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मैं बाहर निकलूंगा तो - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

मैं बाहर निकलूंगा तो

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मैं बाहर निकलूंगा
तो कोई ना कोई तो छेड़ेगा।

कोई पूछेगा, कोई कहेगा
या कोई तो सिर्फ देखेगा
कोई दूर खड़ा
मन ही मन कहानियां बुनेगा
तो कोई हालात को मेरे पूछेगा
कोई मदद की चाह भी जताएगा
तो कोई देखते ही देखते फिरकियां लेगा

सोचता हूं कहीं दूर चला जाऊं
तो शायद सुकुन पाऊंगा
लेकिन कोई अजनबी पास बैठा
तो वो भी पूछेगा
ऐसा क्यों है? ये भी कहेगा

मगर कोई तो इतना चढ़ा हुआ है
ज़बरन मेरे हालात को छूएगा
मेरी कलाई पकड़, मेरे लफ़्ज़ गिनेगा
ढेर सारे सबब पूछेगा
वो कमबख़्त ,
मेरी ज़िंदगी तय करेगा
फिर हाथ छूटा मैं
उससे अगर आगे बढ़ूं
तो फिर कोई अजनबी मिलेगा
वो भी पूछेगा
ऐसा क्यों है? ये भी कहेगा।

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 2 years ago

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