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अपनी एक अलग दुनिया - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

अपनी एक अलग दुनिया

  • 205
  • 5 Min Read

बेटे को शीत न स्पर्श कर सके
इसलिए माँ बेटे को कलेजे से लगाकर रखती है
बेटे के चेहरे पर मायूसी तनिक भी न रहे
इसलिए हर घड़ी माँ, बेटे का पूरा ख़्याल रखती है
बेटे के जीवन में दुख,दर्द का नामोनिशान न हो
इसलिए बेटे की सलामती की दुआ
माँगती है माँ हर क्षण, हर पल।।

आर्थिक स्थिति अनुकूल न होने पर भी
बेटे की ख्वाहिश पूर्ण करने का पूर्ण प्रयत्न करती है
रिश्तों में दूरियां नहीं नजदीकियां बढ़ाने की
सीख देती है, जब बेटा नहीं करता है रिश्तों की कद्र।।

दुनिया में विकट परिस्थिति के वक्त
कोई साथ नहीं देता है हमारा
हमें स्वयं लड़ना पड़ता है, यह
प्रेरणादायक सीख भी माँ ही देती है।।

माँ कितना कुछ करती है हमारे लिए
पर हम क्या करते हैं माँ के लिए
कुछ बेटे बड़े होकर माँ को अकेलेपन की नदी में
डूबकी लगाने के लिए छोड़ देते हैं
तो कुछ बेटे जरा-सी बात पर
माँ से ऊँची आवाज़ में बात करते हैं
तो कुछ बेटे माँ को दर्द उपहार में देकर
अपनी एक अलग दुनिया बसा लेते हैं
अपनी पत्नी के संग, अपनी संतान के संग।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

मर्मस्पर्शी..!

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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