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यथार्थ रूप भाग-६ - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

यथार्थ रूप भाग-६

  • 152
  • 4 Min Read

किसी से घृणा का भाव
सदेव उस मार्ग की ओर ले जाता है
जहां एक छोटी, परंतु तीक्ष्ण किरण
हमारे उस विचार को उजागर करती है
जो क्रोध में आकर उपज तो गया है
लेकिन वास्तविकता के सरीखी है भी या नहीं
यह मालूम नहीं होता।

लेकिन धीरे-धीरे हमारी ना समझी ही
उस छोटी सी किरण से
उस अग्नि की ओर ले जाती है
जहां दूसरों के प्रति मन में उठ रहे
अल्हड़ विचार
सामने जल रही ज्वाला के स्वरुप
धधकने लगते हैं।

तब एक छोटा सा कटाक्ष भी
भीतर घूंट रहे सभी मंतव्यों को
वर्तमान कि मेदिनी पर ला पटकती हैं
जिधर अपनों का कथित
हर एक शब्द ,
उनकी हर एक हलचल
क्रोध की लपटों को हवा देकर
बड़े ही तल्लीन से सहेजी हुई
धैर्य की दीवार को ढहा देती है
और एक प्रेम का सान्निध्य
चाहें वह किसी का भी हो
शनैः शनैः राख हो चला जाता है।


शिवम राव मणि©

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

शिवम जी क्या आप साहित्य अर्पण पर आपका फोन नम्बर इनबॉक्स कर सकते हैं।

शिवम राव मणि3 years ago

जी बिलकुल मेम

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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