कवितानज़्म
क्या तुम्हें याद है?
कि तुमने उस दौरान क्या कहा था?
जब तुम खीजता से भरे हुए थे
तब तुम्हारे कहने का वो अंदाज़
क्या तुम्हें महसूस हुआ
कि तुम किस किरदार में थे।
तुम्हारा कहा,
हर एक लफ्ज़ कितना वज़्नी था।
तुम्हारे पास कोई बैंत नहीं थी
ना ही इर्द गिर्द कोई जरिया,
जिससे कि तुम मुझे चोट पहुंचा सकते,
मगर फिर भी ,मुझे एक जर्ब का एहसास हुआ
जब तुमने पूरे गुरूर में
एक सबब का हवाला दिया था।
क्या वह सच था?
या फिर सिर्फ मुझे,
खुद से दूर करने का कोई बहाना।
मुझे कुछ फहम नहीं,
कि तुम्हारा वो मिज़ाज
आखिर क्यों था,
मगर बातों का वह तंज
जो तुमने उस दौरान कहा था,
मुझे बखूबी याद है।
शिवम राव मणि