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"अपनी"
कविता
श्रृंगार
Story mirror competition
अपनी उड़ान को....
कुछ अच्छे में, कुछ अजीब भी था
अपनी शक्ति पहचानो
अपनी शक्ति पहचानो
अपनी शक्ति पहचानो
अपनी एक अलग दुनिया
अपनी शक्ति को पहचानो
ना कर इतना गुमां अपनी कलम पर ऐ शायर
मेरा गांव मेरा आंगन
अपनी धारा ,अपना वेग
कोरोना वायरस और प्रकृति
अपनी शक्ति पहचानो
ख़त्म करो बशर येह तलाश अपनी गैरों की हयात में
हवाले किसी के ना अपनी औक़ात कर
अपनी पहचान को भूल गए
पीछे रहबर के क्यूं चलें बशर जब हम अपनी ही डगर चलें
कहां ढूंढू मैं अपनी खुशी
अपनी भी ग़ैरत है अना है
*दुनिया अपनी मिल्कियत नहीं है*
*दिल अपनी कहता है*
ज़ाहिर अपनी तजवीज़ हम क्यूं करें
*हालात वक़्त वक़्त के अपनी जगह*
अपनी पसंद की रहगुज़र हम निकलें
जद अपनी "बशर" अपने दस्तरस में नहीं
अलग अपनी पहचान रखते हैं
ख़्वाब से गुज़र गई रात अपनी
फिरसे निखर गई रात अपनी
लोग अपनी ज़रूरतों को याद रखते हैं
मशक़्क़त से गुजरी है हयात अपनी
अना में रहे कम न हुए
फरिश्तों को सुना है पलटते हुए अपनी बात से
अपनी नजरों में गिरने का सबब न हो जाए
तेरी अपनी चुस्ती से
आपको अपनी खूबियाँ मुबारक
हमतो अपनी गलतियों केलिए मश्हूर हैं
अपनी शेख़ी बघारने वाले लोग
कहानी
"एक बूंद प्यार की बरसात" (भाग-3अंतिम)
अपनी हिन्दी भाषा
सोच अपनी अपनी
" राह अपनी-अपनी " 💐💐
अपनी अपनी ड्यूटी
अपनी जगह
अजनबी भाषा में भी अपनी सी मुस्कुराहट
अजनबी भाषा में भी अपनी सी मुस्कुराहट
लेख
अपनी_पहचान_हिंदी!
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