा से फासलों में कई रंग लिए है

एक पल महरूम है
तो दूसरे ही पल बहती नीर है
पानियों सी बेरंग है
जिस ओर बहलाओ
उस ओर की तस्वीर है
वादियों में कभी बंजर
कभी बंजर में ताबीर है
ज़िन्दगी भी क्या है
बारिशों में सतरंग है।

भीगती हुई किरणों के
हर अंदाज़ पर
दिन का मिहिर है।

हवाओं सी मलंग है
कभी इधर डोलती है
तो कभी उधर डोलती है
हर दिशा की तहरीर है।

पक्षियों की चहचहाट है
कुदरत की आवाज़ है
जो सारे गैहान में गूंजती है
मगर अपने आप में ही
एक ज़ंज़ीर है,
ज़िन्दगी भी क्या है
जरा से फासलों में कई रंग लिए है।


शिवम राव मणि

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Kumar Sandeep

Kumar Sandeep 3 years ago

उम्दा रचना

शिवम राव मणि3 years ago

शुक्रिया

प्रपोजल
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