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एक नया जीवन - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

एक नया जीवन

  • 162
  • 3 Min Read

लौटकर,
द्विज उडा़न से
मैं जीती हूँ पल पल
एक नया जीवन।

जब जब रहती हूँ
बादलों के बीच
तो लगता है,
मैं दूर हूँ उन नज़रों से
जो मुझे रोकती हैं,
मुझे बाँधे रखती हैं।

मैं दूर हूँ उस समाज
और कूरितियों की बांह से
जो मुझे दबोच लेती हैं ।

लेकिन हां, नज़रें असीमित हैं
वो मुझे तब भी देखेंगी,
जब मैं रहूंगी बादलों के बीच
वतन की शान में।

तब तब मेरी उड़ानों पर,
उस समाज व कूरितियों के हाथ
छोटे पड़ जाएंगे।

वह नज़रें मज़बूर हो जाएंगी
झूकने के लिए,
जब जब मैं थामूँगी
अपने सपनो का कोतल
तब तब मैं जीयूंगी, एक नया जीवन
पल पल, हर क्षण।

© शिवम राव मणि

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत बढ़िया

शिवम राव मणि3 years ago

धन्यवाद आपका

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