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नादान हथेली - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितानज़्मलयबद्ध कविता

नादान हथेली

  • 360
  • 6 Min Read

नादान हथेलियों की उलझी राहें,
नादान हथेली में तुमको ढूंढते हैं।

किसी के आने की ना खबर है ना खबर थी।
पहाड़ों से आकर छूती हवा जो कयास भर थी।
सूरज की किरणें भी हैं जो मद्धम हो चली
और एक आस को रात भर,
मझधार में खोजते हैं
नादान हथेलियों की उलझी राहें,
नादान हथेली में तुमको ढूंढते हैं।

भर रात जो कभी एक बेचैनी रह जाएं।
कल सुबह तक ये आंखे जगी रह जाएं।
तो धीरे से छूकर भोर की किरण,
कहती है मुझसे
कि ‘छोड़ दो वो राहें,
वो तुमसे अनजान रहते हैं'
नादान हथेलियों की उलझी राहें,
नादान हथेली में तुमको ढूंढते हैं।

ठीक है,
अगर इन आंखों की नजरें मधम हैं।
ठीक है,
अगर ये दिल की धड़कनें बेसब्र हैं।
बस मेरे भीतर की रूह,
कहीं मेली ना हो जाए-
जिस रूह में मेरे पीर रहते हैं।
नादान हथेलियों की उलझी राहें,
नादान हथेली में तुमको ढूंढते हैं।

एक दरिया है ,
जो थम थमकर बेहता है।
एक विश्वास है ,
जो दब दबकर रहता है।
एक जमीं नजर है ,
जो इंतज़ार में ठहर गई।
और एक अंचुली ,
जो बूंद बूंद तरस गई।
फिर भी इस सूखे गले में,
एक घूंट उतारकर-
खुद से सहमे सहमे कहते हैं
नादान हथेलियों की उलझी राहें,
नादान हथेली तुमको ढूंढते हैंं।

शिवम राव मणि

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Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

Beautiful

शिवम राव मणि3 years ago

धन्यावाद

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

शिवम राव मणि3 years ago

शुक्रिया

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