सुविचारप्रेरक विचार
भेदभाव चाहें वो लड़की-लड़के में हो, जाती धर्म में हो, ऊंच-नीच में हो, रहन-सहन में हो या रंग-रूप में हो, ये कभी खत्म नही हो सकते। और अगर मान लो ये खत्म हो भी गए, तो जहां एक भेदभाव खत्म होता है, वहीं एक और भेदभाव, उसी खत्म हो रहे भेदभाव से उत्पन्न होने लगता है। तुलना करना इंसान की फितरत है, अगर हमे तुलना करना छोड़ना है तो अपने मन को भी त्यागना होगा।