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सोचता हूं कि क्या लिखूं - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितानज़्मछंद

सोचता हूं कि क्या लिखूं

  • 255
  • 4 Min Read

सोचता हूं कि क्या लिखूं?
कोई अल्फ़ाज़ या दास्तान लिखूं।
पढ़ा कोई किस्सा लिखूं
या सुना हुआ फरिश्ता लिखूं
कि महसूस होता हर एहसास लिखूं
या पल पल का अंदाज़ लिखूं
लिखूं के जमाने से कोई तजुर्बा
या अपना ही फलसफा लिखूं
राई सी जिंदगी पर
कोई हिस्सा बिखरता लिखूं
या बंजर में किसी उम्मीद सा
आब की तरह करिश्मा लिखूं।

लिखूं कि हर बात लिखूं
या खामोश बेजुबां हालात लिखूं
समझूं कि ये दुनिया एक अजाब
जहां मेल बदन का हिसाब लिखूं
या तैरकर कोई दरिया
पाक़ीज़ा सैलाब लिखूं।
पीठ पीछे का कोई दरिंदा लिखूं
या नूर सा मेहरबां लिखूं
या फिर रहने दूं, सब छोड़ दूं
किताब के ही कुछ पन्नों पर
एक प्यारा सा फरमान लिखूं
जिसके दरमियान कहीं-कहीं
कोई राज़ अज़ान लिखूं,
सोचता हूं कि क्या लिखूं?
कोई अल्फ़ाज़ या दास्तान लिखूं।

शिवम राव मणि

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

लाजवाब

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर रचना

शिवम राव मणि3 years ago

शुक्रिया आपका

प्रपोजल
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