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अन्तः परिचय - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

अन्तः परिचय

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निरन्तर गहरे,
एक अन्धक सफर में
मैंने एक रोशनी को पहचाना है
जो झिलमिलाती हुई
बहुत दूर, या नज़दीक मेरे
कहां है?
मुझे यह मालूम नहीं
मगर मेरे और उसके बीच की दूरी
महज़ कुछ अंको का हिसाब नहीं है
बल्कि ,
मैं उस रोशन बिन्दू के कितने निकट हूं
इसका पैमाना मेरी सोच है
या वह मुझसे कितने दूर है
इसका परिणाम मेरा कर्म है
और इन दोनों के बीचों-बीच
मैं कौन हूं, कैसा हूं?
ये मेरे हौसले बतलाते हैं
मेरी दृड़ता ही इसकी गवाह है।
-शिवम राव मणि

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